जैन मुनि के प्रवचन
नागौर•Mar 12, 2019 / 06:39 pm•
Pratap Singh Soni
Makrana News
मकराना. जैन मुनि विनय कुशाल ने कहा कि मानव शरीर बहुत मुश्किल से मिलता है। मानव तन पाने के लिए देवता भी तरसते हैं, अत: परमात्मा कीे कृपा कर हमें मानव शरीर मिला है तो हमें चाहिए कि हम इसका सदुपयोग करें। जिससे हमें हमेशा के लिए जन्म-मरण के चक्र से छुटकारा मिल सके। वे मंगलवार को रांदड़ भवन में प्रात:कालीन प्रवचन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि संसार की सभी योनियों में मानव योनी सर्वश्रेष्ठ मानी गई है। पशु एवं मानव में एक मात्र मुख्य अंतर है कि पशु में विवेक नही होता जब कि परमात्मा ने मनुष्य को विवेक की क्षमता दी है, जिससे वह अपने अच्छे बुरे के बारे में सोचते हुए अपने कर्मों से हमेशा के लिए जन्म मरण के चक्र से मुक्ति पाकर परमात्मा के चरणों को प्राप्त कर सकता है। सभी को चाहिए कि हम जिनेश्वर प्रभु के प्रति श्रद्धाभाव रखते हुए उनके बताए मार्ग पर चलें तथा जीव मात्र के प्रति दया एवं करूणा के भाव रखें। जीव जैसा अन्न खाता है उसका मन वैसा ही रहता है, अत: हमें उन्ही वस्तुओं का उपयोग करना चाहिए जो परमात्मा ने मनुष्य के लिए बनाई है। देखा गया है कि कंद मूल खाने वाले हमेशा अच्छी प्रवृति के होते हैं। उन्होंने माता पिता को भगवान का रूप बताते हुए कहा कि मां-बाप की सेवा करने वालक के जीवन में कभी भी संकट नही आ सकता वही उसके बाद उसे परमात्मा के चरणों में स्थान मिलना तय है। प्रवचन के दौरान राजेशचंद पारख, केसरमल मेहता, विपिन पारख, पारसमल चौपड़ा, सुरज बम्ब, जब्बर मल खादिया, लालचंद बाफना सहित काफी संख्या में महिला श्रद्धालु भी उपस्थित थी।