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नागौर

Nagaur. भगवान को शांतिधारा अर्पित करने के साथ हुआ अर्चन

Nagaur. सकल दिगंबर जैन समाज ने शनिवार को आकिंचन्य धर्म की विशेष पूजा की।

नागौरSep 18, 2021 / 10:02 pm

Sharad Shukla

Archana with offering Shantidhara to God

Nagaur. Devotees offering peace stream to God

नागौर. सकल दिगंबर जैन समाज ने शनिवार को आकिंचन्य धर्म की विशेष पूजा की। सुबह भगवान की शांतिधारा करने का सौभाग्य विमल चंद को मिला उन्होंने नकाश गेट स्थित दिगंबर जैन नसिया में दुग्ध से भगवान की शांति धारी करने का सौभाग्य प्राप्त किया इस अवसर पर भजन पूजन द्वारा रंगारंग कार्यक्रम भी आयोजित किया गया। समाज के रमेश चंद जैन ंने बताया पर्युषण पर्व की पूर्णता की और बढ़ते हुए विशेष पूजा में समाज के श्रद्धालू शामिल हुए। इस दौरान हुए प्रवचन में नथमल जैन ने कहा कि जगत में किंचित मात्र भी मेरा नहीं है। यही भाव आकिंचन्य है। आकिंचन्य भाव आता है अध्यात्म की कोख से। त्याग धर्म के पश्चात आकिंचन्य धर्म अपने आप प्रकट होता है। प्रश्न उठता सकता है कि जब सब कुछ त्याग दिया फिर तत्व रूप आत्मा में रमण करने में क्या बाधा है। जैन धर्म के आगम के ग्रंथों में इस प्रश्न का भी समाधान किया गया है कि त्याज्य हुआ वस्तुत: अपकना था ही नहीं। उसी भावना को निकालने का पुरुषार्थ ही आकिंचन्य भाव है। उन्होंने कहा कि कृष्ण का युद्ध भूमि में प्रतिपादित गीता संदेश भी तो आकिंचन्य धर्म का ही प्रतिरूप है। उत्तम आकिंचन्य धर्म श्री कृष्ण के गीता सार और जैन धर्म के सबसे बड़े आचार्य कुंद स्वामी रचित समयसार ग्रंथ का ही प्रकट रूप है। आचार्य कुंद स्वामी ने भी ं इसी शास्वत सत्य को उदघाटित किया है। कर्तापन का भाव मन से सदा के लिए समाप्त कर देना ही आकिंचन्य है।

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