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नागौर

औषधि नियंत्रक विभाग की लापरवाही से झोलाछाप बने मौत के सौदागर…!

Nagaur patrika latest news. चिकित्सा एवं स्वास्थ्य के ड्रग नियंत्रक विभाग की बेपरवाही के चलते जिले में सर्दी बढऩे के बाद ही सर्दी-जुकाम से पीडि़त वायरल रोगियों के फैलने के साथ ही गांवों में झोलाछाप डॉक्टरों का मार्केट भी चमकने लगा है. Nagaur patrika latest news

नागौरDec 20, 2019 / 12:25 pm

Sharad Shukla

Negotiations caused by the negligence of the Drug Controller's Department became death dealers ...!

Negotiations caused by the negligence of the Drug Controller’s Department became death dealers …!

Nagaur patrika latest news . नागौर. चिकित्सा एवं स्वास्थ्य के ड्रग नियंत्रक विभाग की बेपरवाही के चलते जिले में सर्दी बढऩे के बाद ही सर्दी-जुकाम से पीडि़त वायरल रोगियों के फैलने के साथ ही गांवों में झोलाछाप डॉक्टरों का मार्केट भी चमकने लगा है। सूत्रों के अनुसार स्थिति यह हो गई कि इन्होंने इलाज के लिए बाकायदा अपने क्लीनिग खोल रखें है। इनको दवाओं व हायर लेवल एंटीबायोटिक्स की आपूर्ति भी बेरोकटोक हो रही है। स्थिति की जानकारी जिम्मेदारों को भी है, लेकिन गावोंं में इन पर कार्रवाई करने की जगह विभाग ने चुप्पी साध रखी है। कथित रूप से मिलीभगत के चलते झोलाछाप डॉक्टर्स के पास दवाओं की आपूर्ति पर कोई लगाम नहीं लगाए जाने से हालात अब बेकाबू होने लगे हैं। गत मंगलवार को एक गांव में झोलाछाप के इलाज ने एक नाबालिग की जिंदगी ले ली।
जिले में करीब दो हजार से ज्यादा ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी चिकित्सा की समुचित व्यवस्थाओं के अभाव में झोलाछाप डॉक्टर्स ने फायदा उठाते हुए अपना मकडज़ाल फैला लिया है। विभागीय सूत्रों का कहना है कि झोलाछाप डॉक्टरों ने तो अमूमन गांवों में हल्के छोटे क्लीनिक ही नहीं, बल्कि कई जगहों पर अस्पताल तक खोल रखा है। यहां पर वह कम पैसों में मरीज का उपचार कर उनके जीवन से खिलवाड़ करने में लगे हैं। लंबे समय से सबंधित विभाग की ओर से इनके खिलाफ कार्रवाई न किए जाने से इनकी संख्या में हर साल इजाफा हो रहा है। जानकारी में रहे कि हाईकोर्ट ने ग्रामीण क्षेत्रों में झोलाछाप डॉक्टरों के इलाज पर रोक लगाने राज्य शासन को निर्देश दिए थे। स्थिति यह है कि इनके पास कोई डिग्री है न कोई इलाज करने का लाइसेंस है फिर भी यह लोगों का इलाज कर रहे है।
ऐसे फैला रखा है अपना जाल
झोलाछाप डॉक्टर्स स्थानीय लोगों के साथ घुलमिलकर अपना क्लीनिक खोल लेते हैं। सर्दी-बुखार सरीखी बीमारियों में आंशिक इलाज कर पहले अपना प्रभाव जमाते हैं, फिर वहां पर पूरा क्लीकि की खोल लेते हैं। विशेषता यह रहती है कि बेहद रियायती दर पर इलाज करते हैं। इनके जान-पहचान वाले इनको शर्तिया इलाज करने वाले चिकित्सक के तौर पर ग्रामीणों में मशहूर करने का काम करते रहते हैं। इन शातिरों के जाल में आकर ग्रामीण न केवल और गंभीर बीमारियों का शिकार बन जाते हैं, बल्कि कई बार अपनी जान भी गंवा बैठते हैं।
झोलाछाप ने बढ़ाए टीबी रजिस्ट्रेंस रोधी रोगी
क्षय नियंत्रण विभाग के अधिकारी खुले स्वर में कहते हैं कि गांवों में झोलाछाप डॉक्टर्स इलाज के दौरान हायर लेवल की एंटीबायोटिक्स एवं दवाओं के साथ इंजेक्शनों की आपूर्ति करने वालों पर कार्रवाई नहीं होने से हालात बिगड़े हैं। टीबी के मरीज को खासीं आना शुरू होती हैं तो झोलाछाप उसे हायर लेवल एंटीबायोटिक्स के प्रयोग से पहले दबा देते हैं। जबकि उस एंटीयोटिक्स का प्रयोग बीमारी के दूसरे चरण में शायद होता, लेकिन इन्होंने पहले ही कर के टीबी के रोग को बढ़ा दिया। इस तरह से एमडीआर रोगियों की संख्या भी बढ़ी है।
यह होते हैं फर्जी डॉक्टर
मेडिकल कांउसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) तथा सेन्ट्रल कांउसिल ऑफ इंडिया (सीसीआईएम) ने एलोपैथी, आयुर्वेद व यूनानी पद्धति से की जाने वाली चिकित्सा पद्धति को मान्य किया है। इन पद्धति में डिग्री लिए बिना जो लोग मरीजों का इलाज कर रहे हैं। उनको फर्जी डॉक्टर कहते है।
इनका कहना है….
गांवों में झोला छाप डॉक्टरों की शिकायत मिल रही हैं। ब्लॉक चिकित्सा अधिकारियों को झोला छाप डॉक्टरों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करने के निर्देश दिए गए हैं।
डॉ. सुकुमार कश्यप, सीएमएचओ नागौर
गांवों में झोलाछाप डॉक्टर्स के चलते हायर लेवल एंटीबायोटिक्स के प्रयोग से स्थिति बढ़ी है। टीबी के ड्रग रजिस्ट्रेंस रोधी रोगी बढऩे में झोलाछाप की अहम भूमिका रहती है।
नरेन्द्रसिंह राठौड़, जिला क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम समन्वयक नागौर. Nagaur patrika latest news

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