scriptरिपोर्ट में खुलासा देश की 85 फीसदी ग्रामीण आबादी स्वास्थ्य बीमा से वंचित | Report Says, 85 pc rural population deprived of health insurance | Patrika News

रिपोर्ट में खुलासा देश की 85 फीसदी ग्रामीण आबादी स्वास्थ्य बीमा से वंचित

Published: Aug 26, 2019 11:33:22 am

Submitted by:

Saurabh Sharma

भारत की 1.35 अरब की आबादी में 44 फीसदी के पास ही हेल्थ पॉलिसी
देश के 80 फीसदी शहरी आबादी के लोग उठर रहे है हेल्थ पॉलिसी का लाभ

Health Insurance

नई दिल्ली। देश में स्वास्थ्य सेवाओं पर बढ़ते खर्च के बावजूद जानकारी के अभाव में 85 फीसदी ग्रामीण आबादी स्वास्थ्य बीमा कवर से महरूम है। यह बात हालिया एक रिपोर्ट में कही गई है। मिलीमैन नामक एक प्रमुख एक्चुरियल एवं कंसल्टिंग फर्म की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत की 1.35 अरब की आबादी में महज 44 फीसदी लोगों के पास ही स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी है।

यह भी पढ़ेंः- कनेक्टिंग कश्मीर: 20 दिनों से लॉकडाउन के दौरान घाटी में BSNL बना आम लोगों की जीवनरेखा

रिपोर्ट के अनुसार ग्रामीण भारत की 85 फीसदी आबादी स्वास्थ्य बीमा कवर से महरूम है, जबकि 80 फीसदी शहरी आबादी इसका लाभ उठा रही है। पॉलिसीबाजार डॉट कॉम के हेल्थ इंश्योरेंस प्रमुख अमित छावड़ा ने कहा, “सच्चाई यह है कि हमारे देश में बहुत से लोग हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के महत्व और इसकी आवश्यकता को समझते ही नहीं हैं।”

यह भी पढ़ेंः- आज होगी आरबीआई की बैठक, जालान समिति की रिपोर्ट पर होगा विचार

छावड़ा ने कहा, “भारत सस्ती कीमतों पर कॉम्प्रिहेंसिव हेल्थ पॉलिसियों की पेशकश करने वाले दुनिया भर में सबसे सस्ते हेल्थ इंश्योरेंस बाजारों में से एक है। इसके अलावा, बीमाकर्ता अब केवल अस्पताल में भर्ती होने पर कवरेज देने से आगे बढ़ते हुए अधिक व्यापक पॉलिसियां पेश कर रहे हैं। ये कंपनियां अपनी जेब से किए जाने वाले खर्चो को कवर करने के अलावा बेहतर स्वास्थ्य को प्रोत्साहित करने और रोग प्रतिरोधी देखभाल को बढ़ावा देने का भी काम कर रही हैं।”

यह भी पढ़ेंः- शेयर बाजार को रास आई निर्मला सीतारमण की घुट्टी! 355 अंक उछलकर खुला सेंसेक्स

मिलीमैन की रिपोर्ट के अनुसार, भारत का हेल्थ केयर सिस्टम दुनिया के 190 देशों में से 112वें नंबर पर आता है। अधिकांश भारतीय मुख्य रूप से इलाज के खर्चो के लिए घरेलू आय और बचत पर निर्भर करते हैं या जरूरत पडऩे पर अस्पताल के बिलों का भुगतान करने के लिए दोस्तों और रिश्तेदारों से पैसे उधार लेते हैं। नतीजतन, इलाज के महंगे खर्च के कारण अत्यधिक कर्ज के चलते हर साल हजारों लोग गरीबी की मार से जूझते हैं।

यह भी पढ़ेंः- 1 सितंबर से रिटेल लोन को रेपो रेट जोड़ेगा बैंक ऑफ महाराष्ट्र, ब्याज दरों मे होगा बदलाव

छावड़ा ने कहा, “भारत उन देशों में से एक है जहां इलाज के लिए अपनी जेब से पैसे खर्च करने की दर दुनिया भर में सबसे अधिक है। कुल इलाज खर्च में जेब से किए जाने वाले खर्च की हिस्सेदारी करीब 65 फीसदी है।”

यह भी पढ़ेंः- टैरिफ को हाई न रखने पर डोनाल्ड ट्रंप को हो रहा अफसोस, बयान जारी कर दी जानकारी

उन्होंने कहा, “देश के अधिकांश हिस्सों में 7-10 लाख रुपये की हेल्थ इंश्योरेंस फ्लोटर पॉलिसी पर्याप्त है। हालांकि, यदि पॉलिसीधारक को किसी गंभीर बीमारी का पता चलता है, तो एक आम क्षतिपूर्ति पॉलिसी ज्यादा काम नहीं आती है। ऐसे मामलों के लिए, एक क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी अधिक उपयोगी है। क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी की कीमत ज्यादा होती है और यह विशिष्ट बीमारियों को कवर करती है। कौन सी पॉलिसी खरीदना ठीक होगा, यह बात आपके परिवार की जरूरतों को ध्यान में रखकर तय की जानी चाहिए। पॉलिसी की पहचान करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण चीज परिवार के सदस्यों की संख्या और उनकी उम्र होती है।”

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो