अफसरों की लापरवाही से पंचायतों में आज भी अधूरे हैं दर्जनों शौचालय
लापरवाही: ओडीएफ में पुरस्कृत जिले की खुल रही पोल
अफसरों की लापरवाही से पंचायतों में आज भी अधूरे हैं दर्जनों शौचालय
सरगांव. पथरिया ब्लॉक के अन्तर्गत आधा दर्जन से अधिक ग्राम पंचायतों में दर्जनों ग्रामीणों के शौचालय के निर्माण कार्य आज भी आधे-अधूरे हैं। किसी के यहां शोचालय का गड्ढा खोदकर छोड़ दिया गया है तो किसी के यहां व बिना दरवाजा व प्लास्टर के जिले को ओडीएफ व पुरस्कृत होने की पोल खोलते नजर आ रहे हैं।
ज्ञात हो कि मुंगेली जिला छत्तीसगढ़ में प्रथम जिला है, जिसे 100 प्रतिशत ओडीएफ बताकर तत्कालीन कलेक्टर किरण कौशल के साथ सभी पदाधिकारी अपनी पीठ थप-थपवा चुके हैं। यही नहीं ओडीएफ होने का पुरस्कार भी प्राप्त कर चुके हैं। लेकिन पथरिया विकास खंड के अन्तर्गत ग्राम पंचायतों में जिले के ओडीएफ होने की हकीकत कुछ और बयां कर रही है। इस विकास खंड के ग्राम पंचायत जरेली पेंड्री, छिंदभोग धमधापारा, खैरा, सांवा व मोहभट्टा सहित कई अन्य ग्राम पंचायतों में आज भी शौचालय के निर्माण कार्य आधे-अधूरे पड़े हैं। बताया जाता है कि ग्राम पंचायत जरेली पेंड्री में अधिकतर घरों में लोगों ने अपने से शौचालय का निर्माण करवाया है, जिन्हें शौचालय निर्माण की राशि का अब तक भुगतान नहीं किया गया। गांव के ही रहने वाले नरोत्तम निर्मलकर पिता मुकुत लाल ने बताया कि सूचना के अधिकार के तहत जानकारी लिया तो पता चला कि मेरे नाम से पैसा निकल चुका है, जिसकी शिकायत 3 माह पहले जनपद सीईओ पथरिया से की, पर अब तक किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की गई है। साथ ही नरोत्तम ने यह भी बताया कि मेरे गांव में ही कई लोगों के साथ ऐसा छल किया गया है। इनमें कई ऐसे लोग ऐसे भी हैं, जो स्वयं शौचालय का निर्माण नहीं करा सकते हैं।
मुंगेली जिले के जिन गांवों में शौचालय निर्माण को लेकर मनमानी के मामले सामने आ रहे हैं। वहां पर न ही जिला पंचायत और न ही जनपद पंचायत के अधिकारी निरीक्षण करने नहीं पहुंचे हैं। इस कारण सरपंच व सचिव के द्वारा जो भी कागज में शौचालय निर्माण किया गया है, उसे पास कर दिया गया है। अधिकारियों के द्वारा आनन फानन में मुंगेली जिला को ओडीएफ को लेकर पुरस्कृत पानने के चक्कर में ही शौचालय निर्माण को पूर्ण पास कर दिया गया है।
पंच के घर में शौचालय निर्माण कार्य अपूर्ण
ग्राम पंचायत छिंदभोग के ग्रामीणों ने बताया कि उनके यहां शौचालय के नाम पर छल किया गया है, किसी के घर में गड्ढे खुदवा कर सरपंच के द्वारा मात्र ईंट दिया गया है तो कहीं पर मात्र गड्ढेे खुदवा कर छोड़ दिया गया है। यद्यपि सरपंच ने आश्वासन देते हुए कहा था कि अगली बार उन्हें सीमेंट, रेती व गिट्टी भी दिया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। अब हकीकत यह है कि अब तक मात्र कागज में ही शौचालय निर्माण हुआ है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। गांव के झूमन लाल ने बताया कि उनके यहां पिछले 10 साल से शौचालय निर्माण स्वयं के पैसे से किया गया है, लेकिन सरपंच प्रतिनिधि के द्वारा उनके शौचालय में स्वच्छ भारत अभियान के तहत लिखे जाने वाले स्लोगन को लिखकर फोटो खींचकर ले जाया गया है, लेकिन अभी तक उन्हें किसी प्रकार का आश्वासन या शौचालय की लाभ नहीं मिला है।
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