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नागौर

सांभर झील में ‘राम सेतु’ की याद दिलाता यह पुल

1850 में अंग्रेजों ने करवाया था गुढ़ासाल्ट-झपोक डेम का निर्माण, संरक्षण न होने के कारण तीन दशक से अनुपयोगी

नागौरMar 09, 2021 / 11:32 am

Rudresh Sharma

sambhar lake

1850 में अंग्रेजों ने करवाया था गुढ़ासाल्ट-झपोक डेम का निर्माण, संरक्षण न होने के कारण तीन दशक से अनुपयोगी

मोतीराम प्रजापत @ चौसला (नागौर) . देश की दूसरी सबसे बड़ी खारे पानी की नमक से समृद्ध विश्वप्रसिद्ध सांभर झील विरासत से लबरेज है। यहां एक दर्जन से अधिक प्राचीन स्थल हैं। अंग्रेजों द्वारा 1870 में निर्मित देश का एकमात्र साल्ट म्यूजियम भी यहीं है। पर्यटन की दृष्टि से सब कुछ होते हुए इस झील को अब तक उतना बढ़ावा नहीं मिला, जितना मिलना चाहिए था।
नागौर जिले के गुढ़ासाल्ट और जयपुर जिले के झपोक ग्राम के बीच का पुल ‘राम सेतु’ की याद दिलाता है। अंग्रेजों ने यह पुल 80 प्रतिशत पत्थरों से बनवाया था। समुद्र तल से 1200 फीट की ऊंचाई पर बने इस पुल की लम्बाई 5.16 किलोमीटर है। यह पुल गुढ़ा साल्ट को झील के उस पार जयपुर-अमजेर जिले की सीमाओं से जोड़ता है। अंग्रेजों ने झील में आरपार पुल बनाने में उच्च तकनीक व बड़े पैमाने पर पत्थरों उपयोग किया था। इस कारण आसानी से एक लंबा रास्ता तो बना। साथ ही समय के साथ यह इतना मजबूत भी बना कि झील के अथाह पानी का दबाव सह सके।
किनारों से नमक लाने के लिए किया निर्माण
जानकारी के अनुसार 1835 में ब्रिटिश सेनानायकों ने एक संधि के जरिये झील का कारोबार अपने जिम्मे लिया। इसके बाद अलग-अलग अवधि में जयपुर-जोधपुर रियासत और ब्रिटिश कंपनी के बीच साझा कारोबार हुआ। उसके बाद सन 1870 में अंग्रेजों ने सांभर झील पूरी तरह अपने नियंत्रण में ले ली थी। वे यहां से देश-विदेश में नमक का कारोबार करने लगे। इस दौरान उन्होंने गुढ़ा साल्ट में झील किनारे दो ऐतिहासिक पुल व कई भवन बनवाए। उन्होंने सन् 1850 में ही इस पुल का निर्माण करवाया था। झील के बीच आरपार इतने बड़े पुल का निर्माण करवाने का उद्देश्य एक मात्र जयपुर व अजमेर जिले की सीमा से नमक को गुढ़ासाल्ट रेलवे स्टेशन पर लाना था। पुल बनाने के बाद उन्होंने इस पर लाइन बिछा कर लकड़ी के डिब्बों की अनोखी रेल चलाई, जो अभी झील में दौड़ती है, लेकिन इस पुल पर 1990 के बाद रेल नहीं दौड़ी। पिछली सरकार ने दो किमी तक पुल का जीर्णोद्धार करवाया था। इसके बाद शाही टे्रन चलती है, लेकिन यह पुल नागौर साइड में तीन किमी तक बरसों से अनुपयोगी पड़ा है।

दिखता है झील का अद्भुत रूप

जब झील पानी से लबालब रहती है, तब इस पुल को देखने का मजा ही कुछ और होता है। तब यह हूबहू ‘राम सेतु’ की तरह नजर आता है। पानी जब तेज हवा से लहराता हुआ दोनों तरफ डेम से टकराता है तो अद्भुत आकर्षण का केंद्र होता है। साफ पानी और झील का सौंदर्य हर किसी को आश्चर्यचकित करता है।

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