scriptचालीस फीसदी पुलिसकर्मी ही देते हैं फिटनेस पर ध्यान | Only 40 percent of policemen pay attention to fitness | Patrika News
नागौर

चालीस फीसदी पुलिसकर्मी ही देते हैं फिटनेस पर ध्यान

-नियमित तौर पर शारीरिक परीक्षण यानी पीटी,परेड व रूट मार्च आदि का टोटा
–थानों में नहीं खुल पाई बुनियादी व्यायाम शाला
-साधन-संसाधन की कमी, पुलिस लाइन की जिम में नहीं है आधुनिक उपकरण

नागौरJan 15, 2024 / 08:56 pm

Sandeep Pandey

फिटनेस

वो अपनी फिटनेस पर ध्यान दें भी तो कैसे? पहले ही काम का बोझ और उस पर इधर-उधर की भागमभाग के साथ लंबी ड्यूटी। साधन-संसाधन के नाम पर पुलिस लाइन की साधारण जिम, जहां नए अत्याधुनिक उपकरण तक नहीं हैं। ,वो अपनी फिटनेस पर ध्यान दें भी तो कैसे? पहले ही काम का बोझ और उस पर इधर-उधर की भागमभाग के साथ लंबी ड्यूटी। साधन-संसाधन के नाम पर पुलिस लाइन की साधारण जिम, जहां नए अत्याधुनिक उपकरण तक नहीं हैं। ,वो अपनी फिटनेस पर ध्यान दें भी तो कैसे? पहले ही काम का बोझ और उस पर इधर-उधर की भागमभाग के साथ लंबी ड्यूटी। साधन-संसाधन के नाम पर पुलिस लाइन की साधारण जिम, जहां नए अत्याधुनिक उपकरण तक नहीं हैं।

वो अपनी फिटनेस पर ध्यान दें भी तो कैसे? पहले ही काम का बोझ और उस पर इधर-उधर की भागमभाग के साथ लंबी ड्यूटी। साधन-संसाधन के नाम पर पुलिस लाइन की साधारण जिम, जहां नए अत्याधुनिक उपकरण तक नहीं हैं। एक अनुमान के मुताबिक नागौर (डीडवाना-कुचामन) जिले में करीब चालीस फीसदी पुलिसकर्मी ही अपनी फिटनेस पर ध्यान देने के लिए रोजाना एक्सरसाइज कर रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार पिछले दिनों भी अनफिट पुलिसकर्मियों के शारीरिक फिटनेस पर ध्यान देने का मुद्दा मुख्यालय पर उठा था। आला अधिकारियों ने जिला स्तर पर इसके लिए आवश्यक दिशा-निर्देश भी दिए। बावजूद इसके भारी-भरकम ड्यूटी के बीच तनाव का बोझ ऐसा कि चाहते हुए भी पुलिसकर्मी इसके लिए तैयार नहीं हो रहे। एसपी समेत कुछ पुलिस अफसर ही नहीं कई सीआई व एसआई से लेकर निचले स्तर के पुलिस कार्मिक इसके प्रति गंभीर हैं। कोई अल-सुबह तो कोई शाम को, वक्त मिलते ही योग/दौड़ के साथ अन्य तरह की एक्सरसाइज कर खुद को फिट रख रहे हैं। कई पुलिसकर्मी रोजाना सवेरे लंबे रूट पर पैदल मार्च करते नजर आते हैं।
सूत्र बताते हैं कि पुलिस मुख्यालय तक समय-समय पर यह जानकारी जाती रही है कि कितने पुलिसकर्मी अपनी फिटनेस को लेकर गंभीर नहीं हैं। फिटनेस पर ध्यान नहीं देने की वजह से पुलिसकर्मियों का मोटापा व वजन बढ़ रहा है। पुलिस बल को पेशेवर तथा आधुनिक बनाने के लिए शारीरिक फिटनेस में सुधार करने की बार-बार जरुरत जताई जाती रही है। नियमित तौर पर शारीरिक परीक्षण यानी पीटी/परेड/रूट मार्च कराने के साथ पुलिस लाइन के अलावा थानों में बुनियादी व्यायाम शाला भी विकसित करने के कई बार निर्देश दिए जा चुके हैं। बावजूद इसके इस पर ज्यादा कुछ नहीं हो पा रहा है।
काम का भार, बीमारी या फिर लापरवाही

सूत्रों की मानें तो इस संदर्भ में कुछ पुलिसकर्मियों से बात की गई तो अलग-अलग कारण सामने आए। एक थाने के पुलिसकर्मी का कहना था कि दिन में बारह घंटे से अधिक समय तो थाने की ड्यूटी, फिर घर/गांव-परिवार सहित अन्य काम। कई बार नींद तो कभी कुछ, रेगुलर एक्सरसाइज कर ही नहीं पाते। एक अन्य पुलिसकर्मी का कहना था कि कुछ लोग इसे जरूरी ही नहीं समझते, इसलिए करते ही नहीं, जबकि पुलिस में फिटनेस की बहुत जरुरत है। इसके अलावा दस फीसदी से अधिक पुलिसकर्मी तो बीमारी की आड़ में एक्सरसाइज को टाल देते हैं।
इसलिए बढ़ रहा वजन व मोटापाबताया जाता है कि असमय भोजन/खाना, नींद पूरी नहीं होने के साथ फिटनेस पर ध्यान नहीं देने से मोटापा बढ़ रहा है। एक अनुमान के मुताबिक करीब चालीस फीसदी रोजाना इसे लेकर गंभीर हैं तो बीस फीसदी बीच में ब्रेक ले रहे हैं। तीस से चालीस फीसदी ने एक तरह से इस पर ध्यान देना बंद कर दिया है। मुख्यालय ने हर छह माह में पुलिसकर्मियों के चिकित्सीय परीक्षण के साथ अनफिट पुलिसकर्मियों को चिन्हित कर उनकी शारीरिक फिटनेस पर ध्यान देने को पहले से ही कह रखा है। इसके बाद भी या तो काम का बोझ कहें या लापरवाही, इस पर कोई खास ध्यान नहीं दिया जा रहा।
साधन-संसाधन का टोटा

सूत्रों का कहना है कि पुलिस लाइन की जिम में नए तकनीकी साधन-संसाधन नहीं हैं। थानों में तो एक्सरसाइज के लिए कुछ खास हो नहीं पाया। पुलिस लाइन के साधारण से जिम में भी गिने-चुने लोग ही जाते हैं। यह जरूर है कि अधिकांश पुलिसकर्मी दौड़-भाग जरूर कर लेते हैं। बढ़ते वजन को कम करने के लिए कई पुलिसकर्मी चिकित्सीय उपचार भी ले रहे हैं।
इनका कहना

फिटनेस पुलिस के लिए बेहद आवश्यक है। मेरे अलावा कई अफसर-पुलिसकर्मी डेली एक्सरसाइज व दौड़ करते हैं। इनको और मोटिवेट करेंगे, साधन-संसाधन की कोई खामी होगी तो उसे दूर किया जाएगा।
-नारायण टोगस, एसपी, नागौर

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