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बीमा कंपनियों के पास पड़े इन 15 हजार करोड़ रुपये का नहीं है कोर्इ दावेदार

संसद में हाल ही में एक रिपोर्ट पेश किया गया है जिसके मुताबिक करीब 23 बीमा कंपनियों के पास 15 हजार करोड़ रुपये एेसे हैं जिसपर अभी तक किसी ने दावा नहीं किया है।

Jul 29, 2018 / 12:02 pm

Ashutosh Verma

Life Insurance

बीमा कंपनियों के पास पड़े इन 15 हजार करोड़ रुपये का नहीं है कोर्इ दावेदार

नर्इ दिल्ली। आमतौर पर लोग जीवन बीमा में अपनी कड़ी मेहनत का पैसा इसलिए निवेश करते हैं ताकि किसी आकस्मिक आपदा आने पर उनके परिवार को अपनी वित्तीय जरूरत के लिए माेहताज न होना पड़े। एेसे में सबसे जरूरी होता है कि जब भी आप एेसी कोर्इ पाॅलिसी लेते हैं तो इसकी जानकारी अपने करीबियों को जरूर बता दें। कर्इ लोग एेसा नहीं करते हैं। यदि अाप अपने करीबियों को इसके बारे में नहीं बताते हैं तो वो आपके इस निवेश का फायदा उठाने से चूक जाते हैं। दरअसल संसद में हाल ही में एक रिपोर्ट पेश किया गया है जिसके मुताबिक करीब 23 बीमा कंपनियों के पास 15 हजार करोड़ रुपये एेसे हैं जिसपर अभी तक किसी ने दावा नहीं किया है।


इन बीमा कंपनियों के पास हैं सबसे अधिक अनक्लेम्ड रकम
31 मार्च 2018 तक के आंकड़ें में सबसे अधिक पैसे भारतीय जीवन बीमा निगम (एलअार्इसी) के पास है। एलआर्इसी के पास कुल 10,509 करोड़ रुपया एेसा है जिसका कोर्इ दावेदार नहीं है। वहीं प्राइवेट बीमा कपंनियों के पास भी करीब 4,675 करोड़ रुपये एेसे हैं जिसका कोर्इ दावेदार नहीं है। इस लिस्ट में आर्इसीआर्इसीआर्इ लाइफ इन्श्याेरेंस के 807 करोड़ रुपये, रिलायंस लाइफ इन्श्योरेंस के 696 करोड़ रुपये, एसबीआर्इ लाइफ इन्श्योरेंस के 678 करोड़ रुपये, एचडीएफसी स्टैंडर्ड लाइफ के 659 करोड़ रुपये, बिड़ला सनलाइफ के 203 करोड़ रुपये, पीएनबी मेटलाइफ के 203 करोड़ रुपये, अवीवा लाइफ इन्श्योरेंस के 190 करोड़ रुपये, टाटा लाइफ इन्श्योरेंस के 134 करोड़ रुपये आैर भारती लाइफ इन्श्योरेंस के 74 करोड़ रुपये है।


सरकार ने वारिसों तक पैसे पहुंचनाने के लिए उठाया कदम
इस रिपोर्ट के बाद अब सरकार इस रकम को उसके वारिसों तक पहुंचाने का प्रयास कर रही है। इसके लिए केंद्र सरकार ने इस सभी जीवन बीमा कंपनियों से कहा है कि वो अपने आधिकारिक वेबसाइट के जरिए इन अनक्लेम्ड राशि की जानकारी दें। इसके साथ ही सरकार ने इन कंपनियों से ये भी कहा है कि लोग अपने परिजनों की संभावित बीमा पाॅलिसी नंबर, आधार नंबर, पैन, मोबाइल, आैर जन्मतिथि की मदद से बीमा के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकें। इसके लिए एक कमिटी गठन करने के लिए भी कहा गया है कि जो कि इन रकम को उनके वारिसों तक पहुंचाने में मदद कर सके।

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