नागौरPublished: Jul 22, 2018 12:49:09 pm
Sharad Shukla
श्रम कार्यालय से भूमि आवंटन के लिए जिला कलक्टर को कई बार भेजे गए आग्रह पत्र
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नागौर. करीब एक साल बाद भी श्रम विभाग को जिले के श्रमिक सुविधा केन्द्र के लिए जमीन नहीं मिल पाई है। श्रमिकों के सुविधा केन्द्र का बजट मिलने के बाद भी भूमि आवंटन के अभाव में अब तक इसका निर्माण नहीं हो पाया। इसकी वजह से श्रमिकों को सुव्यवस्थित तरीके से न तो योजनाओं की जानकारी मिल पाती है और न ही अन्य सुविधाएं। आधा दर्जन से अधिक आग्रह पत्र जिला कलक्टर को भेजे चुके हैं। आग्रह पत्र के माध्यम से स्पष्ट तौर पर बताया गया कि निर्माण का बजट मिल चुका है। भूमि आवंटन होने पर काम शुरू करा दिया जाएगा। ताकि जिले के श्रमिकों को जल्द से जल्द इस सुविधा का लाभ मिल सके। इसके बाद भी जिला कलक्टर की ओर से इस पर अब तक कोई यथोचित कदम नहीं उठाया जा सका। मुख्यमंत्री के बजट अधिभाषण में सभी जिलों में श्रमिक सुविधा केन्द्र बनाने की घोषणा हुई थी। इसके बाद जिले के श्रम विभाग में इस आशय का स्वीकृति पत्र दिशा-निर्देश के साथ करीब छह माह पूर्व आया। इसमें कहा गया था कि जिला कलक्टर के मार्फत भूमि आवंटन कराने के साथ ही पीडब्ल्यूडी से इसका तकमीना बनवाने के बाद प्रस्ताव मुख्यालय भेज दें। मुख्यालय से आए फरमान के बाद श्रम विभाग की ओर से श्रमिक सुविधा केन्द्र के लिए भूमि आवंटन कराने हेतु कई बार आग्रह पत्र भेजा गया। इसके बाद भी अब तक भूमि का आवंटन नहीं हो पाया।
श्रमिकों को यह मिलती सुविधाएं
विभागीय अधिकारियों के अनुसार भूमि आवंटन होने के बाद 25 लाख के बजट में चार कमरे एवं एक हाल के निर्माण किया जाना था। इसके बनने के बाद जिले के श्रमिकों को सुविधा केन्द्र के मार्फत न केवल श्रमिकों से जुड़ी समस्त सरकारी योजनाओं की जानकारी मिलती बल्कि अन्य जानकारियां भी दी जाती। जिले के श्रमिकों को इस सुविधा केन्द्र के मार्फत सरकारी योजनाओं से जोडऩे की भी मंशा थी, लेकिन निर्माण नहीं होने से अब इस मंशा पर पानी फिरता नजर आने
लगा है।
अस्थाई केन्द्र बनाया, राहत नहीं
विभाग की ओर से फिलहाल जमीन अनुपलब्धता की स्थिति में अस्थाई तौर पर विभागीय परिसर में इस केन्द्र की व्यवस्था की गई है, लेकिन अलग से भवन नहीं होने के कारण इसकी सुविधा का पूरा लाभ श्रमिकों को नहीं मिल पा रहा।
इनका कहना…
सहायक श्रमायुक्त भूराराम गोदारा का कहना था कि भूमि आवंटन होने के बाद इसके लिए तकमीना बनाकर मुख्यालय भेजना था। इसके बाद निर्माण की प्रक्रिया आगे बढ़ती। इसका प्रभार मेरे पास नहीं था। अब फिर से इसका अतिरिक्त प्रभार मुझे मिला है। इसलिए फाइल ही देखकर सही वस्तुस्थिति बता सकता हूं।