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खरीफ फसलों में खराबे के बाद अब किसानों को रबी से उम्मीदें, बुआई का काम शुरू

locationनागौरPublished: Oct 30, 2021 10:01:20 pm

Submitted by:

Sandeep Pandey

मोतीराम प्रजापत
चौसला. इस बार मानसून लौटने के अंतिम दौर तक बारिश होने से अधिकांश खेतों में चने की बुआई होने की संभावना है। क्षेत्र में 17 अक्टूबर की रात 5 घंटे तक लगातार कभी रिमझिम तो कभी झमाझम बारिश हुई। ऐसे में इस बार रबी की बुआई का आंकड़ा बढ़ेगा। खरीफ फसल खराब होने से किसानों की सारी उम्मीदें अब रबी फसल पर टिकी है।

पत्रिका खेत-खलिहान

कई क्षेत्रों में किसानों ने चने, सरसों, तारामीरा व रायड़े की फसल बुवाई का श्रीगणेश कर दिया है।

जल्दबाजी न करें किसान, 15 नवम्बर तक बुआई का उचित समय

कई क्षेत्रों में किसानों ने चने, सरसों, तारामीरा व रायड़े की फसल बुवाई का श्रीगणेश कर दिया है। लूणवां खारड़े में स्थित खेतों में 7० प्रतिशत किसानों ने चने की बुआई कर दी। वहीं चौसला, लाखनपुरा, भाटीपुरा, कुणी, बनगढ, लोहराणा, डाबसी, गोविन्दी, राजास, जाब्दीनगर क्षेत्र के अधिकांश खेतों में बुआई अब होगी। हालांकि कई किसान अनियमित बारिश से खराब हुई खरीफ फसल को लेकर चिंतित नजर आ रहे है। इस बार सबसे अधिक चने की बुआई की जा रही है। लूणवां क्षेत्र के किसानों का कहना है कि खेतों में खारड़े की चिकनी मिट्टी होने से रबी फसल में काफी फायदा मिलता है। चने की बुआई के बाद अब एक भी मावठ नहीं होती है तो भी चने होकर जाएंगे। यहां 17 अक्टूबर को हुई बारिश से अभी तक मिट्टी पानी से गच है। नावां सहायक कृषि अधिकारी सरला कुमावत का कहना है कि अभी मौसम रबी फसल बुआई के लिए अनुकूल है। बुआई अक्टूबर के अंतिम सप्ताह से 15 नवम्बर तक की जा सकती है। अभी किसान गेहूं, जौ, सरसों, चना, रायड़ा, तारामीरा, जीरा की बुआई कर सकते है।
ऐसे होगा ज्यादा उत्पादन
किसान रबी फसल बुआई को लेकर जल्दबाजी न करें। कृषि विशेषज्ञों से सलाह लेकर बुआई करें। जिससे अधिक पैदावार प्राप्त की जा सके। रबी के लिए सबसे अहम है मिट्टी का परीक्षण। परीक्षण से ही पता चलता है कि मिट्टी में किस तत्व की कमी है और कौन सा तत्व भरपूर मात्रा में उपलब्ध है। मिट्टी में जिस तत्व की उपलब्धता हो, उस अनुसार फसल बुआई से पैदावार अच्छी होती है। इसके साथ उर्वरक उपयोग क्षमता का विशेष ख्याल रखने की जरूरत है। मिट्टी परीक्षण के मुताबिक फसल चक्र अपनाते रहना चाहिए, लगातार एक ही फसल की बुआई से उत्पादन अच्छा नहीं होता।
ताकि दीमक लगने का न रहे खतरा

चौसला क्षेत्र के अधिकतर खेतों में दीमक का प्रकोप है। ऐसे में किसान चने की बुआई से पूर्व बीज को 2 मिली इमिडाक्लोप्रिड(१७.८ एसएल.) को 5० मिली पानी में घोल बनाकर प्रति किलो बीज के हिसाब से प्रयोग करें, ताकि दीमक लगने का खतरा नहीं रहे। पीएसबी एवं राइजोबियम कल्चर की स्टे्रन एसजीएन 94 से बीजोपचार से चने की उपज में बढ़ोतरी होती है।
बुआई का 15 नवम्बर तक सही समय
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार गेहूं की बुआई के लिए 22 अक्टूबर से 15 नवम्बर का समय उचित है। गेहूं की उन्नत किस्म का प्रमाणित बीज ही उपयोग में लेना चाहिए।
इनका कहना

मिट्टी में नमी को देखते हुए अभी बुआई की जा सकती है। 15 नवम्बर तक रबी फसलों की बुआई के लिए उचित समय है।

सरला कुमावत, सहायक कृषि अधिकारी नावां
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