बैगा आदिवासियों को नहीं मिल रहा प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का लाभ
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना। बैगा आदिवासियों को नहीं मिल रहा योजना का लाभ, काट रहे चक्कर
बैगा आदिवासियों को नहीं मिल रहा प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का लाभ
लोरमी. राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले बैगा आदिवासियों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। वे अपना अधिकार पाने तहसील कार्यालय का चक्कर काट रहे हैं। इधर उनको यह बताने की कोशिश किया जा रहा है कि जो साफ्टवेयर शासन ने भेजा है, उसमें वनग्राम का उल्लेख ही नहीं है। ऐसे में इस योजना का सबसे ज्यादा हकदार किसानों को लाभ नहीं मिल पा रहा है। परेशान बैगा वनवासी कलेक्टर कार्यालय का घेराव करने का मन बना रहे है।
प्रदेश से लेकर केन्द्र तक अन्नदाताओं की स्थिति को सुधारने के लिए कोई कर्जमाफी कर रहा है तो कोई उन्हें प्रोत्साहन राशि दिया जा रहा है। केन्द्र के द्वारा अभी वर्तमान में लागू हुई योजना का लाभ सिर्फ राजस्व(मैदानी क्षेत्र) के लोगों को योजना का लाभ मिल रहा है। जबकि बैगा आदिवासियों इस प्रकार की योजना का लाभ मिलना जरूरी था। प्रधानमंत्री किसान समृद्धि योजना के तहत सीमांत से 5 एकड़ तक के किसानों को योजना का लाभ साल भर में 6 हजार रुपए मिलना है। इसके लिए किसान ऑनलाइन फार्म भरवाकर योजना पाने के लिए पटवारियों दफ्तर पहुंच रहे हंै। दूसरी तरफ इसी योजना का लाभ पाने के लिए तहसील एवं पटवारी कार्यालय के बैगा आदिवासी पहुंचते हैं तो उन्हें वहां से भगा दिया जाता है। यह बोला जाता है कि यह योजना सिर्फ राजस्व ग्राम की है। वनग्रामो का उल्लेख संबधित साफ्टवेयर में दर्ज नहीं हो रहा है।
रोजगार भी नहीं और योजना का नहीं मिलता लाभ: वनाच्छित और मैदानी क्षेत्र को दो भागों में बांटा गया है एक राजस्व ग्राम तो दूसरा वनग्राम। राजस्व ग्राम में मैदानी क्षेत्र को रख गया है तो वहीं वनग्रामो वनक्षेत्र के पठारी में रखा गया है। शासन की योजना सभी के लिए लागू होती है, लेकिन कुछ-कुछ योजना का लाभ वनग्रामों में बसे लोगों को नहीं मिल पाता है। वन क्षेत्र में निवास करने के कारण वहां पर कोई रोजगार मूलक कार्य नहीं होता है। ऐसे में न तो उन्हें मैदानी क्षेत्रों जैसा रोजगार उपलब्ध होता है और न ही कुछ बड़ी योजना का लाभ मिल पाता है।
ये पंचायते हैं अभी भी वनग्राम: अचानकमार टाईगर रिजर्व के सिहावल, सारसडोल, छपरवा बिंदावल, तिलईडबरा, लमनी में रजंकी, बिरारपानी, छिरहट्टा, ढ़ूढवाडोगरी, मंजूरहा, चकदा, परसहापारा, राजक, बोईरहा, औरापानी, सुरही, अतरिया, बम्हनी, कटामी, जाकड़बांधा, जमुनाही, महामाई, डंगनिया, घमेरी, सरसोहा, निवासखार, सरगढ़ी, झिरीया जैसे गांव में बैगा आदिवासी बसे हुये हैं। जो योजना का लाभ पाने के लिए तहसील कार्यालय का चक्कर काट रहे हंै।
सिंचाई की सुविधा नहीं, सूखे ने तोड़ी कमर
लोरमी का क्षेत्र 90 प्रतिशत वनों से घिरा हुआ है। लोरमी जनपद के 35 गांव ऐसे हैं, जो वनों में निवास करते है। वनविभाग सहित पंचायत विभाग के द्वारा प्रतिवर्ष करोड़ो का कार्य कराया जाता है, जो सिर्फ कागजों पर ही सिमट कर रह जाता है। कोई बांध बनाने की बात कहता है तो कहीं मनरेगा जैसी योजना चलाने की बात कहकर लाख करोड़ों रूपये डकार लिए जाते हैं, जबकि वस्तु स्थिति कुछ और ही बंया करती है। बैगा आदिवासियों के लिए सिंचाई सुविधा के लिए बनाये गये बांध एवं तालाब में पानी रूकता ही नहीं है, जिससे उन्हें सिंचाई की सुविधा नहीं मिल पाती है। वहीं लगातार तीन वर्षो से पड़ रही सूखे की हालत ने उनकी कमर तोडक़र रख दी है।
18 वनग्राम बने राजस्व ग्राम, फिर भी योजना से वंचित
पूर्व सरकार एवं वर्तमान सरकार बैगा आदिवासियों को उनके हक के लिए वन अधिकार पट्टा दे रही है, जिससे वे अब वनग्राम से राजस्व ग्राम में बदल गये है। फिर भी प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। इस योजना की बात करें तो सबसे ज्यादा प्राथमिकता उनको ही मिलनी चाहिए थी। ग्राम पंचायत बिजरकछार, मौहामाचा, सलगी, बांटीपथरा, झिरीया, सरगढ़ी, खुडिय़ा, बहाउड़, जाकड़बांधा, जमुनाही, बांकल, संाभरधसान व बोकराकछार आदि गांवों को वनग्राम से राजस्व ग्राम में बदला गया है। उसके बाद भी यहां पर निवासरत बैगा आदिवासियों को योजना का लाभ नहीं मिल रहा है।
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