नई दिल्ली। सोने में निवेश को सबसे सुरक्षित निवेश माना जाता था, आम आदमी हो या बड़े निवेशक हर किसी की पहली पसंद था सोना । लेकिन 1973 में इसके विमुद्रीकरण होने के बाद साल 1980 तक सोने ने काफी बुरा दौर झेला है। अब फिर एक बार सोना अपने पुराने दौर की तरफ वापस लौट रहा है और इसकी जगह म्युअुचल फंड्स ने ले ली है। शायद यही वजह है कि इसमें केवल एक महीने (नवंबर) में 20,000 करोड़ रुपए का निवेश किया गया है। जबकि सोने से मिलने वाले रिटर्न लगातार गिरते जा रहे हैं। बीते एक साल की बात करें तो निवेश करने के सभी तरीकों में इक्विटी म्युअुचल फंड ने बाजी मारी है।
5 साल में किसका कितना रिटर्न (जनवरी से दिसंबर तक) सोने का यह रिटर्न महंगाई से लड़ने भी सक्षम नहीं है क्योंकि महंगाई अगर 5 फीसदी की दर से भी बढ़ती है तो सोने का रिटर्न निगेटिव ही है।
सोने का सफर साल 1973 – सोने का विमुद्रीकरण किया गया साल 1975 – 45 फीसदी का निगेटिव रिटर्न साल 1980 – 23 फीसदी गिरी वैल्यू
1987 से सोना बना बादशाह 1987 – स्टॉक मार्केट क्रेश होने से 5% बढ़ी सोने की वैल्यू 1998 – आर्थिक सुस्ती में 2% बढ़ी वैल्यू 2008 – के आर्थिक मंदी में फिर बिगाड़ा खेल, 30% गिरी वैल्यू
2009 से 2014 तक तेजी का दौर लेकिन 2008 के बाद आर्थिक मंदी खत्म होने के बाद 2009 से 2014 तक सोना निवेशकों की पहली पंसद बनता चला गया। इस दौरान इस कमोडिटी में जमकर निवेश किया गया।
म्युअुचल फंड क्यों बन रहा पहली पंसद म्युअुचल फंड का प्रदर्शन एक जैसा होता है जिससे निवेशकों का भरोसा बढ़ा है। पोर्टफोलियो डाइवर्सिफाई करने की आजादी होती है। इसके अलावा इसमे टैक्स बेनिफिट भी मिलता है।
क्या कहते है जानकार जानकारों के मुताबिक पिछले दो साल से सोने में निवेश करने वाले निवेशकों को निराश ही हाथ लगी है। इसलिए लोग नए विकल्प तलाश रहे हैं।
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