कोरोना से हर कोई डरा-सहमा
कोरोना के घातक संक्रमण के कारण इससे हर कोई डरा और सहमा हुआ है। कोरोना का संक्रमण अब तक वायरसों में से अत्यधिक सुक्ष्म और खतरनाक होने के कारण तेजी से फैलता है। जेएलएन अस्पताल सहित जिलेभर में अब तक एक दर्जन से अधिक डॉक्टर कोरोना संक्रमित हो चुके हैं, ऐसे में मरीज फोन पर ही बीमारी बताकर दवा पूछ रहे हैं।
कोरोना के घातक संक्रमण के कारण इससे हर कोई डरा और सहमा हुआ है। कोरोना का संक्रमण अब तक वायरसों में से अत्यधिक सुक्ष्म और खतरनाक होने के कारण तेजी से फैलता है। जेएलएन अस्पताल सहित जिलेभर में अब तक एक दर्जन से अधिक डॉक्टर कोरोना संक्रमित हो चुके हैं, ऐसे में मरीज फोन पर ही बीमारी बताकर दवा पूछ रहे हैं।
जेएलएन अस्पताल की ओपीडी पर एक नजर
माह – वर्ष 2020 – वर्ष 2019
जनवरी – 24136 – 24057
फरवरी – 28017 – 23704
मार्च – 28198 – 26609
अप्रेल – 12027 – 24884
मई – 14081 – 24705
जून – 15227 – 27033
जुलाई – 17276 – 30222
अगस्त – 17197 – 27392
सितम्बर – 19548 – 33422
अक्टूबर – 19440 – 26486
नवम्बर – 11226 – 26533
माह – वर्ष 2020 – वर्ष 2019
जनवरी – 24136 – 24057
फरवरी – 28017 – 23704
मार्च – 28198 – 26609
अप्रेल – 12027 – 24884
मई – 14081 – 24705
जून – 15227 – 27033
जुलाई – 17276 – 30222
अगस्त – 17197 – 27392
सितम्बर – 19548 – 33422
अक्टूबर – 19440 – 26486
नवम्बर – 11226 – 26533
आईपीडी मरीजों की संख्या 48 प्रतिशत कमी
जिले में तेजी से फैल रहे कोरोना संक्रमण के कारण जेएलएन अस्पताल की आईपीडी में भी कमी आई है। वर्ष 2019 में जहां अप्रेल से नवम्बर तक जेएलएन अस्पताल की आईपीडी 24,756 थी, वहां इस वर्ष इन आठ महीनों में आईपीडी मात्र 13,085 रही है।
जिले में तेजी से फैल रहे कोरोना संक्रमण के कारण जेएलएन अस्पताल की आईपीडी में भी कमी आई है। वर्ष 2019 में जहां अप्रेल से नवम्बर तक जेएलएन अस्पताल की आईपीडी 24,756 थी, वहां इस वर्ष इन आठ महीनों में आईपीडी मात्र 13,085 रही है।
अस्पताल में मरीज कम आने के प्रमुख कारण
– गांव से शहर तक यातायात के साधनों का अभाव।
– कोरोना संक्रमण का डर।
– सामान्य बीमारी का उपचार लोग आयुर्वेदिक तरीके से करने लगे।
– गांव से शहर तक यातायात के साधनों का अभाव।
– कोरोना संक्रमण का डर।
– सामान्य बीमारी का उपचार लोग आयुर्वेदिक तरीके से करने लगे।
आउटडोर व इनडोर दोनों कम हुए
पिछले साल के अक्टूबर-नवम्बर माह के आंकड़े देखें तो नागौर जेएलएन अस्पताल की एमसीएच विंग में बीमार बच्चों का आउटडोर व इनडोर दोनों में भारी कमी आई है। पहले जहां एक-एक बेड पर दो से तीन बच्चों को भर्ती करना पड़ रहा था, वहां अब पूरे वार्ड में ही पांच-छह बच्चे भर्ती हैं। आउटडोर भी पिछले साल की तुलना में 15 से 30 प्रतिशत तक रह गया है। हां, नवजात बच्चों का एसएनसीयू वार्ड लगभग फुल रहता है, इसकी प्रमुख वजह अस्पताल में सामान्य प्रसव के साथ सिजेरियन डिलीवरी तथा प्राइवेट अस्पतालों से भी नवजात बच्चे यहां रेफर होकर आते हैं। कोरोना काल में ज्यादातर लोग फोन पर उपचार पूछने लगे हैं, ताकि उनको अस्पताल नहीं आना पड़े।
– डॉ. विकास चौधरी, शिशु रोग विशेषज्ञ, एमसीएच विंग, जेएलएन अस्पताल, नागौर
पिछले साल के अक्टूबर-नवम्बर माह के आंकड़े देखें तो नागौर जेएलएन अस्पताल की एमसीएच विंग में बीमार बच्चों का आउटडोर व इनडोर दोनों में भारी कमी आई है। पहले जहां एक-एक बेड पर दो से तीन बच्चों को भर्ती करना पड़ रहा था, वहां अब पूरे वार्ड में ही पांच-छह बच्चे भर्ती हैं। आउटडोर भी पिछले साल की तुलना में 15 से 30 प्रतिशत तक रह गया है। हां, नवजात बच्चों का एसएनसीयू वार्ड लगभग फुल रहता है, इसकी प्रमुख वजह अस्पताल में सामान्य प्रसव के साथ सिजेरियन डिलीवरी तथा प्राइवेट अस्पतालों से भी नवजात बच्चे यहां रेफर होकर आते हैं। कोरोना काल में ज्यादातर लोग फोन पर उपचार पूछने लगे हैं, ताकि उनको अस्पताल नहीं आना पड़े।
– डॉ. विकास चौधरी, शिशु रोग विशेषज्ञ, एमसीएच विंग, जेएलएन अस्पताल, नागौर