Nagaur. रामपोल सत्संग भवन में चातुर्मास सत्संग में कथावाचक संत रमताराम महाराज ने कहा कि मनुष्य के जीवन में नम्रता का भाव ही वह रामकथा का अधिकारी हो सकता है
नागौर•Jul 30, 2021 / 10:52 pm•
Sharad Shukla
Nagaur. Sant Ramtaram delivering a discourse on Ram Katha at Rampol Satsang Bhawan
नागौर. रामपोल सत्संग भवन में चातुर्मास सत्संग में कथावाचक संत रमताराम महाराज ने कहा कि मनुष्य के जीवन में नम्रता का भाव ही वह रामकथा का अधिकारी हो सकता है। व्यक्ति को सभी के समक्ष नम्रता का भाव रखना चाहिए। छोटा या बड़ा नहीं, बल्कि सभी के समक्ष यही अभिव्यक्ति होनी चाहिए। तुलसीदास महाराज ने सिद्धांत दिया है कि सारे जगत को राम में जानकर प्रणाम करो। ऐसी सोच व्यक्ति में तभी आ सकती ह,ै जब व्यक्ति सभी को नमन करना सीख जाए। गोस्वामी महाराज ने वंदन करते हुए मां कौशल्या को पूर्व दिशा की उपमा दी है। पूर्व दिशा में सूर्य का उदय होता है तो सारा अंधकार नष्ट हो जाता है। इसी प्रकार भगवान रामचंद्र के जन्म से ही संसार के मोह रूपी अंधकार दूर होते हैं। जगत में ईश्वर का साकार रूप किसी में देखना हो तो, वह अपनी मां के रूप में देख सकता है समाज में सबसे बड़ी गुरु मां होती है। मां ही हमें अच्छे संस्कार देखकर धर्म के मार्ग पर लगाती है। मां किसी व्यक्ति को कुछ सिखाती है तो वह व्यक्ति उस बात को जीवन पर्यंत तक नहीं भूलता है। मा ही हमें झुकना सिखाती है। झुकने पर ही संसार को राम रूप में जान पाएंगे। इस अवसर पर साध्वी मोहनी बाई, जोधपुर बाल संत रामगोपाल महाराज, नंदकिशोर बजाज, कांतिलाल कंसारा, ललित कुमार कंसारा, आनंद, महेश कंसारा, नंदलाल प्रजापत, रामअवतार शर्माख् गोविंद झंवर व मदन मोहन बंग आदि मौजूद थे।