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नागौर

बच्चों की स्किल पर भारी-भरकम मुश्किल

ग्राउण्ड रिपोर्ट
पत्रिका न्यूज नेटवर्कनागौर. बच्चों के ‘स्किल पर लापरवाही की धूल है। इसके डवलपमेंट के लिए कहीं साधन-संसाधन की तंगी है तो कहीं स्कूल ही अपने बच्चों का भविष्य ‘चमकाने’ में फिसड्डी हैं।

नागौरOct 17, 2021 / 09:37 pm

Sandeep Pandey

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बच्चों को मास मीडिया, मार्केटिंग ही नहीं हैंडीक्राफ्ट और ट्रेवल एण्ड ट्यूरिज सब्जेक्ट भी पढऩे को सीबीएसई ने करीब डेढ़ साल पहले स्किल डवलपमेंट कोर्स का सकुर्लर जारी किया था,बच्चों को मास मीडिया, मार्केटिंग ही नहीं हैंडीक्राफ्ट और ट्रेवल एण्ड ट्यूरिज सब्जेक्ट भी पढऩे को सीबीएसई ने करीब डेढ़ साल पहले स्किल डवलपमेंट कोर्स का सकुर्लर जारी किया था

सीबीएसई से सम्बद्ध नागौर जिले के अधिकांश प्राइवेट स्कूल भी इस लिहाज में अभी पिछड़ रहे हैं। कई स्कूलों ने तो सीबीएसई तक अपने बच्चों की स्किल के लिए जानकारी लेना तक मुनासिब नहीं समझा। कुछ कोरोना की आड़ लिए बैठे हैं।
सूत्रों के अनुसार कक्षा छह के बच्चों को मास मीडिया, मार्केटिंग ही नहीं हैंडीक्राफ्ट और ट्रेवल एण्ड ट्यूरिज सब्जेक्ट भी पढऩे को सीबीएसई ने करीब डेढ़ साल पहले स्किल डवलपमेंट कोर्स का सकुर्लर जारी किया था। कोरोना के चलते बीच में मामला अस्त-व्यस्त रहा पर स्कूल ऑनलाइन एजुकेशन के नाम से पढ़ाई करवाते रहे। पिछले सत्र से ही यह सब शुरू हो चुका था, लेकिन स्कूलों ने अपनी तरफ से कोई जहमत नहीं उठाई। वो चाहते तो स्किल डवलपमेंट कोर्स का एक विषय पढ़ाई में और जोड़ा जा सकता था।
नई पीढ़ी को रोजगारोन्मुख करने के लिए नई पीढ़ी को रोजगारोन्मुख करने के लिए स्किल कोर्स वैकल्पिक/ एच्छिक विषय का इंतजाम किया गया है। कक्षा छह से ग्यारहवीं तक के लिए पिछले सत्र से सीबीएसई यह प्रारंभ होना था। फ्यूचर में रोजगार की संभावनाओं को देखते हुए इस तरह के कोर्स शुरू करने के लिए स्कूल पाबंद किए गए थे। सीबीएसई कक्षा 6 से स्किल डवलपमेंट कोर्सेस को विस्तार दिया था। यह स्किल कोर्स अतिरिक्त छठे विषय के तौर पर है। यह 12 घंटे का अल्पावधि का मॉड्यूल है। स्टूडेंट कक्षा 6, 7 या 8 में से किसी में भी इसे चुनने के लिए स्वतंत्र हैं। इनके छात्रों के लिए कम से कम एक स्किल कोर्स शुरू करना है
हालत ऐसी कि बस…

सूत्रों के अनुसार नागौर जिले में दो दर्जन निजी तो मॉडल स्कूलें हैं। इसके बाद भी अधिकांश स्कूलों ने तो आगे बढऩा ही उचित नहीं समझा। इक्का-दुक्का स्कूलों को छोड़कर सबने अभी पहल ही नहीं की जबकि मॉडल स्कूलों में भी कोई खास नहीं हुआ। हालत तो यह है कि निजी स्कूलों के पास स्किल कोर्स में चयनित विषय के अध्यापक नहीं हैं। जबकि ट्रेनिंग और शिक्षकों की उपलब्धता में सीबीएसई ने स्कूलों की मदद करने का भी वादा किया है।
यह होगा फायदा

पिछले सत्र से डिजाइन थिंकिंग, शारीरिक क्रियाकलाप प्रशिक्षक और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस को लागू किया गया था। कहने को तो 37 स्किल कोर्स पहले से ही चलाए जा रहे हैं। जिनमें सेकंडरी स्टूडेंट्स के लिए 17 और सीनियर के लिए 37 स्किल कोर्स हैं। कक्षा छह से आठ आर्टिफिशयल इंटेलीजेंस, ब्यूटी एण्ड वेलनेस, डिजाइन थिंकिंग, फाइनेंशियल थिंकिंग, हैंडीक्राफ्ट, इनफोर्मेशन टेक्नॉलोजी, मार्केटिंग, मास मीडिया और ट्रेवल एण्ड ट्यूरिज्म।कक्षा नौ व दसफील्ड एग्जीक्यूटिव, मार्केटिंग असिस्टेंट, ट्यूर गाइड, बिजनस करोसपोंडेंट, आईटी एग्जीक्यूटिव समेत 17 विषय इसके लिए निर्धारित किए गए हैं।
इनका कहना है

न्यू एजुकेशन पॉलिसी आने के बाद इसका व्यापक स्वरूप सामने आएगा। अभी करियर बनाने के अनुरूप बच्चे विषय लेते हैं। पहल अच्छी है, इस पर बच्चों का फीड बैक भी काफी अच्छा है।-
रमेश जोशी, प्रिंसिपल एलके सिंघानिया स्कूल गोटन०००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००आर्टिफिशयल इंटेलीजेंस, हेण्डीक्राफ्ट, इनफोर्मेशन टेक्नोलोजी आदि में बच्चे अधिक रुचि दिखा रहे हैं। उनके यहां राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद के कोर्स चल रहे हैं, फिर इन कोर्स के हिसाब से शिक्षक भी तो होने चाहिएं।प्रदीप पूनिया, प्रिंसिपल मॉडल स्कूल डीडवाना०००००००००००००००००००००००००००००००००००००००
कोरोना की वजह से सब रुक गया। इसे धरातल पर आने में अभी टाइम लगेगा।

-ललित पाराशर, संचालक आकांक्षा इंटरनेशनल स्कूल नागौर

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