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फंड का तीन एसेट क्लास में निवेश
एडवाइजर खोज के सह संस्थापक द्वैपायन बोस कहते हैं कि मल्टी एसेट फंड हाइब्रिड फंड हैं और सेबी के नियमों के मुताबिक, फंड हाउसों को अपने फंड का न्यूनतम 10 फीसदी कम से कम तीन एसेट क्लास में निवेश करना होगा। इन तीन एसेट क्लास में घरेलू और अंतरराष्ट्रीय इक्विटी, डेट और कमोडिटी का मिला जुला क्लास हो सकता है। इस तरह की रणनीति के लिए सभी एसेट क्लास में निवेश की जरूरत होती है। बाजार की अस्थिरता के बावजूद इस निवेश को स्थिर रखा जाना चाहिए।
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निवेशकों को इन बातों को ध्यान में रखने की जरूरत
1. फंड लेबल के अनुरूप
सबसे पहले प्रत्येक एसेट क्लास से सर्वोत्तम रिटर्न पाने के लिए, सुनिश्चित करें कि फंड लेबल के अनुरूप है और एसेट आवंटन मिश्रण में बदलाव नहीं है। उदाहरण के तौर पर निप्पॉन इंडिया मल्टी एसेट फंड घरेलू और विदेशी इक्विटी, कमोडिटी और डेट में 50:20:15:15 के निवेश अनुपात को कभी नहीं बदला है। इस तरह का अनुशासित निवेश दृष्टिकोण यह सुनिश्चित करता है कि निवेशक हमेशा लाभ में रहें।
2. अंतरराष्ट्रीय इक्विटी में भी निवेश हो
ऐसा फंड चुने जिसका अंतरराष्ट्रीय इक्विटी में भी निवेश हो। उदाहरण के लिए निप्पॉन मल्टी एसेट फंड जो चार परिसंपत्ति वर्गों में निवेश करता है और कॉर्पस का 20 फीसदी हिस्सा अंतरराष्ट्रीय इक्विटी में जाता है। सुंदरम, इनवेस्को और एक्सिस जैसे अन्य मल्टी एसेट फंड भी वैश्विक बाजारों में निवेश करते हैं।
3. इंडेक्सेशन लाभ
मल्टी एसेट फंड में निवेश करने का तीसरा फायदा निवेशकों को मिलने वाला इंडेक्सेशन लाभ है। इंडेक्सेशन आपको फंड से ज्यादा प्राप्त करने में मदद करता है, क्योंकि निवेश के मूल्य की गणना महंगाई जैसे कारकों को ध्यान में रखकर की जाती है और इससे आपको अधिक लाभ मिलता है। पिछले एक साल में मल्टी एसेट फंड ने अच्छा रिटर्न दिया है। निप्पॉन इंडिया मल्टी एसेट फंड 15.72 फीसदी रिटर्न के साथ सबसे आगे है। उसके बाद 13.85 फीसदी के साथ मोतीलाल ओसवाल और 13.74 फीसदी के साथ एचडीएफसी मल्टी एसेट फंड है। टाटा मल्टी एसेट फंड का रिटर्न इस दौरान 12.71 फीसदी रहा है।