सूने पड़े मकानों के आसपास किसी मकान में यदि लोग रहते हैं तो दुर्गंध के कारण पता भी चल जाता है। बदबू आने पर आसपास के मकानों में छानबीन की जाती है तो मृत पशु पड़ा नजर आता है। वैसे अधिकतर मकान सूने पड़े है, जिससे इनमें कोई पशु मरा भी है तो उस स्थिति से लोग अनभिज्ञ होते हैं।
नगर परिषद की ओर से शहर में घुमंतू पशुओं की धरपकड़ का अभियान चलता है तो खदेडऩे का ही काम किया जाता है। इनको पकडऩे और किसी सुरक्षित स्थान पर छोडऩे के बजाय शहर से बाहर भेज दिया जाता है। ऐसे में सूने मकान ही इनका आसरा बनते हैं। भूख लगने पर कई पशु वापस शहर का रूख करते हैं, लेकिन बीमार व वृद्ध पशु यहां से नहीं लौट पाते। भूख-प्यास व बीमारी की हालत में यहीं बेदम हो जाते हैं।
– नगर परिषद को घुमंतू पशुओं की धरपकड़ करते हुए ऐसी जगह भेजना चाहिए, जहां उनका गुजारा हो सके
– सूने पड़े मकानों में समय-समय पर जांच अभियान चलना चाहिए, ताकि गतिविधियों की जानकारी मिल सके
– बेसहारा घूम रहे पशुओं के बीमार होने पर पशुपालन विभाग को उपचार के लिए आगे आना चाहिए
– चराई के लिए पशुओं को खुला छोड़ देने वाले पशुधन मालिकों पर सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए
घुमंतू पशुओं की धरपकड़ के लिए नगर परिषद की ओर से कार्रवाई की जा ती है। सूने मकानों में पशुओं के मरने की जानकारी मिलने पर निस्तारण करते हैं।
– जोधाराम बिश्नोई, आयुक्त, नगर परिषद, नागौर