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नागौर

बिना परीक्षा के प्रमोट करना बहुतों को नहीं भाया

पत्रिका न्यूज नेटवर्कनागौर. कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए इस बार भी परीक्षा पर साया मण्डरा रहा था। सीबीएसई बोर्ड ने बुधवार को जहां बारहवीं की परीक्षा स्थगित करने की घोषणा की, वहीं दसवीं के विद्यार्थियों को बिना परीक्षा दिए ही अगली कक्षा में भेजने का फैसला सुनाया है।

नागौरApr 14, 2021 / 11:57 pm

Ravindra Mishra

MPBS and Vikram University examinations postponed after CBSE

Ujjain News: 21 मार्च से प्रारंभ होने वाला उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन कार्य भी 31 मार्च तक के लिए स्थगित कर दिया गया है।

बुधवार को ही राजस्थान बोर्ड ने एक से नवीं और ग्यारहवीं के विद्यार्थियों को भी परीक्षा से राहत देते हुए प्रमोट किया है, जबकि दसवीं व बारहवीं की परीक्षा को स्थगित कर दिया है।

कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए इस फैसले से बच्चे भले ही खुश नजर आ रहे हों, राजनीतिक दल भी संतुष्ट हों पर अभिभावक के साथ निजी स्कूल ही नहीं सरकारी स्कूल के शिक्षक भी खुश नहीं हैं। और तो और सरकारी स्कूल के अध्यापकों के साथ विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि भी इसे उचित नहीं मान रहे। उनके अपने-अपने तर्क हैं, कोरोना महामारी में लगातार दूसरे साल छोटी कक्षा के बच्चों को अगली क्लास में भेजना उन्हें तर्क संगत नहीं लगता।
झाड़ीसरा की पीईईओ संगीता सांगवा का कहना है कि यह सही है कि कोरोना के बढ़ते संक्रमण में परीक्षा करवाना दूभर है पर इससे बच्चों की नींव कमजोर होती है। तकरीबन एक साल से वैसे ही स्कूल से दूर रहे बच्चे फाइनल एग्जाम की तैयारी कर रहे थे, अब ऐसे में बिना परीक्षा के पास होना उचित नहीं है।
स्पाइस बोर्ड के सदस्य भोजराज सारस्वत का कहना है कि परीक्षा भले ही और आगे सरकार दी जाए या फिर टुकड़ों में हो पर बच्चों को बिना इसके प्रमोट करना ठीक नहीं लगता। ऐसे बच्चों के साथ भी अन्याय है जो बेहतर प्रदर्शन के लिए सालभर से पढ़ाई कर रहे थे। थोड़े-थोड़े गेप में परीक्षा करवा ली जाती तो अच्छा होता।
जिला प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के सचिव विनेश शर्मा का कहना है कि बिना परीक्षा के प्रमोट करना बेहद गलत और चिंताजनक है। इससे बच्चों की नींव कमजोर होगी। जिम्मेदारी को कमतर आंकने के साथ जो योग्य बच्चे हैं, उनको यथोचित सम्मान नहीं मिल सकेगा।
दो बच्चों की पेरेंटस चंदा मीणा का कहना है कि जहां तक परीक्षा स्थगित करने अथवा प्रमोट करने की बात है तो कोरोना संक्रमण से बचना पहली प्राथमिकता है। ठीक है कि अत्यावश्यक दबाव बनाकर परीक्षा क्यों ली जाए, जबकि कोरोना संक्रमण दिन प्रति दिन बढ़ रहा है।
कहीं खुशी कहीं गम
नागौर के दसवीं सीबीएएई बोर्ड की परीक्षा की तैयारी में जुटे रक्षित इसे गलत बताते हैं, उसका कहना है कि उसने अच्छी तैयारी की थी, जबकि राजेश, मुनमुन और वर्षा को बिना परीक्षा दिए प्रमोट होना बेहतर लग रहा है। राजस्थान बोर्ड की ग्यारहवीं कक्षा की अलका और सुनंदा भी कहती हैं कि कोरोना के चलते पढ़ाई तो हो नहीं पाई, स्कूल ही नहीं चले फिर परीक्षा का क्या फायदा।

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