कम किराए में कैसे मिले पर्याप्त स्थान
नाममात्र के किराए के भवन में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के बच्चों के लिए सुविधाएं जुटा पाना टेढ़ी खीर बना हुआ है। गांवों में सामान्य तौर पर भवन मालिकों की ओर से एक कमरे का किराया 500 से 700 रुपए लिया जाता है। महज 700 रुपए के किराए पर सभी कमरों में भूतल पर सुविधायुक्त भवन नहीं मिल पाते हैं। ऐसे में आंगनबाड़ी केन्द्रों पर सिर ढकने के लिए महज कमरे के अलावा कोई सुविधा नहीं है। कार्यकर्ताओं का कहना है कि वार्ड क्षेत्र के बाशिन्दे होने से परस्पर व्यवहार से नाममात्र के किराए में उन्होंने कमरे लिए हुए हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में तो विभाग की ओर से महज 200 रुपए मासिक किराया निर्धारित किया हुआ है। लेकिन कार्यकर्ता अपनी जेब से कोई तीन सौ तो कोई पांच सौ रुपए दे रही है, ओर सामग्री लाती है। एक कमरे के आंगनबाड़ी केन्द्र में सबसे ज्यादा परेशानी गर्मियों व बारिश के दिनों में होती है। बिजली सुविधा नहीं होने से संकरे कमरे में पोषाहार खाने वाले बच्चे पसीने से बेहाल हो जाते हैं। सामान के बीच बच्चों को एक-दूसरे से सटकर बैठना पड़ता है।