आचार्य महाश्रमण ने पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि हमारे भैक्षव शासन में एक आचार्य का विधान है। हम तेरापंथ धर्मसंघ के अद्वितीय आचार्य भारमल की द्विशताब्दी समारोह मना रहे हैं। वे करीब 28 वर्ष युवाचार्य रहे तथा 18 वर्ष तक उनका आचार्य का काल रहा। मेवाड़ के राजनगर में आज की तिथि में उन्होंने जीवन से विदाई ली थी। आज उनका 201वां महाप्रयाण दिवस मना रहे हैं। हम सभी का सौभाग्य है कि उनके जैसे महान व्यक्तित्व के आचार्य धर्मसंघ को प्राप्त हुए। वे आचार्य भिक्षु के अनुशासन में रहे। विशिष्ट व्यक्तित्व बनने के लिए विशेष प्रयास और विशेष तौर पर खपना भी होता है, विशेष सहना होता है, विशेष चलना होता है, विशेष ढलना होता है और कसौटियों पर खरा उतरना होता है, तब जाकर विशेष पद प्राप्त हो सकता है।
उत्तराधिकारी चुना तो कसौटियों पर भी कसा
आचार्य भिक्षु ने उन्हें अपना उत्तराधिकारी चुना तो मानों उन्हें कसौटियों पर कसा भी। किसी भी व्यक्ति द्वारा त्रुटि निकाल दिए जाने पर तेला करने का फरमान जारी किया। उनकी सजगता, सरलता, ऋजुता, विनम्रता ऐसी रही कि कभी तेले की आवश्यकता ही नहीं पड़ी। उनकी गुरु के प्रति विशेष विनयशीलता थी। वे कुशल लिपिकार भी थे। आचार्य ने उनकी हस्तलिखित पुरानी पाण्डुलिपि को प्रमाणिक तौर पर दर्शाते हुए कहा कि उन्होंने इस विधा से कितना लिखा। साधु-साध्वियों को आचार्य भारमल स्वामी के जीवन से आगम स्वाध्याय की प्रेरणा लेने का प्रयास करना चाहिए। आचार्यश्री ने उनके प्रति अपने श्रद्धासुमन चढ़ाते हुए पट्ट से उतर कर खड़े-खड़े ‘मंगलं भारमल्लक:’ कुछ समय तक मंत्र का उच्चरण किया तो चतुर्विध धर्मसंघ ने भी अपने वर्तमान अनुशास्ता का अनुगमन करते हुए मंत्र का समुच्चारण किया। साध्वीवृंद तथा मुनिवृंद ने गीत का संगान कर अपने पूर्वाचार्य को विनयांजलि अर्पित की।
वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष ने किए दर्शन तीन दिवसीय आचार्य भारमल द्विशताब्दी समारोह के समापन समारोह में राजस्थान सरकार के अल्पसंख्यक आयोग के मंत्री व वक्फ बोर्ड अध्यक्ष खानू खान बतौर अतिथि शामिल हुए। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि यह परम सौभाग्य की बात है कि मुझे आज आचार्य महाश्रमण जैसे महान संत के दर्शन का सुअवसर प्राप्त हुआ है। आज हम तेरापंथ के द्वितीय आचार्य भारमल की द्विशताब्दी समारोह मना रहे हैं, मैं उनके चरणों में श्रद्धाप्रणति अर्पित करता हूं। मुझे आचार्य महाप्रज्ञ के दर्शन का भी सौभाग्य मिला था। आचार्य प्रवर आपकी अहिंसा यात्रा पूरी कायनात को सन्मार्ग दिखा रही है। आपने प्रलम्ब यात्रा का जो कीर्तिमान स्थापित किया है, वह वंदनीय है। आप जैसे गुरु को पाकर यह सरजमी पाक हो गई है। मैं आपके आशीर्वाद का मोहताज हूं। मेरे पर आपकी सदैव कृपा बनी रहे। खानू खान का प्रवास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष शांतिलाल बरमेचा ने साहित्य भेंट कर सम्मान किया। इस अवसर पर जैन श्वेताम्बर तेरापंथ महासभा के उपाध्यक्ष संजय खटेड़, प्रवास व्यवस्था समिति के संयोजक भागचंद बरडिय़ा, कोषाध्यक्ष प्रकाशचंद बैद, सुरेन्द्र घोषल, उपाध्यक्ष राजेश दूगड़, ओसवाल पंचायत के सरपंच नरेन्द्र सिंह भूतोडिय़ा, सुरेश कुमार मोदी, प्रताप दूगड़, जेएसटी अध्यक्ष सम्पतराज डागा, महिला मंडल अध्यक्षा प्रीति घोषल सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।