नागौर

मंडी समितियों के चुनाव : पांच साल से प्रक्रिया जारी, कष्ट है तो ‘भुगतो’

प्रदेश की 141 कृषि मंडियों में नहीं हो रहे चुनाव- समिति अध्यक्ष सहित अन्य पद रिक्त होने से अटके कई काम, बजट भी नहीं हो रहा उचित जगह खर्च

नागौरOct 26, 2021 / 10:28 pm

shyam choudhary

Elections are not being held in 141 krishi mandis of the state

नागौर. राज्य में वर्तमान में 141 कृषि उपज मंडी समितियों में अध्यक्ष सहित सदस्यों के पद लम्बे समय रिक्त हैं। वजह है सरकार द्वारा पांच से सात साल बाद भी चुनाव नहीं कराना। प्रदेश की 114 मंडियों में समिति का कार्यकाल पूरा हुए 61 महीने (पांच साल से अधिक) हो चुके हैं तो खेरली मंडी का कार्यकाल समाप्त हुए 9 साल हो चुके हैं, इसी प्रकार उदयपुर फल सब्जी मंडी, रानीवाड़ा मंडी, भरतपुर, नगर, बयाना, डींग, कामां, नदबई मंडी का कार्यकाल समाप्त हुए करीब सात साल हो चुके हैं, इसके बावजूद चुनाव कराने को लेकर कोई ‘हलचल’ नहीं है, जबकि विधानसभा में सरकार ने जवाब देते हुए कहा कि कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। यानी यह प्रक्रिया और कितने दिन चलेगी, इसका जवाब किसी के पास नहीं है। ऐसे में यदि किसानों व व्यापारियों को कोई ‘कष्ट’ हो रहा है तो उसे भुगते।
राज्य की कांग्रेस सरकार एक तरफ किसानों के साथ कृषि बिलों के विरोध में यह कह रही है कि इन बिलों के लागू होने से मंडियां खत्म हो जाएंगी और दूसरी तरफ खुद ही राजस्थान में पिछले करीब तीन साल से राज कर रही है, लेकिन मंडी समितियों के चुनाव नहीं करवा रही है। गौरतलब है कि राजस्थाान कृषि उपज मंडी अधिनियम- 1961 के तहत हर पांच साल में मंडी समितियों के चुनाव होने चाहिए, लेकिन प्रदेश की 141 मंडियों में लम्बे समय से चुनाव नहीं हो रहे।
चुनाव के अभाव में चल रही अधिकारियों की मनमर्जी
मंडी समितियों के चुनाव नहीं होने से कृषि मंडियों का बजट उचित जगह खर्च नहीं हो रहा है। सरकार ने अधिकारियों को प्रशासक बना रखा है, जिनको पहल तो खुद के काम से फुर्सत नहीं मिलती और दूसरा, जनता के प्रतिनिधि नहीं होने से अधिकारी अपनी मनमर्जी से काम कर रहे हैं। किसानों एवं मंडी व्यापारियों का कहना है कि बजट उचित जगह खर्च नहीं हो रहा है। साथ ही ऐसी कई समस्याएं हैं, जिनका मंडी समिति के अभाव में समाधान भी नहीं हो रहा है।
नागौर की पांच मंडी शामिल
प्रदेश की 141 में नागौर जिले की डीडवाना, डेगाना, कुचामनसिटी, नागौर व मेड़ता सिटी की मंडी समितियां भी शामिल हैं, जहां पिछले 61 महीने से अध्यक्ष के पद रिक्त पड़े हैं।

इन कृषि उपज मंडी समितियों का कार्यकाल हो चुका समाप्त
प्रदेश की महवा मंडी का 4 अक्टूबर 2017 को, उदयपुर फल सब्जी का 5 जुलाई 2015 को, रानीवाड़ा का 8 सितम्बर 2015 को, भरतपुर, नगर, बयाना, डींग, कामां व नदबई का 11 दिसम्बर 2015 को कार्यकाल पूरा हो गया। इसी प्रकार चौमूं फल सब्जी मंडी का 12 अक्टूबर 2018 को, शाहपुरा का 16 अप्रेल 2017 को, चौमहला मंडी का 17 दिसम्बर 2016 को, जयपुर अनाज मंडी का 21 नवम्बर 2016 को एवं गुढ़ा गौडज़ी, बस्सी, दूनी, बज्जू, पलसाना, छोटीसादड़ी व भगत की कोठी अनाज मंडी का 25 जनवरी 2019 को कार्यकाल पूरा हो चुका है। देई मंडी का 27 अक्टूबर 2016 को, हनुमानगढ़ का 29 जुलाई 2020 को, बड़ौदामेव, कोटा फल सब्जी व अन्ता मंडी का 30 नवम्बर 2020 को, खेरली का 4 दिसम्बर 2012 को तथा राजधानी मंडी कुकरखेड़ा का 25 जनवरी 2019 को कार्यकाल समाप्त हो चुका है।
114 मंडियों में 61 महीने से अध्यक्ष का पद रिक्त
अजमेर फल सब्जी, अजमेर अनाज, विजयनगर, मदनगंज किशनगढ़, गंगापुर, माण्डलगढ़, बिजौलया, देवली, मालपुरा, टोंक, उनियारा, धौलपुर, खाजूवाला, लूणकरणसर, श्री डूंगरगढ़, चूरू, रतनगढ़, सादुलपुर, सरदार शहर, सुजानगढ़, भादरा, गोलूवाला, नोहर, पीलीबंगा, सादुलशहर, सूरतगढ़, बांदीकुई, दौसा, लालसोट, महुआ मण्डावर, मण्डावरी, चाकसू, किशनगढ़ रेनवाल, बालोतरा, बाड़मेर, जैसलमेर, भीनवाल, जालोर, सांचौर, बिलाड़ा, पीपाड़सिटी, जैतारण, पाली, रानी, सोजत रोड, सुमेरपुर, अटरू, बारां, छबड़ा, बूंदी, केशोरायपाटन, सुमेरगंज, भवानीमंडी, इकलेरा, झालरापाटन, खानपुर, हिण्डौन, रामगंजमंडी, गंगापुरसिटी, सवाईमाधोपुर, चिड़ावा, झुंझुनूं, नवलगढ़, सूरजगढ़, डीडवाना, डेगाना, कुचामनसिटी, नागौर, फतेहपुर, नीमकाथाना, श्रीमाधोपुर, अनूपगढ़, गजसिंहपुर, घड़साना, केसरीसिंहपुर, पदमपुर, रावला, रिडमलसर, श्रीगंगानगर अनाज, श्रीगंगानगर फल सब्जी, श्रीविजयनगर, बांसवाड़ा, बड़ी सादड़ी, बेगू, चित्तौडगढ़़, कपासन, निम्बाहेड़ा, प्रतापगढ़, डूंगरपुर, राजसमंद, आबूरोड, फतहनगर, बीकानेर अनाज, बीकानेर फल सब्जी, नोखा, अलवर, कोटपूतली, जयपुर फल सब्जी, फलौदी, सीकर, रायसिंहनगर, श्रीकरणपुर, उदयपुर अनाज, मेड़ता सिटी, इटावा, चौमूं, कोटा अनाज, रावतसर, संगरिया, केकड़ी, भीलवाड़ा, निवाई व खैरथल मंडी का 25 सितम्बर 2016 को कार्यकाल पूरा हो गया था।
राज्य सरकार का दोगला रवैया
मंडी समिति के चुनाव के लिए वर्ष 2016 में एक बार प्रक्रिया शुरू हुई थी, जिसके तहत मतदाता सूची भी तैयार हो गई थी। मैं खुद चुनाव लडऩे की तैयारी कर रहा था, इसलिए दो बार तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से भी मिला था और उन्होंने सकारात्मक आश्वासन दिया, लेकिन बाद में सरकार बदल गई। अब कांग्रेस सरकार तीन साल बाद भी इसको लेकर कोई बात नहीं कर रही है, जबकि किसान हितैषी होने का ढोल पीट रही है। यह सरकार का दोगला रवैया है।
– जगवीर छाबा, उपाध्यक्ष, कृषि मंडी व्यापार मंडल, नागौर
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