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नागौर

अटक कर रह गई दर्जनभर मामलों की अभियोजन स्वीकृति, एसीबी के पिछले साल भेजे खतों का अब तक नहीं िमला जवाब

वैसे तो अभियोजन स्वीकृति मामले काफी हैं पर नागौर-अजमेर एसीबी के ही तेरह-चौदह मामले लम्बित पड़े हैं, बार-बार मुखिया/मुख्यालय को पत्र लिखकर जवाब का इंतजार कर रही है एसीबी, जिला परिषद के तीन कर्मचारियों के खिलाफ यह स्वीकृति जारी हुई

नागौरMay 23, 2023 / 09:46 pm

Sandeep Pandey

अभियोजन स्वीकृति

मामला पद के दुरुपयोग का हो या फिर घूस लेते समय रंगे हाथ पकड़े जाने का। अधिकांश मामलों में अभियोजन स्वीकृति अटक कर रह जाती है। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) विभाग के मुखिया/मुख्यालय को पत्र पर पत्र लिखता रहता है, जवाब में जल्द बैठक कर निर्णय देने की बात कह दी जाती है।

एक्सक्लूसिव

पत्रिका न्यूज नेटवर्क

नागौर. मामला पद के दुरुपयोग का हो या फिर घूस लेते समय रंगे हाथ पकड़े जाने का। अधिकांश मामलों में अभियोजन स्वीकृति अटक कर रह जाती है। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) विभाग के मुखिया/मुख्यालय को पत्र पर पत्र लिखता रहता है, जवाब में जल्द बैठक कर निर्णय देने की बात कह दी जाती है। कुछ मामलों में जरूर इसमें ढील नहीं होती। जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी कार्यालय के कनिष्ठ सहायक सुरेश कुमार नायक समेत तीन कर्मचारियों के खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति जारी हो चुकी है।
सूत्रों के अनुसार नगर परिषद के कनिष्ठ सहायक हरनारायण गौड दलाल के जरिए पट्टा बनाने की एवज में 35 हजार की घूस लेने के आरोप में पहले फरार हुआ, फिर चार महीने बाद खुद ने ही सरेण्डर कर दिया। तब से इसके अभियोजन की स्वीकृति लम्बित चल रही है। अजमेर एसीबी की ओर से इस बाबत कई बार पत्र लिखे गए। इसके साथ खींवसर के जेटीओ पूनमंचद समेत घूस लेने के तीन मामलों पर अजमेर एसीबी ने कार्रवाई की पर अभियोजन स्वीकृति का मामला अटका पड़ा है। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समक्ष भी एसीबी के अफसर अभियोजन स्वीकृति का मुद्दा उठा चुके हैं। यह बात उठाई गई कि एसीबी रंगे हाथों कर्मचारी/अफसर को पकड़कर जेल तो भेज देती है पर अभियोजन स्वीकृति नहीं मिलने से उनका आगे कुछ नहीं बिगड़ पाता। इस पर मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव को इस बाबत जल्द स्वीकृति की व्यवस्था करने के निर्देश दिए पर हाल वही ढाक के तीन पात रहे। खास बात यह है कि पाली, जोधपुर, अजमेर ही नहीं सीकर एसीबी की ओर से ट्रेप के कई और मामलों में भी अभियोजन की स्वीकृति नहीं मिल पाई है।
सालभर बाद भी जवाब नहीं

सूत्रों के अनुसार करीब आठ साल पुराने अजमेरी गेट पर गलत भवन निर्माण स्वीकृति संबंधी नगर परिषद के एक मामले में अभियोजन की स्वीकृति अभी नहीं मिल पाई है। करीब दस माह पूर्व इस संबंध में पत्र भी भेजा गया। इस मामले में नगर परिषद के तत्कालीन ईओ को छोड़ सफाई निरीक्षक अनिल कुमार, वरिष्ठ लिपिक गौरीशंकर सेन व सर्वेयर अब्दुल अजीज पर अभियोजन स्वीकृति के लिए एसीबी नागौर की ओर से पिछले साल जुलाई में पत्र लिखा गया था। इस पर कोई जवाब नहीं मिला है। इसी तरह ग्रीनवुड शिक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थान के निदेशक सरवर खान करीब ढाई साल पहले दस हजार रुपए की रिश्वत लेते पकड़े गए थे। पिछले साल जून में इसकी अभियोजन स्वीकृति जारी करने के लिए कॉलेज कमेटी अध्यक्ष को पत्र भेजा गया था पर कुछ नहीं हुआ। एक अन्य मामले में डीडवाना नगर पालिका के पद का दुरुपयोग कर गलत पट्टा जारी करने का मामला है। इस मामले में तत्कालीन पालिका के ईओ शेर सिंह के अभियोजन की स्वीकृति तो मिल गई पर दो पार्षद का मामला अब भी लम्बित चल रहा है। इस संबंध में एसीबी की ओर से पिछले साल नौ सितम्बर को पत्र भी जारी किया पर इसका असर कुछ नहीं हुआ। बीस हजार की घूस लेते गिरफ्तार हुए लाडनूं नगर पालिका के तत्कालीन ईओ मघराज डूडी के अभियोजन की स्वीकृति के लिए भी करीब छह महीने एसीबी ने पत्र भेजा था जिस पर अभी तक कोई हरकत नहीं हुई।
यह है जिले का हाल

तकरीबन साढ़े तेइस साल में एक बार भी यह आंकड़ा दहाई तक नहीं पहुंचा। रकम भी सामान्य ही रही, सिर्फ दो बार ही घूस की राशि एक लाख पार पहुंची। आधा दर्जन महिला कार्मिक ही अब तक ट्रेप हुईं। राजस्व कार्मिक रिश्वत के खेल में टॉप पर रहे। सूत्रों के अनुसार वर्ष 2000 से 2023 (अब तक) कुल 136 मामले सामने आए। इनमें रिश्वत लेते 130 पुरुष तो आधा दर्ज महिला कर्मचारी/अफसर रंगे हाथों पकड़े गए। तकरीबन 23 साल में आए 130 मामले यानी औसतन हर साल करीब छह। सर्वाधिक नौ मामले वर्ष 2008 में पकड़े गए थे। वर्ष 2006, 10, 11 और 12 में आठ-आठ मामले पकड़े गए। कभी भी यह आंकड़ा दहाई तक नहीं पहुंचा, बाकी सालों में कभी सात, छह पांच या चार तक ही यह सिमटा रहा।

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