नागौर

रोक के बावजूद खूब उपयोग हो रहा प्लास्टिक, पर्यावरण को पहुंचा रहा नुकसान

– नागौर शहर के कचरे का निस्तारण करने की प्रक्रिया तीन साल से बंद, नगर परिषद हो रही फेल

नागौरApr 23, 2024 / 11:12 am

shyam choudhary

नागौर. सरकार ने प्लास्टिक कैरी बैग के उपयोग पर भले ही रोक लगा दी है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही व अनदेखी के कारण रोजाना बड़ी मात्रा में प्लास्टिक का उपयोग हो रहा है। यह प्लास्टिक पर्यावरण को बड़ी हानि पहुंचा रहा है।गौरतलब है कि हर साल 22 अप्रेल को विश्व पृथ्वी दिवस मनाया जाता है। पर्यावरण शिक्षा के रूप में अमेरिकी सीनेटर गेलॉर्ड नेल्सन की ओर से स्थापित यह दिन पहली बार 22 अप्रेल 1970 को मनाया गया । इस वर्ष, पृथ्वी दिवस की थीम ‘ग्रह बनाम प्लास्टिक’ विषय पर केंद्रित है। यह थीम प्लास्टिक पर ऐतिहासिक संयुक्त राष्ट्र संधि से प्रेरित है, जिसके 2024 के अंत तक स्वीकृत होने की उम्मीद है। साथ ही, इसका उद्देश्य मानव और ग्रह स्वास्थ्य के लिए प्लास्टिक प्रदूषण के नुकसान के बारे में जागरुकता बढ़ाना है। विश्व स्तर पर मनुष्यों और पर्यावरण की बेहतरी के लिए भले वर्ष 2040 तक सभी प्लास्टिक के उत्पादन में 60 प्रतिशत की कमी की मांग की जा रही है, लेकिन नागौर में प्लास्टिक का अंधाधुंध उपयोग किया जा रहा है। इसमें ‘आग में घी डालने’ का काम वो अधिकारी कर रहे हैं, जिन पर पर्यावरण को बचाने व प्लास्टिक का उपयोग रोकने की जिम्मेदारी है। नागौर शहर से रोजाना 50 टन से अधिक निकलने वाले कचरे में सबसे अधिक मात्रा प्लास्टिक की है, जिसका निस्तारण करने का काम यहां पिछले तीन साल से बंद है। इसके चलते शहर के बालवा रोड पर बनाए गए डम्पिंग यार्ड में प्लास्टिक के पहाड़ बन रहे हैं। यही नहीं, जिम्मेदारों के इशारे पर समय-समय पर प्लास्टिक के आग भी लगा दी जाती है । इससे जिससे विशेष रूप से, माइक्रोप्लास्टिक्स, बिस्फेनॉल और फ़ेथलेट्स जैसे प्रदूषक उत्पन्न और उत्सर्जित होते हैं, ये सभी विषाक्त पदार्थ न्यूरोडेवलपमेंट, अंत:स्रावी और प्रजनन कार्यों को बाधित कर सकते हैं।
शहरवासियों के स्वास्थ्य से खिलवाड़

नगर परिषद व शहरवासियों के लिए परेशानी का सबब बने कचरे के प्राकृतिक निस्तारण के लिए कुछ वर्ष पहले नगर परिषद ने एक एजेंसी से एमओयू किया था। उसके तहत एजेंसी को शहर के अपशिष्ट का प्राकृतिक रूप से निस्तारण करना था। एजेंसी ने डम्पिंग यार्ड पर मशीनें लगाकर काफी समय तक कचरे का निस्तारण किया तथा यार्ड के आसपास गड्ढ़ों में भर दिया। बाद में एमओयू खत्म होने पर कम्पनी ने काम बंद कर दिया। पिछले करीब तीन साल से कचरे का निस्तारण करने की बजाए जलाकर शहरवासियों के साथ आसपास के ग्रामीणों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ किया जा रहा है।
योजना बनी पर सिरे नहीं चढ़ पाई

सूत्रों के अनुसार अप्रेल 2019 में नगर परिषद ने शहर में कूड़ा सेग्रीगेशन को लेकर एक कंपनी से एमओयू करने की योजना बनाई थी। इसके तहत नगर परिषद के दायरे में संग्रहित कचरे से खाद बनाने के लिए बालवा रोड स्थित एसटीपी के पास प्लांट लगाना था। इसके अलावा शहर में एक क्विंटल या इससे अधिक कचरा संग्रहण स्थानों पर छोटे प्लांट लगाने थे। इसमें एक प्लांट जड़ा तालाब के पास प्रस्तावित किया गया, लेकिन यह योजना सिरे नहीं चढ़ पाई।
बातें खूब हुई, धरातल पर हुआ कुछ नहीं

पर्यावरण को बचाने व नगर परिषद की आय बढ़ाने के लिए शहर से प्रतिदिन निकलने वाले करीब 50 टन कचरा को एकत्र करके उसमें से प्लास्टिक और कांच को अलग कर कचरे का खाद बनाने की योजना बनाई गई। इसके तहत शहर के 60 वार्डों से घर-घर से कचरा संग्रहण, सूखा व गीला कचरा अलग-अलग करना, डम्पिंग साइट पर सूखा व गीला कचरा अलग-अलग करना, मेटेरियल रिकवरी फैसिलिटी विकसित करना था।
यह व्यवस्था हो तो बने बात

-शहर के कचरे को प्लास्टिक अलग कर सीमेंट फैक्ट्री में भेजा जाए।
– कचरा कलेक्शन से लेकर प्रोसेसिंग तक पूरी प्रक्रिया की जीपीएस सिस्टम से मॉनिटरिंग हो।
– खुले में कचरा फेंकने वालों से जुर्माना वसूला जाए व यूजर चार्जेज वसूल किया जाए।
– बल्क वेस्ट जनरेटर को अपने स्तर पर कम्पोस्ट मशीन लगाने के लिए पाबंद किया जाए।
– निर्माण संबंधी सी एंड डी मलबे का अलग से कलेक्शन किया जाना तय किया जाए।
– कचरे से खाद तैयार कर बेचा जाए, ताकि नगर परिषद की आय बढ़े।
सडक़ों पर कचरा बिखरते हुए चलते हैं ऑटो टीपर

कुछ वर्ष पहले शहर के सूखे व गीले कचरे को अलग-अलग करने के लिए ऑटो टीपर में दो भाग बनाए गए। इसके तहत सूखे कचरे को अलग-अलग श्रेणियों में बांटकर उपयोगी और गैर उपयोगी सामानों को अलग-अलग करना था। इसके साथ गीले कचरे को अलग करना था। लेकिन कचरा उठाने वाले ठेकेदार के कार्मिकों ने गुड़-गोबर एक कर दिया। अब हालात यह है कचरा ढोने वाले टीपर व ट्रक पूरे रास्ते कचरा बिखेरते हुए चलते हैं और उन्हें कहने-टोकने वाला कोई नहीं है। नगर परिषद के जिम्मेदार अधिकारी मॉनिटरिंग करना तक उचित नहीं समझते।
टेंडर हो गए, काम शुरू नहीं किया

शहर के कचरा निस्तारण के लिए जयपुर स्तर से छह महीने पहले टेंडर प्रक्रिया पूरी हो गई, लेकिन अभी तक ठेकेदार ने काम शुरू नहीं किया है।
– मकबुल, सहायक अभियंता, नगर परिषद, नागौर।

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