8 सितम्बर 2009 को तत्कालीन प्रधानमंत्री ने साक्षर भारत मिशन की घोषणा की थी। इसमें १५ वर्ष या उससे अधिक आयु के निरक्षर लोगों को साक्षर करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया। जिला स्तर से ग्राम स्तर तक लोक शिक्षा समिति गठित की गईं। और प्रेरकों को प्रतिमाह दो हजार रुपए मानदेय के साथ जिम्मेदारी सौंपी गई। इसके बाद से प्रेरक निरक्षरों को साक्षर करने और ग्राम पंचायत मुख्यालय पर महात्मा गांधी पुस्तकालय और वाचनालयों का संचालन कर रहे हैं। अंशकालीन आधार पर प्रेरकों का कार्यकाल 31 मार्च को समाप्त हो गया था। जिसकी अवधि अब 30 सितम्बर तक बढ़ा दी।
ग्राम पंचायतों पर कार्यरत प्रेरकों को निरक्षर से साक्षर बनाने के अलावा पंचायत स्तर पर कई अन्य कार्य भी करवाए जा रहे हैं। अनुबंध समाप्त होने पर ये कार्य भी प्रभावित होंगे। सूत्रों कहना है कि जिले में कार्यरत प्रेरकों को समय पर मानदेय नहीं मिल पा रहा है। प्रेरकों का भुगतान निदेशालय की ओर से लोक शिक्षा केन्द्रों के खातों में ट्रांसफर किया जाता है। जबकि विभाग का दावा है कि कुछ प्रेरकों के मानदेय में देरी हुई है। इसमें से पुस्तकालय वाली राशि मार्च महीने से नहीं मिली है। केन्द्र सरकार से मिलने वाला मानदेय कुछ प्रेरकों को पिछले 8 महीने से नहीं मिल पाया है।
साक्षर भारत मिशन कार्यक्रम की अवधि 30 सितम्बर को समाप्त हो रही है। अवधि बढ़ाने को लेकर सरकार से अभी तक कोई आदेश नहीं मिले हैं।
रामनिवास रॉयल, जिला समन्वयक, जिला साक्षरता एवं सतत शिक्षा, नागौर