नागौर

सरकारी सिस्टम पर भारी पड़ रहे झोलाछाप डॉक्टर

– कठोर कानून के अभाव में नहीं हो पाती प्रभावी कार्रवाई, कार्रवाई करने वाले अधिकारी हुए निराश – नागौर जिले में 200 से अधिक झोलाछाप डॉक्टर कर रहे आमजन के जीवन से खिलवाड़- सरकार ने तबादलों में निकाल दिए चार महीने

नागौरMar 24, 2019 / 10:42 pm

shyam choudhary

nagaur news

नागौर. कानून की खामियों का फायदा उठाकर झोलाछाप डॉक्टर एवं नीम हकीम जिले में आमजन के स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रहे हैं। बिना डिग्री व अधूरे ज्ञान के बावजूद मरीजों को ऐलोपैथिक दवाइयां देने वाले झोलाछाप डॉक्टर की पहुंच इतनी ऊंची है कि चिकित्सा विभाग के अधिकारी भी उनके खिलाफ कार्रवाई करने से कतराते हैं। कुछ अधिकारियों ने दो-चार बार कार्रवाई भी की, लेकिन नियमों की खामियां व सबूतों के अभाव में उनका बाल भी बांका नहीं हुआ।
करीब तीन साल पहले तत्कालीन जिला कलक्टर राजन विशाल के निर्देश पर चिकित्सा विभाग द्वारा करवाए गए सर्वे में जिलेभर में 200 से अधिक झोलाछाप व नीम हकीमों द्वारा प्रैक्टिस करने के मामले सामने आए थे, जिसके बाद कलक्टर ने सीएमएचओ व सभी बीसीएमओ के लक्ष्य निर्धारित करते हुए प्रत्येक माह कम से कम एक नीम हकीम को पकडकऱ उसके विरूद्ध एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिए थे, लेकिन ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई। वर्तमान में जिले में झोलाछाप की संख्या 250 पार कर गई है।
मूण्डवा में सरकारी अस्पताल के सामने चला रहा क्लीनिक
जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर मूण्डवा तहसील मुख्यालय पर राजकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के सामने एक झोलाछाप डॉक्टर पिछले 20-25 वर्षों से क्लीनिक लगाकर प्रैक्टिस कर रहा है। तीन साल पहले इस झोलाछाप के खिलाफ तत्कालीन सीएमएचओ ने कार्रवाई की, लेकिन झोलाछाप का बाल बांका नहीं हुआ, लेकिन सीएमएचओ को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी। इसी प्रकार मूण्डवा क्षेत्र के संखवास, रूण, सैनणी, माणकपुर, झुझण्डा सहित अन्य गांवों में झोलाछाप जमकर प्रैक्टिस कर रहे हैं, जिनके खिलाफ कुछ अधिकारियों ने कार्रवाई भी की, लेकिन प्रैक्टिस बंद नहीं हो पाई।
करेंगे सख्त कार्रवाई
नागौर सहित प्रदेश भर में झोलाछाप डॉक्टर व नीम हकीमों द्वारा प्रैक्टिस करने की शिकायतें हैं। यह एक बड़ी समस्या है समाज के लिए। कोई व्यक्ति अप्रशिक्षित होने व डॉक्टर के पेशे में पारंगत नहीं होने के बावजूद उपचार उपलब्ध कराने का प्रयास करता है, जिससे कई बार मरीज का अहित हो जाता है। ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई के लिए सीएमएचओ को कार्रवाई करने का अधिकार है। फिर भी यदि कोई व्यक्तिगत शिकायत मिलेगी तो उसके खिलाफ विशेष कार्रवाई की जाएगी।
डॉ. समित शर्मा, विशिष्ट शासन सचिव, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, राजस्थान

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