नेत्रदान को लेकर समस्त जनप्रतिनिधियों के साथ बैठक/कार्यशाला कर उन्हें जागरुकता फैलने के लिए कहा जाता है। चिकित्सा विभाग अपने स्तर पर जनता को भी अवेयर करता है। इसमें और तेजी लाएंगे।
डॉ. सुकुमार कश्यम, सीएमचओ नागौर
संदीप पाण्डेयनागौर. नेत्रदान का आधा-अधूरा इंतजाम नागौर जिले का ‘नसीबÓ बन गया है। जागरुकता की कमी और रूढि़वादी सोच के चलते नागौर अन्य जिलों की अपेक्षा इस लिहाज से काफी पीछे है।
नागौर•Feb 28, 2020 / 10:25 pm•
Sandeep Pandey
जिले में नेत्रदान का सालाना औसत तीन के आस-पास है।