शहरवासी भी बने थे भागीदार
पत्रिका अभियान के तहत करीब तीन साल पहले मई 2015 में जड़ा तालाब, मार्च 2016 में गिनाणी, दिसम्बर 2016 में बख्तसागर व अक्टूबर 2017 में किए गए श्रमदान के बाद नगर परिषद सभापति कृपाराम सोलंकी, नगर परिषद व प्रशासन के प्रयासों से काम शुरू हुआ लेकिन की उदासीनता से कार्य को ग्रहण लग गया। जड़ा में नौकायन को लेकर बार-बार डीपीआर बदलती रही वहीं बख्तसागर तालाब का मामला एसीबी में चला गया। इसके बाद प्रताप सागर में गंदे पानी की आवक रोकने व सौंन्दर्यकरण को लेकर प्रयास शुरू किए गए लेकिन नगर परिषद के जिम्मेदारों ने एक भी विकास कार्य का टेंडर नहीं निकाला।
फिर कैसे होगा जल संरक्षण
एक तरफ सरकार व प्रशासन जल संरक्षण व परम्परागत जल स्रोतों व बावडिय़ों को बचाने का ढोल पीट रहे हैं दूसरी तरफ इनको बचाने के लिए कोई सार्थक प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। शहर के तालाबों को बचाने के लिए शहरवासी व भामाशाह बेशक आगे आए लेकिन नगर परिषद के अधिकारी विकास कार्यों की डीपीआर पर कुंडली मारकर बैठ गए तो कहीं सौन्दर्यकरण की फाइलें राजनीति की भेंट चढकर जिम्मेदारों की टेबलों पर धूल फांक रही है। शहर का समस तालाब भी अतिक्रमण की भेंट चढ रहा है वहीं गंदे पानी की आवक भी उसके अस्तित्व को चुनौती दे रही है।
करवाएंगे तालाबों का सौन्दर्यकरण
अमृत मिशन में करीब सवा करोड़ रुपए से सौन्दर्यकरण का कार्य किया जाना है। शहर के अन्य तालाबों का भ्रमण कर उनके सौन्दर्यकरण के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा।
धर्मपाल जाट, आयुक्त नगर परिषद नागौर