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नागौर

कार्मिक तीन साल से डेपुटेशन पर, मरीज हो रहे परेशान

-जोधियासी पीएचसी में चिकित्सकों व स्टाफ का टोटा -आसपास की ग्राम पंचायतों से रोजाना आते हैं करीब 100 मरीज
-आपात स्थिति में मरीजों के लिए नहीं कोई व्यवस्था
-कलक्टर के पास पहुंचे ग्रामीणों ने दिया ज्ञापन

नागौरApr 30, 2019 / 08:23 pm

abdul bari

जोधियासी पीएचसी में चिकित्सकों व स्टाफ का टोटा

कार्मिक तीन साल से डेपुटेशन पर, मरीज हो रहे परेशान

नागौर.
ग्राम पंचायत जोधियासी स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में चिकित्सकों व पर्याप्त स्टॉफ के अभाव में मरीजों को परेशान होना पड़ रहा है। प्रसव व हादसे के बाद आने वाले मामलों में मरीजों को देखने के लिए ना तो चिकित्सक हैं और ना ही स्टाफ। जोधियासी, मांडेली, तीतरी, चाऊ, झोरड़ा, खेतास समेत आसपास के गांवों से करीब पचास से अधिक लोगों ने जिला कलक्टर व सीएमएचओ को इस संबंध में ज्ञापन भी सौंपा।
सरपंच करण सिंह, गिरधारी लाल पंचारिया, लूणाराम सोनी, राजूसिंह, सुनील सैन, सूरजमल पंचारिया, जगदीश, हजारीलाल साद, चौथाराम, सीताराम समेत ग्रामीणों का कहना है कि पांच पंचायतों से करीब 200 मरीज रोजाना अस्पताल आते हैं लेकिन पर्याप्त स्टॉफ के अभाव में उनको इलाज नहीं होने पर उन्हें नागौर आना पड़ता है। आशा सुपरवाइजर का पद 5 साल से रिक्त है जबकि प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में पद स्थापित मेल नर्स केशाराम को वर्ष 2015 से डेपुटेशन पर सीएमएचओ कार्यालय में लगा रखा है, लेकिन हकीकत यह है कि वह अस्पताल परिसर के बाहर खुद का क्लिनिक चला रहा है। वर्तमान में स्वास्थ्य केन्द्र में कम्पाउण्डर का पद रिक्त होने से मरीजों को परेशानी हो रही है।
पीएचसी में कार्यरत वार्ड बॉय नथुराम व एकाउंटेंट मुकेश सुथार पिछले तीन साल से खंड मुख्य चिकित्सा अधिकारी नागौर एवं मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय में जबकि सफाई कर्मचारी दयावती पिछले दस साल से एएनएम ट्रेनिंग सेंटर में डेपुटेशन पर कार्यरत हैं। आशा सुपरवाइजर का पद 5 साल से रिक्त है।
दो कार्मिकों के भरोसे सारे मरीज
ग्रामीणों का कहना है कि जोधियासी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर आसपास की ग्राम पंचायतों के मरीज आते हैं। यहां प्रतिदिन 100 मरीजों की ओपीडी रहती है जबकि हर माह 25 से 30 मामले प्रसव के आते हैं। वर्तमाान में यहां एक चिकित्सक, एक एलएचवी, एक संविदा एएनएम, व एक स्थाई एएनएम पद स्थापित हैं। एलएचवी व एएनएम के फील्ड में जाने के बाद केवल एक चिकित्सक व एक एएनएम रहती है। महज दो कार्मिकों के भरोसे दिन भर में आने वाले 100 मरीजों को देखना संभव नहीं होता है। प्रसव व आपातकालीन स्थिति में इलाज नहीं मिल पाता है। लोगों की मांग है कि मरीजों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर पद स्थापित कर्मचारियों का डेपुटेशन निरस्त कर मूल पद पर लगाया जाए।

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