उक्त विक्रय पत्र के अनुसार उत्तर में विक्रेता अनोपचंद भूखण्ड संख्या 25 व दक्षिण में भूखण्ड संख्या 23 दर्शाया हुआ है। इस प्रकार हुलाशचंद सोनी ने स्वीकार किया है कि उसके भूखण्ड के उत्तर में परिवादी के स्वामित्व की जायगा है। इसके अलावा अन्य लोगों को भी यह पूर्ण जानकारी थी कि वादग्रस्त जायगा परिवादी के पिता अनोपचंद के स्वामित्व व कब्जे की है।
परिवादी ने रिपोर्ट में बताया कि गोगेलाव ग्राम पंचायत सरपंच रूपा देवी एवं वार्ड पंच जितेन्द्र व सीताराम तथा ग्रामसेवक आशाराम सुथार, सरपंच का रिश्तेदार नवलाराम आदि ने मिलीभगत कर बेईमानपूर्वक आपराधिक षडय़ंत्र करके परिवादी के स्वामित्व की 125 गुणा 60 वर्ग फुट भूमि, जो परिवादी की आवासीय योजना के नक्शे के प्लॉट संख्या 25 से 29 के रूप में दर्शाई गई है, उक्त भूमि को बेईमानी व धोखे से हड़प करने के लिए गोगेलाव निवासी हनुमंत पुत्र पुसाराम सुथार ने अन्य आरोपियों के प्रेरित करने पर पुराना कब्जा बताते हुए अपने नाम से फर्जी पट्टा जारी करने के लिए 20 जनवरी 2016 को सरपंच रूपादेवी के समक्ष आवेदन पेश किया। आवेदन में दक्षिण में हुलासचंद सोनी का मकान व उत्तर में जानबूझकर मंगला सरगरे का प्लॉट दर्शाया, जबकि हनुमंत ने अपने हस्ताक्षरों से जो नक्शा पेश किया है, उस नक्शे में उत्तर की तरफ बोथरों की जमीन होने का उल्लेख किया है व अपने शपथ पत्र में उत्तर में हुलास सोनी लिखकर कांट छांट की गई है और कोई पड़ौस नहीं दर्शाया है। हनुमंत के नक्शे व शपथ पत्र पर कोई तारीख का भी अंकन नहीं है।
न नोटिस चस्पा किया, न तारीख लिखी
इन सारे तथ्यों से यह स्पष्ट होता है किए पट्टा बनाने की पत्रावली एक ही दिन में तैयार कर बेईमानी पूर्वक हड़प करने की नियत से षडय़त्र रचा। इसके अलावा ग्राम पंचायत की पत्रावली में किन व्यक्तियों के समक्ष आपत्ति नोटिस चस्पा किए गए व किस तारीख व किस स्थान पर नोटिस चस्पा किया गया, इसका कोई उल्लेख नहीं है। इससे पूरी कार्यवाही स्पष्टतया फर्जी प्रकट होती है। परिवादी ने बताया कि सभी आरोपियों ने मिलकर परिवादी की मूल्यवान सम्पति को धोखे से हड़प करने की नियत से आपराधिक षडय़ंत्र करके कूटरचित दस्तावेज तैयार कर लिए व हनुमंत के नाम से फर्जी पट्टा जारी किया है। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की है।
इन सारे तथ्यों से यह स्पष्ट होता है किए पट्टा बनाने की पत्रावली एक ही दिन में तैयार कर बेईमानी पूर्वक हड़प करने की नियत से षडय़त्र रचा। इसके अलावा ग्राम पंचायत की पत्रावली में किन व्यक्तियों के समक्ष आपत्ति नोटिस चस्पा किए गए व किस तारीख व किस स्थान पर नोटिस चस्पा किया गया, इसका कोई उल्लेख नहीं है। इससे पूरी कार्यवाही स्पष्टतया फर्जी प्रकट होती है। परिवादी ने बताया कि सभी आरोपियों ने मिलकर परिवादी की मूल्यवान सम्पति को धोखे से हड़प करने की नियत से आपराधिक षडय़ंत्र करके कूटरचित दस्तावेज तैयार कर लिए व हनुमंत के नाम से फर्जी पट्टा जारी किया है। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की है।