मंच से बोलते हुए योगेंद्र यादव ने गाजीपुर बॉर्डर पर 9 महीनों से चल रहे आंदोलन पर कहा कि जो हिन्दुतान में पिछले 75 सालो में नहीं हुआ, वह आंदोलन के 9 महीनों में हो गया। इस आंदोलन से सोये हुए किसानों में आत्मसम्मान पैदा हुआ है। इस आंदोलन ने हिन्दू और मुसलमानों को साथ खड़ा कर दिया है। जात बिरादरी का मतलब ही ख़त्म कर दिया। ये किसान हनुमान जी जैसा है, हनुमान जी में असीम ताकत है, वे पहाड़ भी उठा सकते हैं, लेकिन उन्हें खुद नहीं पता था की उनकी ताकत कितनी है। इसी तरह किसान की ताकत भी असीम है, जब किसान खड़ा हो जाए तो उसके आगे कोई खड़ा नहीं हो सकता। इस आंदोलन ने किसान को उसकी ताकत का अहसास करवाया और पीएम मोदी को भी अहसास करवाया कि किसान से पंगा मत ले लेना। ये बात मोदी जी को भी समझ आ गयी है, इसलिए वे बोल नहीं रहे हैं।
यह भी पढ़ें-
कल्याण की शोक सभा में क्यों नहीं गये मुलायम?, विधानसभा चुनाव में मुद्दा बनाएगी भाजपा मुजफ्फरनगर से ही होगी हिन्दू-मुस्लिम एकता की शुरुआत उन्होंने कहा कि ये आंदोलन केवल तीन काले कानून के लिए नहीं रहा, अब ये आंदोलन देश में लोकतंत्र बचाने का आंदोलन हो गया है। किसान आंदोलन की इस पंचायत में ओडिशा से लिंगराज और पश्चिमी बंगाल से जय किसान आंदोलन के कार्यकर्ता भी पहुंचे। योगेंद्र यादव ने मुजफ्फरनगर दंगों का जिक्र करते हुए कहा की मुजफ्फरनगर की इसी धरती पर हिन्दू-मुस्लिम में हिंसा और नफ़रत की बुनियाद डाली गई। हम उसी मुज़फ्फरनगर से हिन्दू-मुस्लिम एकता की शुरुआत करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि 5 सितम्बर को मुजफ्फरनगर की धरती पर संयुक्त किसान मोर्चे की रैली होने जा रही है। मिशन उत्तर प्रदेश से इस किसान आंदोलन को हम पूरे देश में विस्तार करने की दिशा में हम आगे लेकर जाएंगे।
बंगाल में दिया था छोटा सा इजेक्शन उन्होंने कहा कि देश को बांटने वाले लोगों के मंसूबे इस बार पूरे नहीं होंगे। पश्चिमी बंगाल के चुनाव में हमने दखल दिया, हमने किसी पार्टी के लिए वोट नहीं मांगे, बस ये कहा कि किसान विरोधी भाजपा को हराओ। हमें चुनाव नहीं चिड़िया की आंख दिखाई दे रही है। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी को अहंकार की बीमारी है, हम 9 महीनों से साधारण गोली दे रहे हैं, लेकिन इलाज नहीं हो रहा है। बंगाल में छोटा सा इंजेक्शन दिया तो थोड़ा इलाज हो गया। इसलिए अब देश का सबसे बड़ा इंजेक्शन लेकर आ रहे हैं, जो उन्हें किसानों की ताकत का अहसास कराएगा।