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मुंगेली

रोपाई, बियासी के समय सूखे पड़े हैं खेत, चिंता में किसान

मौसम की मार: विकासखंड कोटा में अल्प वर्षा ने बढ़ाई चिंता

मुंगेलीAug 01, 2019 / 12:12 pm

Murari Soni

Planting, Drying at Besi Farm, Farmers in Worry

रोपाई, बियासी के समय सूखे पड़े हैं खेत, चिंता में किसान

खैरा. कोटा विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत खैरा, चपोरा सहित अंचल के गांवों में अल्प वर्षा होने की वजह से धान की फसल प्रभावित हो रही है। पर्याप्त बारिश नहीं होने के कारण पहले बुआई पिछड़ गई है तो सावन मास में पानी की कमी होने से रोपाई, बियासी कार्य भी रूक सा गया है। गिरते जल स्तर और अल्प वर्षा से भूजल स्रोत नीचे जाने के साथ तालाबों में पानी का भराव नहीं हो पाया है। किसानों को सिंचाई करने तालाबों से पानी मिलना तो दूर निस्तारी की समस्या अभी से होने लगी है। समय पर खेती नहीं होने से किसानों को अब जीवन बसर की चिंता सताने लगी है।
ग्राम पंचायत खैरा, चपोरा, सेमरा, पोड़ी, उमरिया, पुडू, रिगवार, तेन्दुभाठा सहित पूरे अंचल में अल्प वर्षा होने की वजह से किसानों के समक्ष अकाल की स्थिति बन आई है। मानसून के लगभग दो माह बीत जाने के बाद भी अब तक किसानों का खेती कार्य नहीं हो पाया है। सावन मास में किसानों का पूरा समय रोपाई, बियासी कार्य में ही निकल जाता था और यह समाप्ति की ओर होता था। लेकिन इस वर्ष पानी के अभाव में रोपाई, बियासी के कार्य शुरू तक नहीं हो सके हैं। पानी नहीं गिरने से किसान अब चिंतित नजर आ रहे हैं। पानी के अभाव में किसानों के अधिकांश खेत सूख गए हैं। ग्रामीण किसान सुबह से शाम तक बादलों की ओर बेबस निगाहों से ताकते रहते हैं कि कब पानी गिरेगा तो खेतों और तालाबों की प्यास बुझेगी।
कर्ज चुकाने की चिंता लगी सताने
मानसून का इंतजार करते किसानों की आंखे थक चुकी है। मानसून की दस्तक देते ही किसानों ने कर्ज लेकर कृषि कार्य करना प्रारंभ कर दिया था। सप्ताह भर बाद मानसून के वापस लौट जाने से असमंजस की स्थिति में 30 से 40 प्रतिशत ही धान की बुआई हो पाई थी। वह भी पानी के अभाव में सूख कर बर्बाद हो गया है। मौसम के लगातार बेरुखी ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। ऐसे में अब किसानों को कर्ज चुकाने की चिंता सतानी लगी है। बीते कुछ सालो से अंचल में औसत से कम वर्षा हो रही है। इसके परिणामस्वरूप जल स्तर लगातार नीचे गिरता जा रहा है। गांव के प्रमुख तालाब व बांध पहले ही लगभग मृतप्राय अवस्था में पहुंच चुके हैं। 
बांध, तालाब में जल भराव मात्र २० प्रतिशत
सिंचाई लिए वरदान साबित होने वाले बांध और तालाबों में भी जल का भराव महज 15 से 20 प्रतिशत ही हो पाया है। ऐसे में फसलों की जीवनदायनी सिंचाई योजना भी काम नहीं आ रही है।
अधिकांश खेतो में सिंचाई का प्रमुख स्रोत तालाब ही है, जिसमें पानी नहीं होने से किसानों को सिंचाई के लिए मोहताज होना पड़ रहा है। ग्राम खैरा, चपोरा, पोड़ी सहित आस पास के सभी खेत पानी की कमी से सूखे पड़े हैं। जिस मौसम में खेत के चारों ओर ग्रामीण किसान थरहा लगाते, बियासी का काम करते नजर आते थे आज सन्नाटा पसरा हुआ है। हरे भरे धान के फसल की जगह है घास फूस ने ले रखी है। गत वर्ष अल्प वर्षा होने की वजह से क्षेत्र के लगभग सभी तालाब व बांध सूख कर मैदान तब्दील हो गया था। अल्प वर्षा से नहीं के बराबर पानी भर पाया है। ऐसे में किसानों के समक्ष जीवन यापन की चिंता सताने लगी है।

&पानी की कमी से खेती कार्य नहीं हो सका है। अब तक रोपाई बियासी का कार्य समाप्ति की ओर होता था, जो प्रारंभ तक नहीं हुआ है। पूरा गांव सूखे की चपेट में है। फसल होना मुश्किल है।
कैलाश चंद्र पोर्ते, खैरा
&अंचल में सिंचाई का प्रमुख साधन तालाब है। मानसूनी मौसम में भी पर्याप्त पानी नहीं गिरने से जलभराव नहीं हो सका है। पानी की कमी से सिंचाई और निस्तारी की समस्या होगी।
गोवर्धन सिंह आर्मो, चपोरा
&इस वर्ष खेती का काम पिछड़ा हुआ है। समय पर बरसात नहीं होने से फसल सूख गए हैं। थरहा लगाने का काम भी नहीं हुआ है। पानी की कमी से सभी किसान परेशान हैं।
बलदेव पैकरा, पुडू

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