जिस इनकम स्लैब में आप आते हैं, उसे समझना सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण यह है कि आपको किसी भी वित्तीय वर्ष के लिए अपनी टैक्स लाइबिलिटी निर्धारित करने के लिए यह पता करना जरूरी है कि आपकी इनकम, किस इनकम स्लैब में आती है। व्यक्तियों (निवासी और गैर-निवासी) को 2.5 लाख रुपए तक की आय पर करों का भुगतान करने की आवश्यकता नहीं है। इस सीमा से परे उनकी आय कानून के तहत निर्धारित स्लैब दरों के आधार पर कर योग्य हो जाती है। यह मूल छूट सीमा एक वरिष्ठ नागरिक के लिए 3 लाख रुपए और एक वरिष्ठ वरिष्ठ नागरिक के लिए 5 लाख रुपए तक होगी।
टैक्स फाइलिंग के लिए बेसिक जानकारी पहली बार के टैक्सपेयर के रूप में आपको रिटर्न फाइलिंग के वक्त कुछ बुनियादी डिटेल्स जैसे पैन, आधार नंबर, आईएफएससी कोड, मोबाइल नंबर और वैध ई-मेल आईडी के साथ-साथ बैंक खाता नंबर साथ रखना होगा।
सभी स्रोतों से आय शामिल करें यदि आपने सभी स्रोतों से आय को शामिल कर लिया है तो आपका टैक्स रिटर्न पूरा हो चुका है। यहां यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि सभी इनकम में टैक्सेबल और छूट वाली दोनों ही आय को शामिल करना आवश्यक है।
फॉर्म 16 यह एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है जिस पर भरोसा करते हुए आपको अपना रिटर्न फाइल करना है। यदि आप सिर्फ वेतन के जरिये आय अर्जित कर रहे हैं, तो नियोक्ता आपको फॉर्म 16 प्रदान करेगा। फॉर्म 16 नियोक्ता की ओर वर्ष के लिए आपके वेतन पर कटौती का प्रमाणपत्र है। इस फॉर्म में वेतन, अन्य लाभ, कर योग्य और कर से छूट योग्य भत्ते आदि का विवरण शामिल होता है। नियोक्ता को हर साल 15 जून तक फॉर्म 16 प्रदान करना चाहिए।
फॉर्म 16-ए यदि आप ब्याज, कमीशन, किराया इत्यादि की प्रकृति में वेतन के अलावा आय प्राप्त करते हैं तो संभावना है कि ऐसी आय पर टैक्स डिडक्शन हो। ऐसे टीडीएस का विवरण फॉर्म 16-ए में उपलब्ध है, जो आपको उस पार्टी की ओर से उपलब्ध किया जाएगा, जिसने आपको ये भुगतान किया है। यह फॉर्म आपको अर्जित अन्य आय के विवरण और आपको रिटर्न दाखिल करते समय ऐसी अन्य आय पर टीडीएस के क्रेडिट का दावा करने में सहायता करता है।
फॉर्म 26एएस फिर से यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण दस्तावेज है, जिस पर आपको अपना रिटर्न फाइल करने के लिए भरोसा करना होगा। इसमें उन सभी आय का विवरण रहता है, जिस पर टीडीएस लागू हुआ है। इसके अलावा, यह सलाह दी जाती है कि आप अपनी आय 16 और फॉर्म 16 ए में उल्लेखित विवरणों को चेक करें, जिसमें आपकी आय और टीडीएस इंट्रियों के संबंध में फॉर्म 26 एएस में दिखाई देने वाले विवरण हैं। आप आयकर प्रोफाइलिंग वेबसाइट पर लॉग इन कर अपना फॉर्म 26 एएस देख सकते हैं। इस फॉर्म में विवरण प्रत्येक टीडीएस स्टेटमेंट के साथ टैक्स डिपार्टमेंट के साथ डिडक्टर अपलोड के साथ अपडेट हो जाता है।
निवेश संबंधित दस्तावेज टैक्स सेविंग इन्वेस्टमेंट के बारे में बात करें तो आप धारा 80 सी के तहत 1.5 लाख रुपए तक कटौती का दावा पेश कर सकते हैं। धारा 80 सी के अलावा कुछ अन्य कटौती भी हैं, जिन पर आप दावा कर सकते हैं, जैसे- मेडिकल इंश्योरेंस पर धारा 80 डी, निर्दिष्ट संस्थानों को दान पर धारा 80 जी, आदि। इसके जरिये आप अपनी कर योग्य आय को कम कर सकते हैं। इस वजह से अपना रिटर्न दाखिल करते समय उन सभी पर विचार करना सुनिश्चित करें।
किस इनकम टैक्स को फाइल करना होगा? आपके लिए कौन-सा रिटर्न लागू होगा, इसका निर्धारण आपकी आय की प्रकृति, अवधि और करदाता की श्रेणी से होता है। हम यहां कुछ तथ्य बता रहे हैं जिससे यह और स्पष्ट हो जाएगा कि आपके लिए कौन-सा रिटर्न फाइल करना उचित होगाः-
आईटीआर-1: उन व्यक्तियों के लिए जिनकी आय वेतन, एक आवासीय संपत्ति, अन्य स्रोतों (ब्याज आदि) और कुल आय 50 लाख रुपए तक हो। आईटीआर-2: उन व्यक्तियों और हिंदू अविभाजित परिवारों के लिए जो किसी भी मालिकाना हक के साथ कोई व्यापार या पेशा नहीं करते।
आईटीआर-3: उन व्यक्तियों और हिंदू अविभाजित परिवारों के लिए जिनकी आय किसी व्यापार या पेशे पर मालिकाना हक से आती है। आईटीआर-4: बिजनेस या प्रोफेशन से होने वाली अनुमानित आय के लिए। रिटर्न कैसे फाइल करें ?
किसी भी व्यक्ति को इनकम टैक्स फाइलिंग को एक दर्दभरी एक्सरसाइज के तौर पर नहीं देखना चाहिए। हालांकि, सभी करदाताओं के लिए ऑनलाइन टैक्स फाइलिंग अनिवार्य हो गई है, लेकिन यह बहुत आसान है और इसके लिए बहुत अधिक प्रयास की आवश्यकता नहीं है।