– विधायक इंदिरा बावरी : पुलिस हमारे बच्चों को भी धमका रही है। रात 9 बजे बच्चों को धमकाया कि मम्मी को दिखाओ। पुलिस को यह अधिकार किसने दिया? बंजारों के मकान तोडऩे की घटना में मैं सही सलाह देने गई थी, आज पुलिस हमें धमका रही है। इस दौरान विधायक बावरी भावुक हो गईं।
रालोपा विधायक नारायण बेनीवाल ने कहा, एक तरफ दलित उत्थान की बात करते हो, दूसरी तरफ दलित विधायकों की बेइज्जती की जा रही है। उन्हें धमकाया जा रहा है। एक एसआई ने हमारे विधायकों के लिए जिस तरह के शब्दों का इस्तेेमाल किया, वह बयां नहीं किया जा सकता।
– मंत्री बीडी कल्ला – विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव का वक्त गलत है। कोई दस्तावेज पेश नहीं किया। कानून की बाध्यता सभी पर है। हाईकोर्ट के आदेश की पालना में अतिक्रमण हटाया, दोनों विधायक विधानसभा सत्र के बाद पूछताछ के लिए पेश हो सकते हैं। दोनों विधायक लिखकर दे दें, समय मिल जाएगा।
– रमेश मीणा, खाद्य मंत्री : विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव की पहले सूचना नहीं दी। पहले विधानसभा सचिव को सूचना देनी थी। पहले भी ऐेसा हुआ है, जब प्रक्रिया की पालना करने का निर्देश दिया गया था।
अध्यक्ष सीपी जोशी ने कहा, जो विषय उठाया है, उसकी गंभीरता समझता हूं। प्रक्रियाओं के मामले में अध्यक्ष विशेष परिस्थितियों में छूट दे सकता है। सदस्य ऐसे समुदाय से है, जिसने हिम्मत करके चुनाव लड़ा। सदन में बोलने का साहस किया। सदस्यों को सदन की कार्यवाही से वंचित करने का प्रयास किया जा रहा है। सरकार का बयान आने के बाद इस पर फैसला करूंगा। नए सदस्यों के मामले में पूरे सरकारी तंत्र को समझने की जरूरत है। इस मामले में सरकार को भी देखना चाहिए।
राठौड़ ने सदन के बाहर पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि राजस्थान विधानसभा के इतिहास में यह पहला मौका है जब सदन प्रगति पर हो और किसी विधायक को इस तरह से भगोड़ा घोषित करके तलब किया गया। उन्होंने कहा कि नागौर की पुलिस और सीआईडी-सीबी दोनों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई होनी चाहिए। राज्य विधानसभा में मौजूद दलित समुदाय से आने वाले दोनों विधायकों के खिलाफ जिस तरह पुलिस ने एकतरफा कार्रवाई कि है उससे सरकार की नियत पर भी सवाल खड़े होते हैं। उन्होंने कहा कि यह भी पहला मौका है कि जब सदन की कार्रवाई चल रही हो और अवमानना का मामला सामने आए। राठौड़ ने कहा कि अपने राजनीतिक आकाओं को खुश करने के लिए पुलिस पूरी तरह से निरंकुश हो गई है।
रालोपा के राष्ट्रीय संयोजक व नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने कहा कि जिस तरह दलित महिला विधायक और एक पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के साथ भोपालगढ़ विधानसभा का सदन में नेतृत्व करने वाले विधायक की गरिमा को पुलिस अधिकारियों ने जानबूझकर ठेस पहुंचाई है, उसकी लोकतांत्रिक व्यवस्था में कोई जगह नहीं है। सांसद ने पुलिस के नोटिस में विधायकों को आरोपी शब्द उल्लेखित करने पर भी कड़ी आपत्ति व्यक्त करते हुए कहा कि किसी को भी आरोपी कहना केवल न्यायालय का अधिकार है। ऐसे में नागौर एसपी और सीआईडी सीबी के अधिकारी के निर्देश पर नागौर कोतवाली के थाना अधिकारी ने जिस भाषा का इस्तेमाल नोटिस में किया, उससे यह जाहिर हो रहा है विधायकों के प्रोटोकॉल व गरिमा को तार-तार किया गया। सांसद ने मामले में विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी को ट्वीट करके नागौर एसपी सहित सम्बन्धित अफसरों के खिलाफ कार्यवाही करने की मांग की है। साथ ही कहा कि दलित विधायकों और उनके परिजनों के साथ पुलिस का बर्ताव अशोक गहलोत सरकार की दलित विरोधी मानसकिता उजागर करता है।