नागौर

महंगी बिजली का विकल्प बन रही सौर ऊर्जा

राज्य सहित देशभर में कोयले की कमी से गहराए बिजली संकट के बीच महत्वपूर्ण साबित हो रहे सौर ऊर्जा प्लांट- आए दिन बढ़ रहे बिजली के दाम एवं डिस्कॉम द्वारा बिलों में जोड़े जा रहे अन्य चार्ज से परेशान उपभोक्ताओं ने शुरू किए सौर ऊर्जा प्लांट लगाना

नागौरOct 19, 2021 / 05:31 pm

shyam choudhary

Solar energy is becoming an alternative to expensive electricity

नागौर. प्रदेश व देश में कोयले की कमी से भले ही बिजली संकट गहरा गया हो, लेकिन शहर एवं जिले के सैकड़ों बिजली उपभोक्ता ऐसे हैं, जिनके यहां कभी बिजली के अभाव में अंधेरा नहीं होता, चाहे आंधी-तूफान आए या फिर कोयले का संकट। जी हां, ऐसे वे उपभोक्ता हैं, जिन्होंने सौर ऊर्जा प्लांट लगा रखे हैं, जो सूर्य की ऊर्जा को बिजली में बदलकर न केवल रोशनी कर रहे हैं, बल्कि उद्योगों तक को बिजली सप्लाई कर रहे हैं। अकेले नागौर शहर में 186 उपभोक्ताओं ने सौर ऊर्जा के प्लांट लगा लिए हैं, जिसमें घरेलू, अघरेलू उपभोक्ताओं के साथ लघु, मध्यक्ष एवं बड़े उद्योगों के उद्यमी एवं सरकारी एवं निजी कार्यालय भी शामिल है, जहां प्रतिदिन 2917 किलोवाट बिजली तैयार हो रही है।
दिनों दिन महंगी हो रही बिजली एवं बिलों में सरकार द्वारा लगाए जा रहे अतिरिक्त चार्ज से परेशान उपभोक्ताओं के लिए सौर ऊर्जा बिजली का नया विकल्प बन रही है। घरेलू उपभोक्ताओं के साथ उद्योग संचालक भी सौर ऊर्जा प्लांट लगा रहे हैं। सौर ऊर्जा, ऊर्जा का अक्षय स्रोत है, और सस्ता भी है।
नागौर शहर में इन यहां सौर ऊर्जा प्लांट
श्रेणी – कुल कनेक्शन – उत्पादन क्षमता
घरेलू – 131 – 800.15
अघरेलू – 38 – 559
लघु उद्योग – 2 – 27
मध्यम उद्योग – 9 – 469.45
एचटी – 6 – 1062
जायल व खींवसर में सौर ऊर्जा से बन रही करोड़ों यूनिट बिजली
जायल क्षेत्र के कठौती गांव में अजूर पॉवर राजस्थान प्राइवेट लिमिटेड का 5 मेगावाट एवं अजूर सोलर प्राइवेट लिमिटेड का 15 व 20 मेगावाट के प्लांट हैं। तीनों सौर ऊर्जा प्लांटों से वर्ष 2019-20 में 6 करोड़, 96 लाख, 20 हजार, 980 यूनिट एवं वर्ष 2020-21 में (दिसम्बर तक) 5 करोड़, 26 लाख, 89 हजार 990 यूनिट का सौर ऊर्जा प्लांट से उत्पादन हुआ। यहां उत्पादित ऊर्जा राजस्थान के विद्युत तंत्र में आती है एवं तंत्र में प्रवाहित होकर मांग के अनुसार ऊर्जा का उपभोग हो जाता है। यह जानकारी सरकार ने जायल विधायक डॉ. मंजू मेघवाल द्वारा विधानसभा में लगाए गए प्रश्न के जवाब में दी है। इसी प्रकार खींवसर में रिलायंस पॉवर लिमिटेड ने 5 मेगावाट क्षमता का सौर ऊर्जा प्लांट लगा रखा है। यह प्लांट राजस्थान में निजी क्षेत्र की प्रथम सबसे बड़ी विद्युत परियोजना है, जुलाई 2010 में प्रारंभ की गई थी।
नागौर में इसलिए नहीं आई ज्यादा समस्या
पिछले करीब 15 दिन से देश व प्रदेश में कोयले की आपूर्ति के अभाव में गहराए बिजली संकट का असर नागौर जिले में खासकर नागौर, जायल व खींवसर में ज्यादा नहीं देखा गया। इसकी प्रमुख वजह जायल के सौर ऊर्जा प्लांट ही है। डिस्कॉम अधिकारियों का कहना है कि कठौती में लगे अजूर पॉवर के सौर ऊर्जा प्लांट से बिजली आपूर्ति सुचारू रखने में काफी सहायता मिली।
पॉजिटिव : पर्यावरण के भी अनुकूल है सौर ऊर्जा
सौर ऊर्जा को ऊर्जा का सबसे उपयुक्त स्रोत माना जाता है। इसका प्रमुख कारण यह है कि इससे ऊर्जा पैदा करने में कोई प्रदूषण नहीं होता। सोलर सिस्टम पूरी तरह सूर्य की रोशनी पर आधारित है। इससे ऊर्जा बनाने में न तो कोयला का इस्तेमाल करना पड़ता है और न ही पेट्रोल-डीजल की जरूरत पड़ती है। यह धूप के जरिए हमें ऊर्जा देता है।
नेगेटिव : सरकार ने बंद कर दी सब्सिडी
पहले सरकार घरेलू उपभोग के लिए सौर ऊर्जा प्लांट लगाने पर सब्सिडी देती थी, लेकिन जुलाई 2021 से सब्सिडी देना बंद कर दिया है। बिजली बिलों में बढ़ोतरी एवं स्मार्ट मीटर लगाने के बाद बिजली बिल को लेकर उपभोक्ता काफी परेशान हैं, ऐसे में सौर ऊर्जा अच्छा विकल्प बन रही थी, लेकिन सरकार ने न केवल सब्सिडी बंद की, बल्कि सौर ऊर्जा वाले उपभोक्ताओं से भी प्रति यूनिट 60 पैसे वसूलने के फरमान जारी कर दिए।
घरेलू के साथ उद्योगों में भी लगवा रहे सोलर प्लांट
शहर में 186 उपभोक्ताओं ने कुल 2917 किलोवाट के सोलर एनर्जी के प्लांट लगवाए हैं। ये प्लांट घरेलू उपभोक्ताओं के साथ उद्योगों एवं कार्यालयों की छतों पर भी लगे हैं। सौर ऊर्जा प्लांट पर मिलने वाली सब्सिडी जुलाई 2021 में बंद कर दी।
– अर्जुनसिंह, एईएन, नागौर शहर
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