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मीरां बाई के जन्म स्थान को लेकर एकमत नहीं साहित्यकार

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नागौरSep 04, 2018 / 12:33 pm

Dharmendra gaur

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मीरां बाई के जन्म स्थान को लेकर एकमत नहीं साहित्यकार

साहित्य में अलग-अलग बताया गया है मीरां बाई का जन्म स्थान

नागौर. मीराबाई के जन्म स्थान के मतभेद को दूर करने का समय-समय पर प्रयास भी हुआ है। लेकिन उनके संबंध में प्रकाशित हो चुके साहित्य को बदलना संभव नहीं। इसलिए यह एक प्रयास मात्र ही रहा। रतनसी के प्राचीन गढ़ वहां आज भी विद्यमान है। मीरा के जन्म के पश्चात ही उन्होंने कुडक़ी का महल बनवाया था। इस तरह मीरा का जन्म तो बाजोली में हुआ, लेकिन बचपन कुडक़ी में बीता। जोधपुर के चौपासनी शोध संस्थान से प्रकाशित डॉ.हुक्म सिंह व डॉ.विक्रम सिंह की पुस्तक राजफोर्ट मेडतियों का इतिहास में मेड़ता को ही मीरा बाई का जन्म स्थान बताया गया है। वहीं स्कूलों की पाठ्यसामग्री सहित ज्यादातर सरकारी दस्तावेजों में कुडक़ी (वर्तमान में पाली जिले के जैतारण में है) को मीरा का जन्म स्थल बताया है। हालांकि कोई ठोस प्रमाण कहीं नहीं दिया गया।

साहित्य में अलग-अलग बताया गया है मीरां बाई का जन्म स्थान

विकिपीडिया पर मीरा के जन्म के संदर्भ तलाशे तो एक जगह यह बलपूर्वक दावा है कि मीराबाई का जन्म मेड़ता में ही हुआ था। कुडक़ी की जागीर रतन सिंह को मीरा के ११वें जन्म दिवस पर मिली थी। इसी मंच पर ‘भक्ति काल के कवि’ शीर्षक से एक लेख में मीरा का जन्म स्थल चौकड़ी गांव में बताया गया है। इंटरनेट पर की गई कई खोज में मीरा बाई का जन्म स्थान जोधपुर के चौकड़ी गांव को ही बताया गया है, लेकिन इसके भी कोई प्रमाण नहीं है।

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जन्म स्थान के मतभेद को दूर करने का समय-समय पर प्रयास भी हुआ है। लेकिन उनके संबंध में प्रकाशित हो चुके साहित्य को बदलना संभव नहीं। इसलिए यह एक प्रयास मात्र ही रहा। बताया जाता है कि मेड़ता के मीरा बाल मंदिर संस्थान में 28 से 30 अगस्त 2004 को साहित्य सम्मेलन का आयोजन हुआ। जिसमें मौजूद साहित्यकार दीपचंद सुथार, देवकिशन राजपुरोहित, डॉ.रामसिंह सोलंकी, हुकम सिंह भाटी, अर्जुन सिंह शेखावत आदि ने मीरा का जन्म मेड़ता में होने की बात एक स्वर में कही थी। ऐसा ही एक साहित्यकार सम्मेलन जोधपुर मेहरानगढ़ म्यूजियम में भी हुआ। जहां भी इस बारे में चर्चा की गई।


जन्म समय को लेकर भी मतभेद
मीराबाई का जन्म लगभग पांच सौ वर्ष पहले हुआ था। उनके जन्म और जन्म स्थान के सम्बन्ध में अभी भी पर्याप्त विवाद हैं। मीरां ग्रंथावली के सम्पादक कल्याण सिंह शेखावत के अनुसार रतनसी दूदावत के यहां मीराबाई का जन्म 1498 की वैशाख सुदि 3 को हुआ था। प्रसिद्द इतिहासकार और मीराबाई का जीवन चरित्र लिखने वाले मुंशी देवीप्रसाद, राजस्थान के इतिहास में मर्मज्ञ विद्वान पं.गौरीशंकर हीराचंद ओझा तथा इतिहासकार हरविलास शारदा इस तिथि को सही मानते हैं। लेकिन मीरां नुक्तावली के सम्पादक प्रो. नरोत्तम दास स्वामी इसे सन् 1503-04 मानने के पक्षधर हैं तो मीरां पर पहला शोध ग्रन्थ लिखने वाले प्रो सी एल प्रभात इसे 1504 बताते हैं। मीरां की गम्भीर अध्येता पद्मावती शबनम सन 1500 को सही बताती हैं। इनके अलावा भी भिन्न भिन्न लेखों में उनका जन्म भिन्न भिन्न सम्वत् में बताया गया है।

इनका कहना…
यह सही है कि मीराबाई के जन्म के स्थान और समय को लेकर विद्वानों में मतभेद है। हम प्रयास करेंगे कि इतिहासकारों का एक सम्मेलन बुला कर इस पर एकराय कायम करने की कोशिश करें।
हीरालाल मीणा, उपखण्ड अधिकारी मेड़ता

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