नहीं हो पाया मूल्यांकन
मनरेगा कार्मिकों की हड़ताल के कारण कार्यों का मूल्यांकन नहीं होने से समयबद्ध भुगतान नहीं हो पाया।
रमजान अली, एक्सईएन, मनरेगा
राजस्थान के नागौर में एक मई से चल रही है मनरेगा कार्मिकों की हड़ताल, 15 दिन बाद समयबद्ध में भुगतान के ग्राफ में आई कमी
नागौर•Jun 06, 2018 / 12:55 pm•
Dharmendra gaur
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नागौर. गत एक माह से चल रही मनरेगा कार्मिकों की हड़ताल से मनरेगा श्रमिकों का समयबद्ध भुगतान अटक गया है। नागौर में श्रमिकों का समयबद्ध भुगतान 97.53 तक आ गया है । गौरतलब है कि मनरेगा कार्मिकों की हड़ताल के चलते अटके कामकज से प्रदेश में यह ग्राफ 97 फीसदी से गिरकर 93.8 प्रतिशत तक रह गया है। प्रदेश भर में 15 दिन में श्रमिकों के भुगतान में हो रही देरी को गंभीरता से लेते हुए ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग के आयुक्त (ईजीएस) पी.सी. किशन से सभी कलक्टर को पत्र भेजकर समयबद्ध भुगतान करने के निर्देश दिए हैं ताकि प्रदेश में भुगतान का ग्राफ बढ़ सकेे।
समय पर नहीं हो सका मूल्यांकन
जानकारी के अनुसार समयबद्ध भुगतान में देरी के पीछे मनरेगा कार्मिकों की हड़ताल सबसे बड़ा कारण है। इसके चलते मनेरगा कार्यों का मूल्याकंन नहीं हो सका और ऑनलाइन फिडिंग का काम भी नहीं हो पाया और इसके चलते फंड ट्रांसफर ऑर्डर (एफटीओ) भी जारी नहीं हो पाए। प्रदेश में उदयपुर में 6811,प्रतापगढ़ में 3378, भीलवाड़ा में 2495 व बाड़मेर में 2198 सर्वाधिक मस्टररोल है, जिनका भुगतान पखवाड़ा समाप्ति के बाद भी नहीं हो सका। नागौर में मस्टररोल की संख्या 1124 है जबकि सीकर में एक भी मस्टररोल लम्बित नहीं होने से वहां शत प्रतिशत समय पर भुगतान हुआ है।
श्रमिकों को हर्जाना मांगने का अधिकार
केंद्र सरकार की एक ऑनलाइन एप्लिकेशन पीएफएमएस के जरिए सामाजिक सुरक्षा भुगतान भेजे जाते हैं। इसके बाद एफटीओ को नोडल एमजीएनआरईजीए बैंक के पास भेजा जाता है जिससे भुगतान खातों में पहुंचते हैं। एफटीओ लंबित होने का मतलब है कि पीएफएमएस ने उन पर कार्य नहीं किया है। मनरेगा के दिशा-निर्देशों के तहत मस्टररोल बंद होने के 15 दिनों के अंदर श्रमिकों को भुगतान मिल जाना चाहिए। मजदूरी का भुगतान नहीं करने पर श्रमिकों को देरी की अवधि के दौरान हर्जाना मांगने का भी अधिकार है।
क्या है एफटीओ की प्रक्रिया
फंड ट्रांसफर ऑर्डर (एफटीओ) जिला स्तर पर दी जाने वाली एक मांग है, जिसे राज्य स्तर पर श्रमिकों के खातों में फंड ट्रांसफर की मांग की जाती है। इस मांग को मैनेजमेंट इनफॉर्मेशन सिस्टम (एमआईएस) के जरिए इलेक्ट्रॉनिक तरीके से पूरा किया जाता है। योजना के तहत सक्रिय श्रमिकों के नामों के साथ इलेक्ट्रॉनिक मस्टर रोल बनाता है। एफटीओ को ग्रामीण विकास मंत्रालय के पास भेजने से पहले उस पर दो अधिकृत व्यक्तियों के हस्ताक्षर होते हैं। ट्रांसफर बैंक खातों के जरिए होने के कारण एफटीओ को पब्लिक फाइनेंशियल मैनेजमेंट सिस्टम (पीएफएमएस) के पास भेजा जाता है।
नहीं हो पाया मूल्यांकन
मनरेगा कार्मिकों की हड़ताल के कारण कार्यों का मूल्यांकन नहीं होने से समयबद्ध भुगतान नहीं हो पाया।
रमजान अली, एक्सईएन, मनरेगा