वर्ष २०१७ अब बेहद करीब है और मार्केट में उथल-पुथल को देखकर निवेशक सतर्क हैं। इसके बावजूद म्युचुअल फंड्स निवेश के अन्य विकल्पों की तुलना में बेहतर विकल्प बने हुए हैं। इनसे सुरक्षा के साथ ही उच्च रिटर्न भी मिलता है। हालांकि इसमें निवेश के क्रम में कुछ बातों का हमें ख्याल रखना चाहिए।
निवेश रणनीति
उपयुक्त फंड का चयन आपके लिए सबसे जरूरी है। उदाहरण के लिए मिड व स्कॉल कैप स्टॉक्स में अधिक उतार-चढ़ाव आते हैं, ऐसे में अगर आप कम रिस्क लेना चाहते हैं तो वे आपके लिए उपयुक्त नहीं हो सकते हैं। इसी तरह कम क्रेडिट रेटिंग वाले इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करने वाले डेट फंड्स भी आपके लिए जोखिम भरे हो सकते हैं।
ट्रैक रिकॉर्ड-परफॉर्मेंस
फंड का ट्रैक रिकॉर्ड और परफॉर्मेंस जानना भी अहम है। इक्विटी फंड के मामले में कम से कम ५ साल और डेट फंड के मामले में कम से कम ३ साल का परफॉर्मेंस जानना जरूरी होता है। इससे साफ हो जाएगा कि विभिन्न मार्केट साइकल में किसी फंड ने कैसा परफॉर्म किया। कोई फंड अगर एक साल अच्छा करता है तो अगले साल वह नीचे भी जा सकता है।
एनएवी पर नहीं जाएं
एनएवी किसी फंड में निवेश की गणना का जरिया है। यह १०, २० या १०० रुपए कुछ भी हो सकता है। इसीलिए यह देखना जरूरी नहीं है कि एनएवी कितना है, बल्कि यह देखना अधिक जरूरी है कि वह निवेश किस तरह ग्रोथ दे रहा है। सिर्फ एनएवी पर नजर रखने से गच्चा खाने का डर बना रहता है।
गिरते बाजार में संभलने की क्षमता
अधिकांश निवेशक बुल मार्केट यानी ऊपर जा रहे मार्केट में किसी फंड के रिटर्न को देखते हैं, हालांकि वे बीयर मार्केट यानी जिस समय बाजार गिर रहा होता है, उस समय उस फंड में बेंचमार्क से अधिक नहीं गिरने की ताकत है या नहीं, यह देखना भूल जाते हैं। जिस फंड में यह ताकत है, उससे ही आपको बेहतर रिटर्न मिल सकता है।
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