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नागौर

सरकार नहीं, शिक्षकों ली शिक्षा को संवारने की शपथ

राजस्थान पत्रिका व जिला प्रशासन की ओर से चल रही मुहिम को शिक्षकों ने दिया समर्थन

नागौरJun 18, 2018 / 12:14 pm

Sharad Shukla

Nagaur patrika

No government, teachers take oath of grooming education

नागौर. जिले में प्रारंभिक शिक्षा विभाग के चल रहे ग्रीष्मकालीन शिविर के समापन के साथ ही एक हजार से ज्यादा शिक्षकों ने स्कूलों में बेहतर शैक्षिक वातावरण बनाने के लिए ड्रेस कोड सहित 10 सूत्रों के पालना की शपथ ली। स्वेच्छा से शामिल इस अभियान में शामिल हुए शिक्षकों ने माना कि इस पर अमल किया तो निश्चित रूप से राजकीय शिक्षण संस्थान जल्द ही मॉडल स्कूलों में बदल जाएंगे। जिले के नागौर, मकराना, परतबतसर, नावां, कुचामन, रियाबड़ी, गोटन, मेड़ता, जायल आदि सहित 14 ब्लॉकों में हुए शिविरों में एक हजार से अधिक शिक्षक इस अभियान का हिस्सा बनें। इनमें से अधिकतर ने ड्रेस कोड सहित 10 सूत्रों को अमलीजामा पहनाने के लिए संकल्प लिया। इन शिविरों में जिले शिक्षा अधिकारियों में रमसा के एडीपीसी रामदेव पूनिया व एसएसए के गोपाल प्रसाद मीणा शिक्षकों को ड्रेस कोड क्यों पहनें, और क्या हैं यह दस सूत्र, इनकी पालना क्यों करें आदि विषय पर बिंदुवत शिक्षकों को विस्तार से समझाया। शिक्षकों ने माना कि इनकी पालना होने के बाद फिर नामांकन अभियान चलाने की आवश्यकता ही नहीं रह जाएगी। शिक्षकों के कुल चार चरणों में चले शिविरों में इस पर चर्चा की गई।
नावां में भी ली शपथ
नावां में हुए शिक्षकों के शिविर में रमसा के रमसा के एडीपीसी रामदेव पूनिया व एसएसए के गोपाल प्रसाद मीणा से चर्चा के बाद शिक्षक दस सूत्रों से जुडे बिंदुओं पर सहमत नजर आए। वर्तमान समय में सरकारी स्कूलों से बच्चों की बढ़ती दूरी को को पूरी तरह से खत्म करने के लिए बदलाव के रास्तों पर चलने की शिक्षकों ने शपथ ली। शिक्षकों का कहना था कि राजकीय मॉडल स्कूलों की तर्ज पर वह भी अपने-अपने स्कूलों को मॉडल स्कूलों में बदलने के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे।
शिक्षकों ने कहा खुद करेंगे डे्रस कोड लागू
नागौर के कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय में चले शिविर में शिविर प्रभारी अर्जुनराम चौधरी ने शिक्षको डे्रस कोड व 10 सूत्रों की महत्ता समझाई। इस दौरान इसमें उपस्थित सभी शिक्षकों से इस पर उनकी रायशुमारी ली गई। चौधरी ने बताया कि ड्रेस कोड पहनने से शिक्षकों की न तो गरिमा खंडित होगी, और न ही बौद्धिकता का दायरा कम हो जाएगा, बल्कि इससे उनको अपनी पहचान मिल जाएगी। उन्होंने बताया कि सडक़ पर पुलिस की पहचान सडक़ पर उसकी वर्दी से ही होती है, बिना वर्दी का पुलिसकर्मी भी आमजन की भीड़ का हिस्सा ही नजर आता है। ऐसी पहचान शिक्षकों की भी होनी चाहिए। ताकि जिले में कहीं भी जाने पर लोग खुद जाने कि यह शिक्षक है। इसके बाद शिक्षकों से हाथ उठवाकर उनकी सहमति पूछी गई तो सभी एक स्वर से इस पर अपनी स्वीकृति की मुहर लगा दी।
परबतसर में कहा, इससे अनुशासन बढ़ेगा
परबतसर में चले शिविर में भी शिक्षकों के साथ ड्रेस कोड सहित 10 सूत्रों पर चर्चा की गई। इसमें शिक्षकों ने खुद कहा कि ड्रेस कोड में वह आएंगे तो फिर निश्चित रूप से विद्यालय का केवल वातावरण ही नहीं बदलेगा, अपितु बच्चों में भी अनुशासन की भावना आएगी। यही नहीं, विद्यालयों के आवश्यक संसाधनों से परिपूर्ण होने के लिए अब सरकार का इंतजार नहीं किया जाएगा, बल्कि खुद उनकी ओर से भामाशाहों से मदद ली जाएगी।
शिक्षकों कहा लागू होना चाहिए ड्रेस
जिले के मकराना में चले शिक्षकों के शिविर में रमसा के एडीपीसी रामदेव पूनिया व एसएस के गोपाल प्रसाद मीणा ने शिक्षकों के साथ स्कूलों के लिए तय किए गए 10 सूत्रों पर चर्चा की। पहले दस सूत्रों के बारे में उन्हें समझाया गया। इसके बाद उनसे राय ली गई। सभी सहमति जताई। शत-प्रतिशत सहमति होने पर शिक्षकों को इसके पालना की शपथ दिलाई गई।

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