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नागौर

नहीं मानते ही किसी का आदेश, खुद तय करते हैं किराए की दर

ऑटो या अन्य सवारी वाहन चालक रात में ही नहीं, बल्कि दिन में भी तीन से चार गुना किराए की करते हैं वसूली, शहर के विभिन्न स्थानों पर की गई पड़ताल में सामने आया किराए का काला सच

नागौरJun 14, 2018 / 11:56 am

Sharad Shukla

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नागौर. जिलेभर में रात्रि में ही नहीं, बल्कि दिन में भी ऑटोरिक्शा चालकों द्वारा महज सौ मीटर तक की दूरी का किराया 50 से 100 रुपए तक की वसूला जा रहा है। जिले से बाहर अथवा अन्य प्रदेश का यात्री हुआ तो फिर यह राशि डेढ़ सौ रुपए तक पहुंच जाती है। इस संबंध में शहर के गांधी चौक, बीकानेर रेलवे फाटक आदि क्षेत्रों के पास पड़ताल करने पर पाया कि यह सारा गोरखधंधा कथित मिलीभगत के कारण लंबे समय से चल रहा है।
बाहरी यात्रियों से उगाही
जिले में दरगाह शरीफ या फिर किला आदि में घूमने के लिए बाहरी जिले व प्रदेशों से भी लोग नागौर पहुंचते हैं, लेकिन यहां आते ही उनका सामना ऑटोरिक्शा चालकों की कथित रूप से वसूले जाने वाले दो से तीन गुना किराया की उगाही से होता है। यात्री को असलियत का पता गंतव्य तक पहुंचने पर पता चलता है कि उससे ज्यादा किराया ले लिया गया। इसका विरोध करने पर चालक की अभद्रता यात्रियों पर भारी पड़ती है। बाहर का होने के कारण वह भी चुपचाप निकलने में अपनी बेहतरी समझते हैं। इसी का फायदा सवारी वाहन चालकों में विशेषकर ऑटो व अन्य सवारी वाहनों के चालकों से उठाया जाता है।
गांधी चौक-सब्जीमंडी: 5 बजकर 20 मिनट
सब्जीमंडी के पास सात से आठ ऑटोरिक्शा खड़े मिले। इनमें से एक चालक से सदर बाजार जाने के लिए पूछा तो उसने कहा चलेगा, लेकिन किराया 60 रुपए लगेगा। चालक से कहा कि भाईसाब यह तो ज्यादा है, थोड़ा कम करो। जवाब मिला 50 रुपए दे देना, नहीं तो आप खुद ही चले जाओ। अन्य सवारी वाहन चालकों से बात किसी तो किसी ने 70 रुपए तो किसी ने 80 रुपए तक किराया मांग लिया।
एसबीआई के सामने: 5 बजकर 30 मिनट
यहां पर ऑटोरिक्शा की लाइन लगी हुई थी, सभी यात्रियों को चलने के लिए पुकार रहे थे। इनमें से एक से बस स्टैंड चलने के लिए किराया पूछा तो जवाब मिला कि 80 रुपए। उसे कहा गया कि यहां से बस स्टैंड की दूरी चार-पांच किलोमीटर भी नहीं है तो थोड़ा कम ले लो। उसका जवाब था यहां से घूमकर जाना पड़ेगा, और किराया तो यही देना पड़ेगा। इस पर दूसरे चालकों से बात की तो कोई भी इससे कम में जाने के लिए तैयार नहीं हुआ।
रेलवे स्टेशन चौराहा: 11 बजकर 50 मिनट
शहर के रेलवे स्टेशन चौराहा, एसपी बंगले के सामने एवं कलक्ट्रेट चौराहे पर ऑटो चालकों से मूण्डवा चौराहा का किराया पूछा तो बताया कि 70 रुपए लगेंगे। चालक से पूछा 70 रुपए किस हिसाब मांग रहे हंैंर्। दूरी तो चार-पांच किलोमीटर भी नहीं है। चालक ने बताया कि दूसरे ऑटो से जाओगे तो आपको डेढ़ सौ रुपए देने पड़ेंगे, हम तो आपको बाहर का अंजान समझकर कम पैसे मांग रहेहैं। उसे बताया कि हम यहीं पर रहते हैं तो बोला कि आपकी भाषा ही बता रही है आप बाहर के हैं। आप 70 रुपए दे तो पहुंचा दूंगा, 50 रुपए का कहने पर भडक़ते हुए कहा नहीं जाना है, अब आपको जो कम पैसे में ले जाए, उसमें चले जाओ।
बीकानेर रेलवे फाटक पास: सुबह 11.15 बजे
यहां पर भी पांच से सात ऑटारिक्शा खड़े थे। इनमें से एक से गांधी चौक चलने के लिए किराया पूछा तो उसने 80 रुपए मांगे। किराया ज्यादा बताने पर चालक ने पूछ लिया कहां से आए हो, यहां के नहीं लगते। उसे बताया कि वाराणसी से आया हूं, और किला देखने जाना है तो जवाब मिला जनाब आपको तो नागौर में इससे सस्ता किराया कोई नहीं बताएगा। वहां तक का किराया तो 100 रुपए होता है, लेकिन आपको 20 रुपए कम बताया।
इनको भी नहीं बख्शते
स्थानीय यात्रियों को भी इन चालकों की द्वारा मांगा गया मुंहमांगा किराया देना पड़ता है। विशेषकर आवश्यतानुसार अस्पताल जाना हो या फिर बस स्टैंड, किराया वहीं देना पड़ेगा।

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