659 कर्मचारी/अधिकार रडार पर, वसूलने हैं 48 लाख सूत्रों का कहना है कि जिले के 2526 कर्मचारी-अधिकारी इसके लिए दोषी पाए गए थे। ये कई बरसों से सस्ता गेहूं उठा रहे थे। पिछले साल लॉक डाउन के दौरान हकीकत का पता चला तो सरकार तक हिल गई। इनके जरिए करीब दो करोड़ साठ लाख रुपए की कीमत के गेहूं उठाकर सरकार को चपत लगाने की असलियत पकड़ी गई। तब से इनसे वसूली चल रही है। अनगिनत नोटिस के बाद भी केवल1867 ने अपना बकाया जमा कराया है, जबकि 659 कर्मचारियों पर अभी भी बकाया चल रहा है। इन पर करीब 48 लाख की वसूली बाकी है। इन कर्मचारी-अधिकारियों के सुस्त रवैये के चलते अब आखिरी कार्रवाई गबन का मामला दर्ज कराने की है।
पुलिस वाले तो मास्टर सबसे ज्यादा सूत्रों के अनुसार नैतिक शिक्षा और ईमानदारी का पाठ पढ़ाने वाले शिक्षक ही नहीं बिजली, जलदाय, स्वास्थ्य, पुलिस, चिकित्सा समेत अन्य विभाग से जुड़े कर्मचारी-अधिकारी भी इसमें शामिल हैं। कई कर्मचारी सस्ता गेहूं कई साल से गरीब बनकर उठा रहे थे। बताया जाता है कि रसद विभाग ने अब इस पर सख्ती शुरू की तो कुछ कार्मिकों ने तुरत-फुरत अपना बकाया जमा करा दिया। अब अंतिम नोटिस जारी कर कार्रवाई का अल्टीमेटम दिया गया है। संभवतया आगे गबन की एफआईआर के बाद संबंधित विभागों से एक्शन लेने की रणनीति तैयार की जाए।
और पकड़ में आएंगे कर्मचारी, नहीं उठ रहा गेहूं सूत्र बताते हैं कि पिछले एक साल से भी अधिक समय से करीब सात हजार राशन कार्ड से गेहूं की खरीद नहीं हो रही। खाद्य सुरक्षा में चयनित इन परिवारों को गेहूं महज दो रुपए किलो मिलता है। ऐसे में कोरोना महामारी और आर्थिक संकट में यह खरीद करने वालों की पड़ताल शुरू हुई तो और सरकारी कर्मचारी पकड़ में आने लगे हैं। यानी सस्ते गेहूं खरीदते पकड़ में आने के डर से ही यह खरीद बंद कर दी गई। अब रसद विभाग एक-एक कार्ड में दर्ज उपभोक्ताओं की पड़ताल कर रहा है। करीब हजार कार्ड की जांच में ही 29 कर्मचारी उपभोक्ता बने पाए गए। पिछले दिनों सामने आया कि करीब छह हजार 987 परिवारों ने राशन की दुकान से सामग्री लेना ही बंद कर दिया, जबकि इस परिवार को गेहूं मात्र दो रुपए किलो में दिया जाता है। ऐसे में शंका गहरी हो गई कि कोरोना काल में जब सरकार गेहूं देने में आगे आ रही है तो ये कौन हैं जिन्होंने राशन की दुकान तक जाना बंद कर दिया। बताते हैं कि इसकी पड़ताल शुरू की गई तो अब सामने आने लगा कि सस्ते गेहूं खरीदते पकड़े गए कर्मचारियों से वसूली के डर से भी इन कार्ड से गेहूं लेना बंद हो गया है। अब कार्ड में दर्ज एक-एक जने की तहकीकात की जा रह है कि इनमें कोई सरकारी कर्मचारी तो नहीं है। जिले में सस्ते गेहूं की खरीद बंद करने वाले 6987 कार्ड में मकराना में सात सौ, रियांबड़ी में 639, जायल में 628, मकराना में 633, डीडवाना में 457, लाडनूं में 653, खींवसर में 434, कुचामन में 269, कुचेरा में 53, मूण्डवा में 624, परबतसर में 422, नागौर में 562 राशन कार्ड शामिल हैं। बताया जाता है कि इनमें काफी संख्या के सरकारी कर्मचारी के होने की आशंका के बाद विभाग सतर्क होकर जांच कर रहा है।
इनका कहना है बकाया को लेकर कर्मचारियों को अंतिम नोटिस देकर तीन दिन का समय दिया है। करीब 659 ने नहीं चुकाया तो थानों में सरकारी राशि के गबन का मामला दर्ज करवाया जाएगा। इनकी नौकरी पर भी आंच आ सकती है। करीब 48 लाख की वसूली बाकी है। राशन लेना बंद करने वाले कार्डों की तहकीकात की जा रही है, उनमें भी कई कर्मचारी सामने आ रहे हैं।
-पार्थसारथी, डीएसओ नागौर