नागौर

बिना स्टाफ के कबाड़ हो गई लाखों रुपए की आयुर्वेद चिकित्सा सामग्री

चार साल पहले नागौर सहित प्रदेश के कई जिलों के लिए खरीदी थी ‘पंचकर्म’ की मशीनरी आयुर्वेद विभाग में चिकित्सकों के साथ अन्य कर्मचारियों के 40 फीसदी से ज्यादा पद रिक्त, नागौर जिला चिकित्सालय में न पीएमओ और न एसएमओ, आयुर्वेद अस्पतालों की स्थिति दयनीय

नागौरSep 23, 2020 / 11:29 am

shyam choudhary

Ayurvedic machine worth millions of rupees wasted without staff

नागौर. हमारे देश की सबसे पुरानी चिकित्सा पद्धतियों में गिनी जाने वाली आयुर्वेद चिकित्सा की जिले में बदहाल स्थिति है। कार्यालय स्टाफ से लेकर चिकित्सा स्टाफ तक के 40 प्रतिशत के अधिक पद रिक्त होने से आयुर्वेद अस्पतालों की स्थिति ठीक नहीं है। नागौर जिले में आयुर्वेद चिकित्सा की बदहाली का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जिला मुख्यालय के जिला अस्पताल में स्वीकृत पीएमओ एवं एसएमओ प्रथम व द्वितीय के सभी पद रिक्त पड़े हैं, मात्र दो एमओ यानी आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारियों के भरोसे जिला मुख्यालय का अस्पताल संचालित हो रहा है। मेडिकल स्टाफ के अभाव में चार साल पहले जयपुर मुख्यालय से उपलब्ध करवाई गई लाखों रुपए की पंचकर्म की मशीनरी भी कबाड़ हो चुकी है। जगह बदलते-बदलते चार साल बाद अब पंचकर्म की मशीनरी को योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा केन्द्र में रखा गया है, जहां चोरों ने मशीनों को तोडफ़ोड़ दिया है।
नागौर जिले में आयुर्वेद विभाग की स्थिति
आयुर्वेद विभाग कार्यालय :
– सहायक निदेशक का पद भरा हुआ है। उप निदेशक का पद खाली है, उनके स्थान पर वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. श्रीगोपाल तिवाड़ी को कार्य व्यवस्थार्थ लगाया हुआ है। अतिरिक्त प्रशासनिक अधिकारी का पद खाली है। सहायक प्रशासनिक अधिकारी व सहायक लेखाधिकारी के पद भरे हुए हैं। वरिष्ठ सहायक का एक पद रिक्त है।
मेडिकल स्टाफ :
– जिले में आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारियों के 178 पद सृजित हैं, जिनमें से 106 भरे हुए हैं, जबकि 72 पद खाली हैं।
– नर्स कपाउण्डर के 153 पद सृजित हैं, जिनमें से 91 पद भरे हुए हैं, जबकि 62 पद खाली हैं।
– परिचारक के 128 पद सृजित हैं, जिनमें से 70 कार्यरत हैं, जबकि 58 रिक्त हैं।

जिला आयुर्वेद चिकित्सालय नागौर
– पीएमओ का पद रिक्त
– एसएमओ प्रथम का पद रिक्त
– एसएमओ द्वितीय का पद रिक्त
– 2 आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी लगे हुए हैं, पूरे अस्पताल की जिम्मेदारी इन्हीं पर है।
– 3 नर्सिंग स्टाफ की पोस्ट है, एक भरी हुई है, दो पद रिक्त है।
– परिचारक का एक पद है, जो भरा हुआ है।
हर जगह उपेक्षा, पुलिस ने भी नहीं दिखाई रुचि
कोरोना महामारी में भले ही आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति को काफी महत्व दिया गया हो, लेकिन स्टाफ और बजट देने में राज्य सरकार आयुर्वेद विभाग की पूरी तरह उपेक्षा कर रही है। विभाग को दिया जाने वाला बजट ऊंट के मुंह में जीरा समान साबित हो रहा है। वहीं जिला अस्पताल के प्राकृतिक चिकित्सा केन्द्र के दो बार ताले तोडकऱ लाखों रुपए की पंचकर्म की मशीनरी को नुकसान पहुंचाने के बावजूद कोतवाली थाना पुलिस ने चोरों को पकडऩे की बजाए एफाआर लगा दी।
प्राकृतिक चिकित्साधिकारी के अभाव में धूल चाट रहा भवन
राज्य सरकार ने जिला मुख्यालय पर आयुर्वेद विभाग में एक योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा अनुसंधान केन्द्र खोला था, लेकिन प्राकृतिक चिकित्साधिकारी के पदों पर भर्ती नहीं करने के कारण अनुसंधान केन्द्र धूल चाट रहे हैं। जिला मुख्यालय पर बना प्राकृतिक चिकित्सा केन्द्र विशेषज्ञों के अभाव में उपेक्षा का शिकार हो गया है।
जो स्टाफ है, उसी से काम चला रहे हैं
तत्कालीन जिला कलक्टर कुमारपाल गौतम के निर्देश पर पंचकर्म की मशीनरी पहले जेएलएन अस्पताल में रखवाई थी, जहां पीएमओ ने स्टाफ उपलब्ध कराने की बात कही थी, लेकिन फिर उनका तबादला हो गया और बाद में कोविड के चलते हमें पंचकर्म की मशीनरी प्राकृतिक चिकित्सा केन्द्र में रखवानी पड़ी। जहां चोरों ने ताले तोडकऱ मशीनरी को नुकसान भी पहुंचाया। कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया, लेकिन पुलिस ने चोरों को पकडऩे की बजाए एफआर दे दी। जिले में आयुर्वेद विभाग में करीब 40 प्रतिशत पद खाली हैं, जो स्टाफ है, उसी से काम चला रहे हैं।
– गोपाल शर्मा, सहायक निदेशक, आयुर्वेद विभाग, नागौर

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