कार्यक्रम में कृषि मण्डी अध्यक्ष भोजराज सारस्वत, शुभारंभ इवेंट्स के स्वरूप देहरा, व्याख्याता शंकरलाल जाखड़, भारत विकास परिषद के नृत्यगोपाल मित्तल, जाट समन्व्य समिति के अध्यक्ष परमाराम जाखड़, कैलाश सारड़ा, युसूफ बक्षी, मुन्ना सोनी, श्याम अटल, एईएन राजेन्द्र सियाग, व्याख्याता शिवशंकर व्यास, धर्मपाल डोगी, हनुमानराम बांगड़ा, माहेश्वरी महिला संगठन की अध्यक्ष नीलू खड़लोया, हरदेवराम गारू, भागचंद चांगरा, विजेश भादू, गीतकार सुमेरसिंह, रमेशचंद्र सोनी, सागर सर्वा, डॉ. राजकुमार बारोडिय़ा, गुलाम मोहम्मद अंसारी, तनसुखराज बारूपाल, एल.एल. सोनी, कुमारकांत झा सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे। संचालन नरेन्द्र पारीक व शरद जोशी ने किया।
ताउसर निवासी गायक अनिल सैन ने जब ‘बरस-बरस म्हारा इंदर राजा…’ गाया तो श्रोता भी जोश में नाचने लगे। वहीं दिनेश माली ने जब लोक देवता तेजाजी का भजन ‘गाज्यो-गाज्यो जेठ-आसााढ़ कंवर तेजा रे…’ सुनाया तो मानो लोक संस्कृति की साकार हो उठी। वहीं जैन समाज के जाने माने गायक श्रेयांस सिंघवी ने अपने जोशीले अंदाज में ‘डम-डम डिगा डिगा, मौसम भिगा भिगा’ सुनाया तो कार्यक्रम अलग ही रंगत में नजर आया। इससे पहले शास्त्रीय गायिका चंद्रकांता खेरीवाल, सुनिता स्वामी ने शास्त्रीय बंदिशों से माहौल में मिठास घोल दी। कार्यक्रम में हरिमा के शास्त्रीय गायक भूराराम शर्मा, भजन गायक कैलाश गौड़, नरेन्द्र जोशी ‘प्रेमी’, कैलाश माकड़, दामोदर देवड़ा, रजनी पुरोहित, रश्मि भार्गव, शरद जोशी, लक्ष्मीनारायण सोनी आदि ने शानदार प्रस्तुतियां दी। शुरूआत युवा गजल गायक मनोज त्रिवेदी ने गणेश वंदना से की। बीकानेर से आए रामदेव राणा मुंह से ड्रम बजाकर श्रोताओं की दाद बटोरी। इस मौके ऑर्गन पर कुंदन परिहार, तबले पर राकेश गोरमात, अजय व्यास, ढोलक पर कैलाश गोरमात तथा ऑक्टोपेड पर मुकेश गोरमात ने संगत की।