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नागौर

बारिश नहीं हुई तो फिर सूख जाएंगी पूरी फसलें

नागौर में पर्याप्त मात्रा में बारिश नहीं होने से सूखे सरीखे हालात नजर आने लगे हैं। खेतों में लहलहाती फसलें अब बारिश नहीं होने से सिंचाई के अभाव में सूखने लगी हैं।

नागौरSep 03, 2018 / 12:10 pm

Sharad Shukla

Nagaur patrika

Will pay salaries every month, but will not even work

नागौर. एक पखवाड़े के भीतर बादलों की मेहरबानी नहीं हुई तो जिला सूखे की चपेट में आ जाएगा। अबकी बार बारिश की बेवफाई से हालात बेहद हैं। खेतों में खड़ी फसलें पीली होने के साथ ही मुर्झाने लगी है। जिले में बाजरा, मूंग, ज्वार एवं मोठ आदि फसलों में 25-30 प्रतिशत तक फसलें पूरी तरह से प्रभावित हो चुकी हैं। अब भी बारिश नहीं हुई तो न केवल अपेक्षित उत्पादन पर 35-40 प्रतिशत का असर पड़ेगा बल्कि गुणवत्ता भी प्रभावित होगी। जिले में केवल रियां, डीडवाना एवं नावां आदि क्षेत्रों में औसतन 300 मिमी से अधिक बारिश होने के कारण स्थिति थोड़ी-बहुत ठीक है, नहीं तो शेष जगह किसानों की हालत खराब होने लगी है।
25 से 30 फीसदी फसल खराब
जिले के परबतसर, मकराना, कुचामन, नावां, मेड़ता, जायल, खींवसर, गोटन, डेगाना आदि क्षेत्रों में हजारों एकड में खरीफ फसलों में बाजरा, मूंग, मोठ, चौला, मूंगफली, तिल, कपास, ग्वार, सब्जियां, हरा चारा आदि की उपज बारिश नहीं होने से 25-30 प्रतिशत तक खराब हो चुकी है। काश्तकारों को अगस्त में बारिश होने उम्मीद थी। कुछ जगह पर बारिश हुई, लेकिन अपेक्षित मात्रा में नहीं। जिले के 90 प्रतिशत एरिया में महज 200-300 मिमी के करीब ही बारिश हो पाई। जबकि पर्याप्त उत्पादन के लिए बारिश साढ़े तीन सौ मिलीमीटर से भी ज्यादा होनी चाहिए थी। बारिश के अभाव में खेतों में सूखती फसलें काश्तकारों के लिए लिए दहशत बन गई है। किसानों का कहना है कि वर्तमान स्थिति में ही फसलों की स्थिति तो 100 से 75 प्रतिशत की हो चुकी है। रही-सही फसल भी अब सूखा लीलने लगा है। जानकारों का कहना है कि मूण्डवा क्षेत्र के कई गावों में खड़ी फसल तो पूरी तरह से सूखे की भेंट पर चढ़ती नजर आने लगी है। वहां पर फसल खराबा का आंकड़ा 30 प्रतिशत से भी ऊपर पहुंचने लगा है। अभी भी बारिश हो जाए तो हो सकता है कि शेष फसलों को जीवनदान मिल जाए, नहीं तो फिर किसानों की उपज ही सूख जाएगी।
आ गई बारिश तो सुधर सकती है स्थिति : कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि अभी तक तो केवल 25-30 प्रतिशत ही फसलों की स्थिति बिगड़ी है। बारिश नहीं हुई तो फिर निर्धारित लक्ष्य का उत्पादन निश्चित रूप से 30 प्रतिशत से भी ज्यादा प्रभावित होगा। बारिश नहीं होने के कारण समर्थन मूल्य बढऩे के साथ ही मूंग की रिकार्ड बुवाई करने वाले काश्तकारों में अब निराशा की स्थिति बन गई है। माना जा रहा है कि इतना नुकसान होने के बाद भी 15 दिन में बारिश होने पर कुछ हद तक स्थिति सुधर सकती है। इन दिनों में भी बारिश नहीं हुई तो फिर फसलों को बचाना मुश्किल हो जाएगा।
बारिश करा दो भगवान…
जिले के सिंगरावटकलां, गोदरारा, मामड़ोदा, शिवनगरी, मंडावासानी, छोटी खाटू, शेरानीआबाद, पावा, रेण, जारोड़ा, खाटदूबड़ी, बरनेल, पिण्डिया, साण्डिला, आकोड़ा, सुरपालिया, हिराणी, घाटवा, लूणवा, प्यावा, रणसीसर, खरेश, बकवास, सानियां, रूवां, नोजलों की ढाणी, बुड़ोद, गावडिय़ों की ढाणी,बालिया, भगवानपुरा आदि क्षेत्रों काश्तकारों से बातचीत की गई। उनका कहना था कि अभी तो फसल कम खराब हुई है, लेकिन बारिश नहीं हुई तो फिर उपज को मंडी में तो ले जाना दूर की बात है, घर के लिए ही अनाज मिलना मुश्किल हो जाएगा।
यहां बिगड़े हालात
&बारिश नहीं होने से नागौर, खींवसर, जायल, लाडनू, मेड़ता, मूण्डवा, डेगाना आदि क्षेत्रों में फसलों की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। हालात चिंताजनक बन गए हैं। जल्द ही बारिश नहीं हुई तो फिर अपेक्षित उत्पादन का ग्राफ गिरने के साथ ही फसलों में खराबा बढ़ सकता है।
कृषि विभाग के अनुसार नागौर, खींवसर, जायल, डेगाना एवं मकराना में अब तक महज 200 मिमी, मूण्डवा, मेड़ता, लाडनू, परबतसर, कुचामन में 200-300 मिमी एवं रियांबड़ी, डीडवाना और नावां में 300 मिमी से अधिक बारिश हुई है। दो सौ मिमी क्षेत्र वाले ब्लॉकों में फसलों की हालत बिगड़ी हुई है। यहां पर खेतों में खड़ी फसल एवं सूखती पौध को देखते परेशान काश्तकार दिन-रात बारिश की दुआ करने में लगे हुए हैं। इसी तरह से दो सौ से तीन सौ मिमी एरिया क्षेत्र के गांवों में भी फसलों की पौध पीली होने के साथ मुरझाने लगी है। सिंचाई का कोई अन्य साधन नहीं होने के कारण परेशान किसानों को अपनी मेहनत पर पानी फिरता साफ नजर आने लगा है।
धरे रह गए बुवाई के आंकड़े
गिरा उत्पादन ग्राफ
फसल बुवाई (हेक्टेयर )
बाजरा 339478
ज्वार 32085
मूंग 399780
मोठ 58580
चौला 7283
मूंगफली 14541
तिल 4375
कपास 35958
ग्वार 105878
सब्जियां 435
हरा चारा 4685
अन्य 2046
इनका कहना है…
बरसात नहीं होने से जिले के मकराना, मूण्डवा, जायल एवं नागौर आदि क्षेत्रों में फिलहाल 25-30 प्रतिशत फसलें प्रभावित हुइ्र्र है। पंद्रह दिन और बारिश नहीं होने पर सूखे सरीखी स्थिति का सामना करना पड़ सकता है
हरजीराम चौधरी, उपनिदेशक कृषि विस्तार नागौर

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