यहां उफनते है नाले
शिवबाड़ी- बारिश के दिनों में नालों का पानी सड़कों पर आ जाता है।
नकास गेट-जल निकासी के अभाव में जल भराव।
गाजी खाडा- बारिश में जलमग्न होती है बस्ती।
14.50 लाख हुए थे गत वर्ष खर्च
22 नालों की पिछली बार हुई सफाई
25 नालों की अब होनी है सफाई
25-30 छोटे-बडे नाले है शहर में
बारिश में हर बार समस्या
नेहरू उद्यान के पास चाम्पा से बाड़ी कुआं तक, करणी कॉलोनी में कबीर कुटिया के पास लम्बे समय से सफाई नहीं होने से नाला प्लास्टिक थैलियों व कचरे से जाम है। स्थिति यह है कि हल्की सी बारिश होने पर ही नालों का गंदा पानी सड़कों पर आने लगेगा। बारिश के दिनों में स्थिति और विकट हो जाएगी। शारदापुरम रोड, व्यास कॉलोनी, करणी कॉलोनी, हाउसिंग बोर्ड, दिल्ली दरवाजा ए व बी रोड समेत अन्य जगहों पर नाले डटे हुए हैं। लोगों की लापरवाही से प्लास्टिक व अन्य सामग्री नालों में पड़ी रहने से नाला ऊफनने से पानी सड़कों पर आ जाता है।
निविदा ही नहीं निकाली
गत वर्ष शहर के 22 नालों की सफाई पर करीब 14 लाख 51 हजार रुपए खर्च हुए थे, लेकिन इस बार मानसून नजदीक होने के बावजूद नगर परिषद के जिम्मेदारों ने नालों की सफाई को लेकर कोई कार्रवाई नहीं की। आलम यह है कि शहर में छोटे-बड़े 25 नालों की सफाई करवाई जानी है, लेकिन जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों की खींचतान के चलते अभी टेंडर प्रक्रिया तक नहीं हो पाई। निचली बस्तियों व जल भराव वाले क्षेत्रों में लोगों को परेशानी से दो चार होना पड़ेगा, उनकी पीड़ा से कोई सरोकार नहीं है।
स्वच्छता अभियान भी भूले
शहर में नालों की स्थिति देखकर सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि नगर परिषद के जिम्मेदार देश के प्रधानमंत्री के स्वच्छता अभियान को लेकर कितने गंभीर है। इन दिनों सफाईकर्मियों के कार्य बहिष्कार के चलते शहर में सफाई व्यवस्था बेपटरी है। बारिश से पहले ही नालों की सफाई व अन्य इंतजाम पूरे कर लेने चाहिए, लेकिन जिम्मेदारों ने इस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया। निविदा निकालने से लेकर कार्यादेश जारी होने में इतना समय लग जाता है कि फिर नालों की सफाई का औचित्य नहीं रहता। सफाई होने से पहले आम जनता अधिकारियों की लापरवाही का दंश भुगत चुकी
होती है।
अभी तक नहीं हुए टेंडर
नालों की सफाई को लेकर टेंडर नहीं हुए हैं। टेंडर के बाद कार्यादेश जारी होने पर करीब 25 नालों की सफाई करवाएंगे।
नरेन्द्र सिंह चौधरी, मुख्य स्वच्छता निरीक्षक, नगर परिषद नागौर