शहर क्षेत्र में पुलिस लाइन के सामने कानून के पहरेदारों के बीच काट डाले गए रहे पेड़, किसी ने भी रोकने की जहमत नहीं उठाई
नागौर•Sep 12, 2018 / 11:53 am•
Sharad Shukla
Two kilometers 57 lakhs for wall, rescue center, nursery
नागौर. पहले तो सरकारी भूमि पर पौधरोपण किया, फिर उनकी करीब पांच साल तक देखभाल की, लेकिन बड़े होने के बाद आंखों के सामने खटकने लगे तो उन्हें काट डाला। जी हां…! यह पूरी तरह से सच है, और हरे-भरे दरख्तों पर कुल्हाड़े चलने का खेल घंटों कानून के पहरेदारों भरेे पुलिस लाइन के सामने ही चलता रहा, लेकिन इनमें से किसी ने भी इन्हें टोकने तक की जहमत नहीं उठाई। इस दौरान सामने ही महाविद्यालय में चुनाव प्रक्रिया चलने के दौरान कई अधिकारियों की गाडिय़ां इस रास्ते से होकर गुजरी, रुकी भी, लेकिन किसी ने भी कार्रवाई कराने की चुस्ती नहीं दिखाई। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार पुलिस लाइन के निकट एक व्यक्ति की ओर से अपने ही मकान के सामने राजकीय भूमि पर कुछ वर्षों पहले कुछ पौधे लगाए गए। इसके बाद बड़े होने तक उनकी बाकायदा देखभाल भी की गई। मंगलवार को उस कथित ने अपने ही घर के सामने लगे नीम आदि अन्य पेड़ों को कटवा डाला। पेड़ों को काटने का खेल कई घंटे तक चलता रहा। इस संबंध में वन विभाग के कार्यवाहक एसीएफ नानक सिंह का कहना है कि वन विभाग की भूमि में हरे पेड़ कटे या फिर गीली लकड़ी लकड़ी ले जाने का मामला होने पर ही विभाग कार्रवाई कर सकता है, नहीं तो शहरी क्षेत्र में हरे पेड़ काटे जाने पर कार्रवाई के लिए नगरपरिषद जिम्मेदार है। वन विभाग इसमें कोई कार्रवाई नहीं कर सकता। अब इसमें सवाल यह उठता है कि हरे पेड़ तो कटे, फिर इसकी गीली लकडिय़ां कहां चली गई। इस पर कौन कार्रवाई करेगा, सरीखे प्रश्नों पर जिम्मेदार मौन रहे।
कहां चली गई गीली लकडिय़ां…?
हरे पेड़ों को काटे जाने के बाद उसमें निकली गीली लकडिय़ां भी खुर्दबुर्द कर दी गई। जानकारों के अनुसार कटने के बाद पेड़ों की हरी गीली लकडिय़ों से ट्रेक्टर ट्राली भर गई। इसके बाद उनको परिवहन कर कही पहुंचा दिया गया। जबकि गीली लकडिय़ों का परिवहन बिना प्रशासनिक अनुमति के नहीं किया जा सकता है। पकड़े जाने पर वन विभाग की ओर से कार्रवाई की जाती है, लेकिन इस प्रकरण में गीली लकडिय़ों के अवैध रूप से परिवहन के मामले में भी कोई कार्रवाई नहीं किए जाने की स्थिति ही प्रशासनिक अव्यवस्था की पोल खोलती नजर आई।