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नागौर

सफाई न, बैठने की व्यवस्था, न खाने की, सुविधाओं के तरसते यात्री

Nagaur patrika latest news. जिला मुख्यालय के केन्द्रीय बस स्टैंड की बेहतरी के दावे ही हुए, और यात्री सुविधाओं के अभाव में दूर होने लगे. Nagaur patrika latest news

नागौरJan 03, 2020 / 10:42 pm

Sharad Shukla

No cleanliness, seating arrangement, no food, travelers longing for am

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नागौर. जिला मुख्यालय के केन्द्रीय बस स्टैंड की बेहतरी के दावे ही हुए, और यात्री सुविधाओं के अभाव में दूर होने लगे। पिछली सरकार के कार्यकाल में रहे परिवहन मंत्री की ओर से केन्द्रीय बस स्टैंड करने के दावे किए गए थे। चुनाव के दौरान सत्तापक्ष के दल की ओर से भी दावे हुए, लेकिन वर्तमान में स्थिति बिलकुल अलग ही है। न तो पिछली सरकार के परिवहन मंत्री अपने दावे पर खरे उतरे, और न ही सत्तापक्ष में आए दल को अपना वायदा याद रहा। इन दोनों के बीच आम आज भी सुविधाओं के अभाव में कस्बाई बस स्टैंड सरीखी समस्याओं से रोजाना जूझ रहा है।
सरकार व अधिकारियों का दावा
1. केन्द्रीय बस स्टैंड का कायाकल्प कर देंगे
2. पूछताछ काउण्टर सुव्यवस्थित संचालित हो रहा है।
3. यात्रियों के लिए बैठने की व्यवस्था बेहतर है।
4. बसों के आने की यात्रियों को पूरी जानकारी मिलती है।
5.प्रतीक्षा की स्थिति में भी यात्रियों को एनाउंस से बसों की जानकारी दी जाती है।
6. सुरक्षा व्यवस्था सुव्यस्थित
7. महिलाओं के मूलभूत सुविधाएं
8. रोडवेज के बुकिंग विंडो पर व्यवस्थाएं
9.बस स्टैंड पर खाद्य सुविधाएं
हकीकत में यह रहे हालात
1. केन्द्रीय बस स्टैंड परिसर की फर्श जीर्ण-शीर्ण होने के बाद भी मरम्मत नहीं
2. पूछताछ काउण्टर का न तो कोई संकेत लगा, और ही यात्रियों को पता चलता है कि यह कहां पर है।
3. यात्रियों को बैठने के के लिए भटकते गोवंशों के बीच जगह की तलाश करनी पड़ती है।
4. बसों के आने-जाने की जानकारी मिलने की कोई सुव्यवस्थित सुविधा नहीं।
5. प्रतीक्षा की स्थिति में यात्रियों को हर क्षण मुख्य गेट की ओर बसों पर निगाह रखनी पड़ती है।
6. सुरक्षा व्यवस्था के नाम पर एक गार्ड तक नजर नहीं आता। खुद की ही करनी पड़ती है सुरक्षा।
रोजाना दस से पंद्रह हजार यात्री करते हैं सफर
7.महिलाओं के के लिए मूलभूत सुविधाओं का अभाव
8. रोडवेज के शहर या ग्रामीण क्षेत्र के बुकिंग विंडो पर यात्री सुविधाओं का अभाव।
9. केन्द्रीय बस स्टैंड पर खाने के लिए रियायती दर पर कोई दुकानें नहीं। दुकानों पर पांच की भुजिया दस रुपए में मिलती है।
केन्द्रीय बस स्टैंड में यह रही समस्याएं
केन्द्रीय बस स्टैंड पर रोजाना करीब 10 से 15 हजार यात्री प्रतिदिन विभिन्न गंतव्यों तक सफर करते हैं। इसके बाद भी यहां पर यात्रियों को प्रतीक्षा के दौरान सुव्यवस्थित समय गुजारने के लिए विशेष प्रबन्ध नहीं नजर आते हैं। यहां पर गिनी-चुनी कुर्सियों की स्थिति भी बहुत बेहतर नहीं है। फर्श पर सफाई व्यवस्था की स्थिति बेहाल रहती है। गोवंश प्लेटफार्मों पर भटकते रहते हैं। बसों के आने-जाने का केवल एक मुख्य गेट होने के कारण बसों के आवागमन के दौरान जाम की स्थिति बन जाती है।
बसों की जगह निजी वाहन खड़े रहते हैं
केन्द्रीय बस स्टैंड पर गुरुवार को दोपहर भ्रमण के दौरान चौंकानेवाला नजारा सामने आया। यहां पर बसों के खड़े होने की जगह पर निजी चार पहिया एवं दो पहिया वाहन खड़े रहे। इस दौरान दो बसें आई, और गाडिय़ों को हटाने के लिए हार्न बजाया, लेकिन फिर भी निजी वाहन वहां से नहीं हटे। इस दौरान गोवंश बेखौंफ यात्रियों के बीच खाने की तलाश में भटकते मिले।
कुर्सियों पर लगा जंग
बस स्टैंड पर यात्रियों के लिए लगी कुर्सियां पुरानी होने के कारण जंग के चलते खराब हो चुकी हैं। इन्हें देखने से लग रहा था कि इन पर कोई गलती से भी बैठ गया तो वह जख्मी हो जाएगा। यह कुर्सियां बुकिंग विंडों के बिलकुल पास ही लगी यात्रियों को खतरे का आमंत्रण देती मिली।
प्लेटफार्म टूटा, गिरते यात्री
केन्द्रीय बस स्टैंड के प्लेटफार्म का पूरा हिस्सा बुरी तरह टूट चुका है। कई बार इन टूटे फर्शों के दरारों के बीच यात्री गिरकर जख्मी हो चुके हैं। पूर्व में जयपुर मुख्यालय से आए अधिकारियों ने भी इसकी स्थिति सुधारने के लिए आश्वस्त किया था। इसके बाद भी स्थिति ऐसी बनी हुई है। बसों के आने पर दौड़ते यात्री आए दिन इसका शिकार होते रहते हैं।
एटीएम भी खराब
केन्द्रीय बस स्टैंड पर लगा एकमात्र एसबीआई का एटीएम कई दिनों से खराब पड़ा हुआ है। कई बार यात्री इसमें से पैसा निकालने पहुंचते हैं, लेकिन इसके खराब होने के कारण उनको बाहर जाना पड़ता है, तब तक बसें निकल जाती है। कई बार यात्रियों के पास बस स्टैंड से बाहर जाने का समय ही नहीं रहता। इससे यात्रियों को मुश्किल होती है।
मदर मिल्क रूम में ताला
केन्द्रीय बस स्टैंड पर छोटे बच्चों को मां अपना दूध सुव्यवस्थित तरीके से पिला सके। इसके लिए यहां पर केबिन तो बना दिया गया, लेकिन इस केबिन पर हमेसा ताला लगा रहता है। ऐसे में माओं को ऐसे में कई बार दूध पिलाने के दौरान यात्रियों के समक्ष असहज स्थिति का सामना करना पड़ता है।
बुकिंग विंडो तो है, सुविधाएं नहीं
फलौदी बुकिंग विंडों के रास्ते बसों के गुजरने की संख्या आधा दर्जन से अधिक है। यहां पर यात्रियों के लिए सुविधाओं का पूरी तरह से अभाव रहता है। यात्री बसों की प्रतीक्षा खड़े होकर करते हैं। यहां उतरने की स्थिति में यात्रियों के पीछे भागते आटो चालकों के चलते स्थिति कई बार विकट हो जाती है।
मानासर चौराहा विंडो
मानासर चौराहा से रोडवेज के गुजरने वाले बसों की संख्या एक दर्जन से अधिक रहती है। ऐसे में यहां पर यात्रियों के बैठने के लिए न तो कोई कुर्सियां हैं, और न ही स्थान। पूरे समय यात्रियों को खड़ा ही रहना पड़ता है। कई बार परिवार वालों के समक्ष यहां भीड़ भरे चौराहे पर स्थिति काफी असहज हो जाती है।

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