कांग्रेस ने डीडवाना से चेतन डूडी, नावां से महेन्द्रसिंह चौधरी, नागौर से हबीबुर्रहमान, जायल से मंजू मेघवाल, मेड़ता से सोनू चितारा, मकराना से जाकिर हुसैन गैसावत, परबतसर से रामनिवास गावडिय़ा एवं खींवसर से सवाईसिंह को टिकट दिया है।
नामांकन भरने के चार दिन बाकी हैं और कांग्रेस ने अभी 48 सीटों पर उम्मीदवार घोषित नहीं किए हैं। इसमें नागौर की डेगाना व लाडनूं भी शामिल है। डेगाना से कांग्रेस के सबसे मजबूत दावेदार माने जा रहे रिछपालसिंह मिर्धा का टिकट रोकना काफी चौंकाने वाला है, वहीं कांग्रेस की सूची ने मिर्धा परिवार के दिग्गज हरेन्द्र मिर्धा के चुनाव लडऩे की संभावनाएं लगभग समाप्त कर दी है। हरेन्द्र मिर्धा के खींवसर, नागौर व परबतसर में से किसी एक सीट पर चुनाव लडऩे की संभावना जताई जा रही थी, लेकिन कांग्रेस ने पहली सूची में तीनों ही सीटों पर दूसरे प्रत्याशियों को टिकट देकर उनके चुनाव लडऩे की उम्मीद को धूमिक कर दिया है। गौरतलब है कि हरेन्द्र मिर्धा लगातार तीन चुनाव हार चुके हैं, जबकि रिछपालसिंह मिर्धा दो चुनाव हार चुके हैं। कांग्रेस ने लाडनूं सीट से भी प्रत्याशी घोषित नहीं किया है।
हबीबुर्रहमान को टिकट मिलने की सूचना मिलते ही उनके गांव बासनी में समर्थकों ने पटाखे फोडकऱ खुशी जताई। वहीं जयपुर स्थित निवास पर समर्थकों ने हबीबुर्रहमान को मिठाई खिलाकर बधाई दी।
नागौर विधायक हबीबुर्रहमान ने भाजपा का दामन छोडकऱ कांग्रेस का हाथ थामा और कांग्रेस ने भी उन्हें चुनाव लडऩे के लिए हाथ का सिम्बल दे दिया है। ऐसे में नागौर विधानसभा चुनाव से टिकट की दावेदारी कर रहे के. राम बागडिय़ा, एचआर कुड़ी, हरेन्द्र मिर्धा, कृपाराम सोलंकी, ओमप्रकाश सेन, राजेन्द्र फिड़ौदा, शमशेर खोखर, हनुमान बांगड़ा, साबिर हुसैन, फरीद खान दायमा, सरोज चौधरी सहित अन्य को साथ लेकर चुनाव लडऩा हबीबुर्रहमान के लिए टेढ़ी खीर रहेगा। गौरतलब है कि एक दिन पहले ही कांग्रेस कार्यालय में हबीबुर्रहमान के खिलाफ कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी कर विरोध की चेतावनी दी थी।