सीसी ब्लॉक स्वीकृति पर रोक
सरपंचों ने अपने कार्यकाल के अंतिम साल में अधिकाधिक सीसी ब्लॉक लगाकर मार्जिन कमाने के उद्देश्य से अधिकतर ग्राम पंचायतों ने मनरेगा में करोड़ों रुपए के प्रस्ताव जिला परिषद को भिजवाए। इस योजना में गत वर्ष 80 प्रतिशत कार्य सीसी ब्लॉक के होने के कारण केन्द्र सरकार की ओर से श्रम व सामग्री के लिए निर्धारित 60 व 40 का अनुपात बिगडऩे के चलते गत साल का आधे से अधिक का भुगतान इस वर्ष अप्रेल में हुआ। जिला परिषद ने प्रत्येक काम एवं पंचायत स्तर पर 60 प्रतिशत राशि मजदूरी के लिए अनिवार्य कर देने से सीसी ब्लॉक की स्वीकृतियां रोक दी गई है। जिले में उपलब्ध सम्पूर्ण आबादी क्षेत्र में पुराने खरंज (खुर्रा)को तोडकऱ नए लगाने पर सरकारी धन का दुरुपयोग माना जाएगा।
फायदा नहीं तो प्रस्ताव भी नहीं
जानकारी के अनुसार जिला परिषद ने ग्राम पंचायतों से चारागाह, अंगोर, औरण, आदि की सार्वजनिक भूमि पर अवैध खनन तथा अतिक्रमण रोकने के लिए चारों ओर खाई खोदने, मेड़बंदी करने, कांटेदार पेड़ लगाने, तालाबों की डिसिल्टिंग, सडक़ किनारे व स्कूलों में पौधरोपण, स्थानीय सामग्री से ग्रेवल सडक़ों तथा खेल मैदानों के विकास के लिए प्रस्ताव मांगे हैं। इन कार्यों को करवाने में सरपंचों को तात्कालिक फायदा नहीं होने के चलते प्रस्ताव देने में रुचि नहीं लेते। सीसी ब्लॉक कम पूंजी में स्थानीय स्तर पर तैयार किए जा सकते हैं। पड़ताल में सामने आया है कि कई सरपंच भी परिजनों व मिलने वालों के नाम पर ब्लॉक निर्माण की फैक्ट्री खोलकर घटिया सीमेंट, राख व कांक्रीट से कम लागत पर सीसी ब्लॉक बना रहे हैं।
गुणवत्ता की नहीं होती जांच
सीसी ब्लॉक के जांच की पुख्ता व्यवस्था के अभाव में अधिकारियों के लिए इनके उपयोग को रोकना संभव नहीं है। ब्लॉक निर्माण पर 28 प्रतिशत जीएसटी होने के बावजूद सीमेंट पर दी गई जीएसटी का इनपुट के रूप में रिफंड मिल जाता है। समतल रास्तों व गलियों को खोदकर 3 फीट तक ठोस सामग्री की भर्ती, रोलर से कुटाई तथा सपोर्टिंग अंडरग्राउण्ड दीवार जैसे फर्जी आइटम दर्शाते हुए दो से तीन गुणा कीमत की एमबी भरी जाती है। सूत्रों के अनुसार प्रत्येक कार्य में 50 से 60 प्रतिशत की बचत में सरपंच, सचिव व तकनीकी अधिकारियों की हिस्सेदारी होती है। सीसी ब्लॉक निर्माण के प्रति मोह का अंदाजाा इसी बात से लगाया जा सकता है कि गत पांच साल में विभिन्न योजनाओं की 1800 करोड़ की खर्च राशि में से 950 करोड़ रुपए केवल सीसी ब्लॉक निर्माण पर किए गए।
करोड़ों खर्च फिर भी कीचड़
मनरेगा में असीमित बजट होने के कारण सरपंचों का सीसी ब्लॉक के प्रति मोह बढ रहा है। यह भी सामने आया है कि ग्राम पंचायतों की ओर से गलियों में ढलान देखे बिना सीसी ब्लॉक बिछाए गए हैं। ब्लॉक निर्माण का लेवल समतल नहीं होने के कारण यहां बारिश के दिनों में जल भराव की समस्या रहती है। कई गांवों में सीसी ब्लॉक तालाबों का रूप ले चुके हैं। कई गांवों में कच्ची बस्तियों में गरीब तबके के लोग रहते हैं। गौरतलब है कि कई ज्यादातर ग्राम पंचायतों में बनाए गए सीसी ब्लॉक सडक़ के दोनों तरफ नाली नहीं होने से घरों का पानी सडक़ पर ही भरा रहता है।
सरपंच नहीं लेते रुचि
जिले में उपलब्ध सम्पूर्ण आबादी क्षेत्र में पुराने खरंज (खुर्रा)को तोडकऱ नए लगाने पर सरकारी धन का दुरुपयोग माना जाएगा। ग्राम पंचायतों से सीसी ब्लॉक सडक़ के अलावा अन्य विकास कार्यों के प्रस्ताव मांगे गए हैं लेकिन सरपंच इन कार्यों में रुचि नहीं लेते।
रामनिवास जाट, सीईओ, जिला परिषद नागौर