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नागौर

तीन लाख रुपए महीने में ट्रेलर ठेके पर लेकर शराब की तस्करी

साढ़े तीन महीने पहले पकड़ा था 70 लाख की अवैध शराब से भरा ट्रेलरट्रेलर में बना था कंटेनर बॉक्स, ऊपर रखते थे शीशे, पंजाब से गुजरात ले जाते थे शराब

नागौरJan 20, 2024 / 08:59 pm

Sandeep Pandey

 शराब तस्कर

असल में गुजरात में शराब बंदी है। नरेश उर्फ हरखाराम और तेजाराम जाट यूं तो ट्रेलर को बतौर चालक ले जाते थे।

शराब तस्कर ने ट्रेलर ठेके पर ले रखा था। उसके बदले हर महीने ट्रेलर मालिक को तीन लाख रुपए भुगतान करता था। सुनने में यह बात अजीब लगे पर है पूरी सच। करीब साढ़े तीन महीने पहले गुजरात के राजकोट जा रही 70 लाख रुपए की शराब इसी ट्रेलर के भीतर बने बॉक्स में मिली थी। ट्रेलर मालिक की गिरफ्तारी के बाद ट्रेलर के ठेके पर दिए जाने का खुलासा हुआ है।
सूत्रों के अनुसार विधानसभा चुनाव से पहले पांच अक्टूबर को खरनाल के पास नाकाबंदी के दौरान इस ट्रेलर को रुकवाकर तलाशी ली गई थी। तलाशी में भारी मात्रा में शराब मिली। इस मामले में बाड़मेर निवासी तेजाराम जाट (24) और नरेश उर्फ हरखाराम जाट (21) को गिरफ्तार किया गया। असल में ये दोनों तो मोहरे थे, शराब की तस्करी का असल खेल तो कोई दूसरा ही खेल रहा था।
इसी मास्टर माइण्ड को पकडऩे के लिए सदर सीआई सुखराम चोटिया ने अलग-अलग टीमें गठित की। लंबी मशक्कत के बाद ट्रेलर मालिक बनाड़, जोधपुर निवासी दिनेश विश्नोई (31) को गिरफ्तार किया गया। तब जाकर यह राज पता चला कि ट्रेलर भले ही दिनेश विश्नोई का था, लेकिन यह जुलाई से तीन लाख रुपए महीने ठेके पर चल रहा था। अवैध शराब के मुख्य तस्कर के पास इस ट्रेलर का ठेका था।
सूत्र बताते हैं कि असल में किशनाराम ने जुलाई में इसे ठेके पर लिया। ट्रोले को मॉडिफाई किया गया था। ट्रोले के भीतर एक कंटेनरनुमा बॉक्स बना हुआ था। उसमें भारी मात्रा में शराब छिपाई जाती थी। इस बॉक्स के ऊपर पुलिस को चकमा देने के लिए ये शातिर कांच व शीशे रखकर तिरपाल से ढक देते थे, ताकि चेङ्क्षकग होने पर पहले पूरे ट्रेलर में कांच/शीशे होने का सोचकर छोड़ दिया जाए। ना जाने कितने ही बार वो इसी तरह झांसा देकर अवैध शराब गुजरात के राजकोट में सप्लाई करते रहे। पांच अक्टूबर को चुनाव के कारण चल रही सख्ती में पुलिस की सजगता से यह राज
खुल गया।
सूत्रों का कहना है कि असल में गुजरात में शराब बंदी है। नरेश उर्फ हरखाराम और तेजाराम जाट यूं तो ट्रेलर को बतौर चालक ले जाते थे। इस ट्रेलर से शराब की तस्करी भी कम रोचक नहीं थी। पंजाब से गुजरात के राजकोट तक के इस तस्करी के सफर में बीच-बीच में ड्राइवर बदले जाते थे। किसी को एक-दूसरे की जानकारी नहीं देने की पाबंदी थी। साथ ही इन्हें इस काम के दौरान नई सिम दी जाती थी। जहां बदलना होता वहां तय कर ट्रेलर दूसरे के हवाले कर देते थे राजकोट में भी जिसे यह शराब पहुंचानी थी वो इन्हें रास्ते में ही मिल जाता। जो शराब राजस्थान से पांच सौ रुपए बोतल चलती थी वो वहां शराब के शौकीनों के पास तक पहुंचते-पहुंचते पंद्रह सौ की हो जाती थी।

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