scriptपानी के लिए जंगल से बाहर आ रहे भालू, दहशत में ग्रामीण | Water bears are coming out of the woods , panic rural | Patrika News
मुंगेली

पानी के लिए जंगल से बाहर आ रहे भालू, दहशत में ग्रामीण

जंगल में रहने वाले जानवरों और इंसानो के बीच यदि पानी के लिए संघर्ष जैसी
स्थिति इन दिनों बिलासपुर जिले के सूखा प्रभावित मरवाही इलाके में दिख रही
है

मुंगेलीApr 27, 2016 / 10:10 am

Kajal Kiran Kashyap

forrest bear

forrest bear

पेंड्रा.जंगल में रहने वाले जानवरों और इंसानो के बीच यदि पानी के लिए संघर्ष जैसी स्थिति इन दिनों बिलासपुर जिले के सूखा प्रभावित मरवाही इलाके में दिख रही है। यहां पानी के बचे हुए चंद स्रोतों पर जितनी ही इंसानों की निर्भरता है उतनी ही जगली जानवरों की भी। ऐसे में पानी की जरूरत ग्रामीणोंं की जान पर बन आई है। पिछले दो माह भालुओं के हमले में तीन लोगों की मौत भी हो चुकी। मरवाही के भालू प्रभावित क्षेत्र के रटगा, राजाडीह और भर्रीडांड़ सहित करीब एक दर्जन गांव भालू प्रभावित क्षेत्र माने जाते हैं। पिछले दो सालों से यहंा बेतहाशा उत्खनन, पेड़ों की कटाई और निर्माण कार्यों के चलते जंगल और पहाड़ का दायरा सिमटता जा रहा है।

अब जबकि इलाके में पानी की कमी और भीषण गर्मी के हालात हैं और पीने सहित निस्तारी पानी के स्रोत सूख चुके हैं और केवल कुछ जगहों पर ही पानी शेष है। ऐसे में रटगा व राजाडीह गांव के लोगों को पानी के लिए जोगियापहाड़ी के पास स्थित पानी की ढोढ़ी और वहीं स्थित कुएं के पास करीब पांच किलोमीटर चलकर जाना पड़ता है। वहीं गांव में पानी का लगभग यही एकमात्र स्रोत शेष बचा है, लिहाजा ग्रामीणों ने यह नियम बनाया है कि हर परिवार को केवल सीमित पानी ही दिया जाएगा और नहाने के लिए तालाब का ही उपयोग किया जाएगा लिहाजा, पानी की पहरेदारी भी की जा रही है और ग्रामीण अपने स्तर पर पानी की किल्लत से निजात पाने की जद्दोजहद में जुटे हुए हैं।

पिछले दो महीने में भालू के हमले से हो चुकी है तीन ग्रामीणों की मौत
दो महीने में भालुओं के हमले से तीन ग्रामीणों की मौत और दर्जनभर ग्रामीणों के घायल होने की घटना के बाद मरवाही क्षेत्र के गांवों में दहशत का माहौल है। मरवाही वन परिक्षेत्र में पिछले दो माह में ग्राम ख्ंाता, ग्राम धरहर तथा ग्राम राजाडीह में तीन ग्रामीणों को भालू ने अपना शिकार बनाया है। वहीं एक दर्जन से अधिक लोगों को घायल भी किया है। इसके पहले भी भालू और जंगली सुअर के हमलों से लोगों के घायल होने के मामले सामने आए, लेकिन कोई भी तात्कालिक मदद लोगों वन विभाग की ओर से नहीं दी गई। अमूमन वनविभाग के अधिकारियों के फोन बंद होने के कारण सूचना का आदान-प्रदान भी संभव नहीं हो पाता। इसको लेकर ग्रामीणोंं में आक्रोश देखा जा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि पानी की तलाश में भालुओं का गांवों में पहुंचने की संभावना और बढ़ रही है। वहीं जंगल से सटे गांवों में शाम को जल्दी सन्नाटा पसर जाता है। लोग अंधेरा होते ही अपने घरों में दुबक जाना ही उचित समझते हैं।
बताया जाता है कि शाम होते ही जोगियापहाड़ी से उतरकर भालू भी पानी के लिए यहीं आ जाते हैं और भालुओं का रातभर यहीं डेरा रहता है। ऐसी स्थिति में भरी दोपहरी में ही ग्रामीणों को पानी भरने की मजबूरी है। वहीं ग्रामीण मजदूरी कर पेट पाले या फिर पानी भरने जाए। इसको लेकर वे दोनों परिस्थितियों से जूझते हुए जीवन जी रहे हैं। भालू रटगा, राजाडीह और भर्रीडांड़ गांवों में लोगों को अपना निशाना बना रहे हैं तो वहीं लोग भी भालुओं से तंग आ गए हैं। पानी की इस समस्या से निजात दिलाने के लिए के लिए वन विभाग व स्थानीय प्रशासन चुप्पी साधे हुए है। ऐसी स्थिति में आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र मरवाही की जनता वन विभाग की लापरवाही और निष्क्रियता की वजह से पानी की खातिर भालुओं का शिकार बनने को मजबूर है।
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